Can Diabetes Increase Risk of Respiratory Disease: आज के समय में हर 5 में से 1 व्यक्ति को डायबिटीज है।डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो केवल ब्लड शुगर को प्रभावित नहीं करती, बल्कि शरीर के कई अंगों पर गहरा असर डालती है। इसमें फेफड़े और श्वसन-तंत्र भी शामिल हैं। जब किसी व्यक्ति को डायबिटीज होती है, तो उसके श्वसन-तंत्र को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का जोखिम डायबिटीज के रोगियों में सामान्य लोगों की तुलना में ज्यादा होता है। आइए, जानते हैं कि कैसे डायबिटीज श्वसन-तंत्र और फेफड़ों को प्रभावित करती है। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव से बात की।
डायबिटीज में फेफड़ों की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है
डायबिटीज की बीमारी, फेफड़ों की कार्यक्षमता पर सीधे प्रभाव डालती है। यह पाया गया है कि डायबिटीज रोगियों में फेफड़ों की इलास्टिसिटी कम हो जाती है, जिससे उनके फेफड़े सामान्य रूप से फैलने और सिकुड़ने की क्षमता खो देते हैं। यह स्थिति फेफड़ों की कार्यक्षमता को कमजोर कर देती है और श्वसन-तंत्र पर बुरा असर डाल सकती है। इस कारण, डायबिटीज के रोगियों में श्वसन दर कम हो सकती है और सांस लेने में दिक्कत महसूस हो सकती है।
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इंफ्लेमेशन और इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है
डायबिटीज के कारण शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। हाई शुगर के कारण शरीर में इंफ्लेमेशन (सूजन) बढ़ जाती है, जो फेफड़ों और श्वसन-तंत्र के टिशूज को प्रभावित कर सकती है। इससे फेफड़ों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, डायबिटिक रोगियों में निमोनिया, ब्रोंकाइटिस और टीबी जैसी बीमारियों का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में ज्यादा होता है। खासतौर पर निमोनिया और इन्फ्लुएंजा के मामलों में, डायबिटीज के रोगियों को ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि इन बीमारियों से उबरने में उन्हें ज्यादा समय लग सकता है।
स्लीप एपनिया का खतरा बढ़ जाता है
डायबिटीज और मोटापा अक्सर एक साथ होते हैं, और ये दोनों मिलकर फेफड़ों पर बुरा असर डाल सकते हैं। मोटापे से पीड़ित डायबिटिक रोगी में स्लीप एपनिया (नींद के दौरान सांस रुकने की समस्या) का जोखिम काफी ज्यादा होता है। यह समस्या फेफड़ों और श्वसन-तंत्र पर अतिरिक्त दबाव डालती है और खून में ऑक्सीजन के स्तर को प्रभावित करती है।
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज का जोखिम बढ़ जाता है
डायबिटीज के रोगियों में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) का जोखिम भी बढ़ सकता है। यह एक गंभीर श्वसन रोग है जिसमें सांस लेने में मुश्किल होती है। सीओपीडी के मामलों में फेफड़ों की कार्यक्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है और डायबिटीज रोगियों में यह स्थिति और गंभीर हो सकती है क्योंकि उनकी इम्यूनिटी पहले से ही कमजोर होती है। इसके अलावा, अगर डायबिटीज रोगी धूम्रपान करता है, तो यह जोखिम और भी ज्यादा हो जाता है।
डायबिटीज में फेफड़ों और श्वसन-तंत्र से जुड़ी बीमारियों से कैसे बचें?- How to Prevent Respiratory Disease in Diabetes
डायबिटीज रोगियों को अपने श्वसन-तंत्र और फेफड़ों की सेहत पर विशेष ध्यान देना चाहिए। फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए इन उपायों की मदद ले सकते हैं-
- ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखें।
- धूम्रपान से बचें, क्योंकि यह फेफड़ों की बीमारियों का मुख्य कारण है।
- नियमित एक्सरसाइज और शारीरिक गतिविधि करें, जो फेफड़ों की कार्यक्षमता को बेहतर बनाए रखती है।
- संक्रमण से बचने के लिए समय-समय पर फ्लू और निमोनिया के टीके लगवाएं।
- डायबिटीज में स्वस्थ रहने के लिए एक्सरसाइज करें और कम से कम 1 घंटा वॉक करें।
- हेल्दी डाइट पर फोकस करें और अपनी डाइट में फाइबर, कैल्शियम, प्रोटीन आदि को शामिल करें।
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