आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास अपने लिए कुछ समय निकाल पाना काफी मुश्किल हो गया है। ऐसे में स्ट्रेस का लेवल इतना ज्यादा बढ़ गया है कि ज्यादातर लोग डिप्रेशन और एंग्जायटी का शिकार हो रहे हैं। कई बार बचपन या जवानी के कुछ इमोशनल ट्रॉमा ऐसा होता है, जो आपके अंदर सालों साल तक रहता है और धीरे-धीरे आपके शरीर को खोखला कर सकता है। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि इमोशनल ट्रॉमा के कारण थायराइड की समस्या हो सकती है। लेकिन, इस बात में कितनी सच्चाई है इसके बारे में जानने के लिए हमने नोएडा के मेट्रो अस्पताल के कंसल्टेंट- इंटरनल मेडिसिन डॉ. अक्षय चुग से बातचीत की।
क्या इमोशनल ट्रॉमा थायराइड का कारण बन सकता है?
डॉ. अक्षय चुग के अनुसार उन्होंने बहुत से देखा है कि बहुत से मरीज जो थायराइड की समस्या लेकर आते हैं, उनकी लाइफ में लंबे समय से तनाव या इमोशनल ट्रॉमा से जुड़ा होता है। कई बार इन मरीजों का कहना है कि, "मेरे घर की स्थिति खराब रही है, स्ट्रेस बहुत है, उसी के बाद से मुझे थकान, वजन बढ़ना और बेचैनी की समस्या महसूस होने लगी।" इसलिए, इस तरह के केस हमें सोचने पर मजबूत कर देते हैं कि तनाव और इमोशनल ट्रॉमा में कनेक्शन है।
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NCBI की स्टडी के अनुसार इमोशनल ट्रॉमा और थायराइड समस्याओं में महत्वपूर्ण संबंध हो सकता है। इस स्टडी के मुताबिक पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) के लक्षणों और थायराइड डिसफंक्शन के बीच कनेक्शन पाया गया है। स्टडी के डेटा के अनुसार, PTSD के लक्षणों के साथ हाइपोथायरायडिज्म का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए, यह जरूरी है कि थायराइड समस्याओं के जोखिम को कम करने के लिए इमोशनल ट्रॉमा के प्रभावों को समझा जाए और इसका समय पर इलाज किया जाए। इतना ही नहीं, थायराइड से जुड़ी समस्याओं को लेकर जागरूकता बढ़ाने से महिलाओं में इसके प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है।
इमोशनल ट्रॉमा के मरीजों में नजर आने वाले लक्षण
इमोशनल ट्रॉमा के मरीजों में अक्सर कुछ ऐसे लक्षण नजर आते हैं, जो थायराइड डिसफंक्शन से भी जुड़े हुए हैं, जैसे-
- लगातार थकान और कमजोरी महसूस होना
- वजन में अचानक बदलाव आना
- नींद की कमी या बेचैनी होना
- एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसे मानसिक समस्या
- हार्ट बीट का तेज या धीमा होना
- महिलाओं के पीरियड्स में गड़बड़ी होना
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थायराइड से बचाव के लिए क्या करें?
इमोशनल ट्रॉमा न सिर्फ थायराइड की समस्या का कारण बन सकता है, बल्कि ये कई स्वास्थ्य परेशानियों को जन्म दे सकते हैं। इसलिए इससे उबरने के लिए आप इन टिप्स को फॉलो कर सकते हैं-
- नियमित जांच कराएं: अगर आप तनाव या किसी ट्रॉमा से गुजर रहे हैं और थायराइड के लक्षण महसूस हो रहे हैं तो बिना देर किए तुरंत जांच करवाएं।
- तनाव कम करें: योग, मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज और वॉकिंग जैसी शारीरिक गतिविधियां अपनाएं।
- लाइफस्टाइल में सुधार: – संतुलित आहार, पर्याप्त नींद लेना और नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियां करने से थायराइड से बचाव करने और स्ट्रेस को कम करने में मदद मिल सकती है।
- नियमित फॉलो-अप लें: थायराइड के मरीज हर 6 से 12 महीने में डॉक्टर से जांच जरूर करवाएं।
निष्कर्ष
इमोशनल ट्रॉमा थायराइड बीमारी को ट्रिगर करने का एक बड़ा कारण हो सकता है। यह सीधे तौर पर बीमारी का कारण नहीं बनता है, लेकिन जिन लोगों में पहले से जेनेटिक या अन्य जोखिम कारक है, उनमें थायराइड की समस्या बढ़ सकती है। इसलिए, समय पर जांच करवाएं, तनाव को मैनेज करें और सही इलाज से थायराइड कंट्रोल करने की कोशिश करें।
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