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Sleep Talking: बच्चा सो रहा है, तो उसके साथ करें बातचीत, मिलते हैं कई जबरदस्त फायदे

Talking to your Sleeping Child in Hindi Benefits: बच्चे के नींद में उससे बातें करने से उसका गुस्सा कंट्रोल होता है और आदतें बेहतर होती हैं। 
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Sleep Talking: बच्चा सो रहा है, तो उसके साथ करें बातचीत, मिलते हैं कई जबरदस्त फायदे


Talking to your Sleeping Child in Hindi Benefits: जब बच्चा सो जाता है, तो अक्सर माएं अपने बच्चे के माथे को चूमती है और बहुत सारा दुलार करती है। क्या कभी आपने अपने सोते हुए बच्चे के साथ बातचीत भी की है? शायद ही कोई पेरेंट्स ऐसा करते हैं। लेकिन, आपको बता दें अगर आप अपने सोते हुए बच्चे के साथ बातचीत करते हैं, तो इससे उसे कई फायदे मिल सकते हैं। इस संबंध में हमने बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पवन मंडाविया से बात की। पेश है, बातचीत के महत्वपूर्ण अंश।

कैसे करें स्लीप टॉकिंग

how to do sleep talk with kids

स्लीप टॉकिंग सामान्य बातचीत के तरीके से अलग होती है। इस प्रक्रिया को करने से पहले आप यह सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा सो गया है। उसके सोने के करीब एक से दो घंटे बाद बच्चे के पास जाएं। बातचीत की शुरुआत ऐसे करें, ‘हाय बेटा, मैं आपकी मां/पिता हूं।’ कुछ देर तक इसी लाइन को दोहराएं, ताकि वह नींद में भी आपकी आवाज को पहचान सकें। इसके बाद, बातचीत का सिलसिला दोहराना है। इस दौरान आपको सिर्फ लव फ्रेज या वो बात बोलनी है, जो बदलाव आप अपने बच्चे में देखना चाहते हैं। ध्यान रखें कि बातचीत के दौरान कभी भी नेगेटिव लाइनों का उपयोग नहीं करना है, जैसे ‘बेटा खाना वेस्ट करना अच्छी बात नहीं होती है।’ इसके बजाय, आपको कहना है, ‘बेटा खाना पूरा फिनिश करता है।’ आप जितनी पोजिटिव अंदाज में बात करेंगे, बच्चे को स्लीप टॉकिंग का उतना ही फायदा मिलेगा। इस तरह की तकनीक 2 से 12 साल तक के बच्चे के लिए कारगर होती है। जब आप इस प्रक्रिया को शुरू करें, तो कम से कम 4 सप्ताह तक रोजाना ऐसा करें।

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सोते बच्चे से बात करने के फायदे - Benefits Of Talking To Your Sleeping Child

 

 

 

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क्रिएटिविटी बढ़ती है - Improves Creativity

जब पेरेंट्स अपने बच्चे को सुला देते हैं और इसके बाद उनके साथ अच्छी-अच्छी बातें करते हैं, तो इससे बच्चे के सबकॉन्शस माइंड यानी अवचेतन मन को बहुत फायदा होता है। अवचेतन अवस्था में अपने पेरेंट्स की बातें सुनने से उसे खुशी मिलती है और उसके मन में पोजिटिविटी आती है। ये बातें, उसकी क्रिएटिटिवटी को बढ़ावा देने में मदद करती है।

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बिहेवियर पोजिटिव होता है - Improves Behaviour

positive behaviour

मौजूदा समय में हम सभी जानते हैं कि बच्चों को मोबाइल से दूर नहीं रखा जा सकता है। मोबाइल के बहुत ज्यादा इस्तेमाल करने के कारण बच्चे बहुत ज्यादा उग्र और गुस्सैल हो गए हैं। यही नहीं, उनके बिहेवियर में भी नेगेटिविटी झलकती रहती है। वहीं, अगर आप अपने सोते हुए बच्चे के साथ बातचीत करते हैं, तो इससे बच्चे के बिहेवियर में पोजिटिव बदलाव देखने को मिलते हैं। वे दूसरों के साथ अच्छी तरह पेश आने लगता है, अपनी चीजें शेयर करने लगता है और उसमें चीजों को देखने का नजरिया भी बेहतर हो जाता है।

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गुस्सा कम होता है - Control Anger

अगर आपके बच्चे में बहुत ज्यादा गुस्सा है और वह अपने गुस्से कंट्रोल नहीं कर पाता है, तो ऐसी स्थिति में भी आप अपने बच्चे की नींद में उससे बातें करें। उससे कहें कि वह कितना शांत बच्चा है और सबके साथ हंस-बोलता है। सबके साथ मिलजुल कर रहता है। इस तरह की बातें, उसका गुस्सा शांत करेंगी और दोस्त बनाने में भी मदद करेगी।

आदतों में सुधार होता है - Improve habits

कुछ बच्चों में बहुत बुरी आदतें भी होती हैं, जैसे दूसरों बच्चों को मारना, किसी की बात न मानना या जिद करना। हर पेरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चों में इस तरह की गंदी आदतें न हों। वे सबके साथ घुल-मिलकर रहे और अपनी चीजें शेयर करे, किसी से मारपीट न करें। इन आदतों में सुधार के लिए पेरेंट्स अपने सोते हुए बच्चे से कह सकते हैं कि मेरा बेटा सबके साथ अपने टॉएज शेयर करता है, उसे दोस्तों के साथ खेलना पसंद है। ऐसी बातें सुनने से उसमें सुधार की संभावना बढ़ जाती है।

image credit: freepik

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