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क्या इमोशनल ट्रॉमा कैंसर का कारण बन सकता है? डॉक्टर से जानें जवाब

क्या इमोशनल ट्रॉमा के कारण किसी व्यक्ति को कैंसर हो सकता है? एक्सपर्ट से जानें जवाब।
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क्या इमोशनल ट्रॉमा कैंसर का कारण बन सकता है? डॉक्टर से जानें जवाब

Emotional Trauma and Cancer: आपने ध्यान दिया होगा जब कभी हम स्ट्रेस में होते हैं, तो शरीर में थकावट बढ़ने लगती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि हमारी इमोशनल हेल्थ फिजिकल हेल्थ से सीधी तौर पर जुड़ी होती है। इसलिए किसी एक में होने वाला बदलाव दूसरे को प्रभावित करने लगता है। कहते हैं ज्यादा सोचने और स्ट्रेस में होने से बीमारियों क खतरा भी बढ़ता है। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि स्ट्रेस या इमोशनल ट्रॉमा होने से कैंसर भी होता है? इस प्रश्न को सुनने पर हर किसी को कंफ्यूजन हो सकती है। इसलिए इसका जवाब जानने के लिए हमने सोनीपत स्थित एंड्रोमेडा कैंसर हॉस्पिटल के ब्रेस्ट ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट के सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. वैशाली जामरे (Vaishali Zamre) से बात की। आइये लेख में एक्सपर्ट से जानें इसका जवाब।

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क्या इमोशनल ट्रॉमा कैंसर की वजह बन सकता है? Can Emotional Trauma Cause Cancer

इमोशनल ट्रॉमा और कैंसर के बीच कॉम्प्लेक्स और इनडायरेक्ट कनेक्शन होता है। इमोशनल ट्रॉमा होने की वजह से कैंसर नहीं होता है। लेकिन ये बॉडी में कैंसर होने के रिस्क को बढ़ा देता है। ट्रॉमा के दौरान हमारी मानसिक स्थिति कंट्रोल में नहीं होती है। इसका असर फिजिकल हेल्थ पर भी पड़ता है। इस कारण शरीर में कैंसर सेल्स पनपने का खतरा रहता है।

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इमोशनल ट्रॉमा कैसे कैंसर का कारण बन सकता है?

इम्यून सिस्टम कमजोर होना- Weak Immune System

क्रोनिक स्ट्रेस और इमोशनल ट्रॉमा के कारण इम्यून सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है। इसके कारण इम्यूनिटी वीक हो सकती है। ऐसे में इंफेक्शन और बीमारियों का खतरा बढ़ना आसान हो जाता है। इम्यूनिटी वीक होने से बॉडी को डैमेज सेल्स पहचानने में मुश्किल होती है। इस कारण डैमेज सेल्स धीरे-धीरे कैंसर सेल्स में बदलने लगते हैं।

हार्मोन्स में बदलाव होते हैं- Changes In Hormones

लंबे समय तक स्ट्रेस होने से हार्मोन्स इंबैलेंस होना शुरू हो जाते हैं। ट्रॉमा के कारण बॉडी में कोर्टिसोल और दूसरे स्ट्रेस हार्मोन्स इंबैलेंस होना शुरू हो जाते हैं। ऐसे में इंफ्लेमेशन बढ़ने लगती है और डीएनए डैमेज होना शुरू हो जाता है, जिससे कैंसर होने का रिस्क भी बढ़ने लगता है।

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बिहेवियर में बदलाव आना- Behavioural Changes

इमोशनल ट्रॉमा के कारण हमारी मेंटल हेल्थ कंट्रोल में नहीं होती है। इस कारण बिहेवियर में भी बदलाव आते हैं। ऐसे में कई लोग शराब पीने, स्मोकिंग, खराब डाइट लेने और हमेशा सोचते रहने जैसी आदते बना लेते हैं। ये सभी आदतें हार्मोन्स इंबैलेंस और बीमारियों का कारण बनने लगती हैं, जिससे कैंसर का रिस्क हो सकता है।

जीन्स में बदलाव होना- Changes In Genes

लंबे समय तक तनाव या ट्रॉमा में होने के कारण जीन्स में एपिजेनेटिक बदलाव आने लगते हैं। इसके कारण जीन्स में बदलाव होने लगते हैं जिससे कैंसर होने का खतरा हो सकता है।

बॉडी में इंफ्लेमेशन बढ़ना- Inflammation

क्रोनिक स्ट्रेस के कारण बॉडी में इंफ्लेमेशन और क्रोनिक स्ट्रेस बढ़ने लगता है। इनके कारण सेल्स डैमेज होने लगते हैं और बॉडी में स्टोर होने लगते हैं। इंफ्लेमेशन के कारण इन डैमेज सेल्स का पता नहीं चल पाता है, जिससे कैंसर का खतरा हो सकता है।

कई अध्ययनों से पता चलता है कि साइकोलॉजिकल स्ट्रेस बढ़ने के साथ कैंसर का रिस्क भी बढ़ने लगता है। ऐसे में ब्रेस्ट और लंग्स कैंसर होने का खतरा हो सकता है। लेख में हमने जाना इमोशनल ट्रॉमा के कारण कैंसर नहीं होता है। लेकिन ये शरीर में कई बदलाव लाता है, जिससे कैंसर का खतरा हो सकता है।

ओनलीमायहेल्थ के इस लेख में आपको सामान्य जानकारी दी गई है। इस बारे में ज्यादा जानने के लिए एक्सपर्ट से संपर्क करें।

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