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Breast Cancer Awareness Month 2025: क्या स्तनपान करवाने से ओवेरियन कैंसर का खतरा कम होता है?

Breast Cancer Awareness Month 2025: ब्रेस्ट कैंसर और ओवेरियल कैंसर के बीच कनेक्शन है क्योंकि ये दोनों एक जैसे ही जेनेटिक म्यूटेशन से जुड़े हुए हैं। ऐसे में जानते हैं स्तनपान करवाने से ओवेरियन कैंसर का खतरा कैसे कम होता है?
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Breast Cancer Awareness Month 2025: क्या स्तनपान करवाने से ओवेरियन कैंसर का खतरा कम होता है?


Breast Cancer Awareness Month 2025: अक्टूबर स्तन कैंसर जागरूकता माह है। यह पूरा माह, स्तन कैंसर से प्रभावित लाखों लोगों का सम्मान करने और इस बीमारी के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए जाना जाता है। इतना ही नहीं इस महीने में हम उन तमाम कारणों पर बात करते हैं जो कि ब्रेस्ट कैंसर का कारण हैं। इसके अलावा ब्रेस्ट कैंसर से कैसे बचा जाए, इन तमाम बातों पर भी इस महीने खूब चर्चा होती है। ऐसे में आज हम बात करेंगे ओवेरियन कैंसर की जो कि ब्रेस्ट से जुड़ा हुआ है।

आप सोच रहे होंगे कि इन दोनों के बीच क्या कनेक्शन हैं तो बता दें कि स्तन कैंसर और ओवेरियन कैंसर (breast cancer and ovarian cancer connection), विशेष रूप से वंशानुगत जीन म्यूटेशन के माध्यम से जुड़े हुए हैं खासतौर पर BRCA1 और BRCA2 जीन में, जो दोनों कैंसर के विकास के जोखिम को काफी बढ़ा देते हैं। इसके अलावा भी ये दोनों ही हार्मोनल बदलावों से जुड़े हुए हैं। साथ ही एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन दोनों कैंसर के विकास में भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए, मेनोपॉज के दौरान हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी से ओवेरियल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है, जबकि ओरल गर्भनिरोधक दवाओं के इस्तेमाल से भी वजाइनल कैंसर और स्तन कैंसर का खतरा थोड़ा बढ़ जाता है। तो आइए पहले जानते हैं ब्रेस्टफीडिंग से ब्रेस्ट कैंसर का खतराकैसे कम होता और फिर जानेंगे डॉ. अनुपमा गंगवाल सीनियर कंसलटेंट ऑब्सट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी कोकून हॉस्पिटल जयपुर से कि स्तनपान  से ओवेरियन कैंसर का खतरा कैसे कम होता है?

ब्रेस्टफीडिंग से कम होता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा

ब्रेस्टफीडिंग से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम हो सकता है। Breast Cancer Research Foundation की मानें तो ब्रेस्टफीडिंग करनाने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा, ब्रेस्टफीडिंग न करवाने वाली महिलाओं की तुलना में ज्यादा होता है। इतना ही नहीं लैंसेट ने 2016 में रिपोर्ट दी थी कि स्तनपान की वर्तमान दरें हर साल स्तन कैंसर से होने वाली लगभग 20,000 मौतों को सीधे तौर पर रोकती हैं और दुनिया भर में स्तनपान को बढ़ाकर हर साल अतिरिक्त 20,000 लोगों की जान बचाई जा सकती है। इतना ही नहीं ब्रेस्टफीडिंग से वजाइनल कैंसर का खतरा भी काफी कम होता है। इसके अलावा NIH की मानें तो स्तनपान कराने से स्तन कैंसर का खतरा हर 12 महीने में 4.3% कम हो जाता है।

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क्या स्तनपान करवाने से ओवेरियन कैंसर का खतरा कम होता है?

डॉ. अनुपमा गंगवाल बताती हैं कि ''स्तनपान करवाना न सिर्फ मां और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह महिलाओं में कई प्रकार के कैंसर के खतरे को भी कम करता है। खासकर ओवेरियन कैंसर यानी अंडाशय के कैंसर का रिस्क स्तनपान कराने वाली महिलाओं में अपेक्षाकृत कम देखा गया है।''

ovarian cancer

जब महिला स्तनपान कराती है, तो अंडाशय हर महीने अंडाणु बनाने की प्रक्रिया से कुछ समय के लिए आराम करता है। इस वजह से हार्मोनल उतार-चढ़ाव कम होते हैं और कोशिकाओं में असामान्य बदलाव का जोखिम घटता है।

PubMed Central की ये शोध बताती है कि अगर कोई महिला अपने जीवन में कम से कम 12 महीने या उससे अधिक समय तक स्तनपान कराती है, तो ओवेरियन कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। हालांकि, स्तनपान पूरी तरह से कैंसर से बचाव की गारंटी नहीं है, लेकिन यह एक प्राकृतिक और सुरक्षित तरीका है जो लंबे समय तक महिला की प्रजनन से जुड़ी सेहत को बेहतर बना सकता है।

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इसलिए डॉक्टर, महिलाओं को प्रोत्साहित करते हैं कि वे बच्चे के जन्म के बाद जितना संभव हो उतने समय तक स्तनपान कराएं, ताकि मां और बच्चे दोनों को इसका पूरा लाभ मिल सके। कोशिश करें कि कम से कम 6 महीने तक तो बच्चे को जरूर ब्रेस्टफीड करवाएं।

FAQ

  • ओवेरियन कैंसर के आपके पहले लक्षण क्या थे?

    ओवेरियन कैंसर का पहला लक्षण है पैल्विक हिस्से में दर्द, पेट के निचले हिस्से में दर्द, बेचैनी और सूजन। ओवेरियन कैंसर की वजह से वजाइनल ब्लीडिंग हो सकती है। इसके अलावा सेक्स के दौरान तेज दर्द और पेट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
  • बच्चेदानी का कैंसर कैसे पता चलता है?

    बच्चेदानी का कैंसर काफी गंभीर बीमारी है और इस स्थिति में कई बार बच्चेदानी को बाहर निकालना पड़ सकता है। डॉक्टर फिजिकल एग्जामिनेशन, ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड और एंडोमेट्रियल बायोप्सी के जरिए इसका पता लगा सकते हैं।
  • ओवरी में ट्यूमर कैसे होता है?

    ओवरी में ट्यूमर तब होता है जब अंडाशय के सेल्स तेजी से कंट्रोल बढ़ने लगते हैं अनियंत्रित रूप से जमा होकर एक गांठ बना लेती हैं और यही ट्यूमर का रूप ले लेता है।  

 

 

 

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  • Oct 01, 2025 16:56 IST

    Published By : Pallavi Kumari

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