Yoga in sciatica: साइटिका, में साइटिक नर्व में दर्द शुरू होता है और पूरी पीठ में यह महसूस हो सकता है। यह तब होता है जब रीढ़ की हड्डी में हर्नियेटेड डिस्क या हड्डी का स्पर तंत्रिका पर प्रेशर पड़ता है। इसमें रीढ़ की हड्डी से लेकर पैरों तक दर्द होता है और यह पूरे शरीर में महसूस हो सकता है। इस स्थिति में योग करना मददगार हो सकता है। योग से साइटिक नर्व में उठने वाला दर्द कम हो सकता है और यह स्थिति को काबू करने में मदद कर सकता है। ऐसा ही एक योग है वृक्षासन जो कि साइटिक नर्व में होने वाले दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। आइए , Taarika Dave, Holistic Life Coach and Yoga Expert at Luke Coutinho Holistic Healing Systems से जानते हैं इसे कैसे करें और साइटिका में वृक्षासन करने के फायदे क्या हैं।
साइटिका में वृक्षासन-Vrikshasan in Sciatica
वृक्षासन या ट्री पोज एक संतुलित आसन है जो स्थिरता, ध्यान और शक्ति के निर्माण के लिए फायदेमंद है। यह धरती में मजबूती से जड़े हुए पेड़ की तरह है। हालांकि यह सरल लगता है, लेकिन इसके लाभ बहुत गहरे हैं, खासकर जब जागरूकता और सही संरेखण के साथ इसका अभ्यास किया जाए तो। विशेषज्ञ की देखरेख में किए जाने पर वृक्षासन साइटिका की रिकवरी और रोकथाम में एक चिकित्सीय भूमिका निभा सकता है। यह इस स्थिति में विशेष रूप से काम करता है, जैसे कि
- -यह साइटिक तंत्रिका का समर्थन करने वाली मांसपेशियों को मजबूत करता है।
- -पैरों, ग्लूट्स, कोर और रीढ़ को सक्रिय करता है, जो पीठ के निचले हिस्से को सहारा देता है और तंत्रिका पर दबाव को कम करता है।
- -मांसपेशियों के असंतुलन को ठीक करने में मदद करता है जो अक्सर साइटिका का कारण बनता है या उसे खराब करता है।
- -मुद्रा और पोस्चर में सुधार करता है जिससे साइटिका के दर्द में कमी आती है।
साइटिका में वृक्षासन करने के फायदे-Vrikshasan tree pose benefits in Sciatica in Hindi
विशेष रूप से लंबे समय तक बैठने से साइटिका की समस्या परेशान कर सकती है। यह मुद्रा इस बारे में जागरूकता पैदा करती है कि कैसे लंबा खड़ा होना है और वजन को समान रूप से वितरित करना है। जब आप वृक्षासन करते हैं तो यह कूल्हे के खुलने और लचीलेपन को बढ़ावा देता है। यह धीरे-धीरे कूल्हों को खोलता है, पिरिफोर्मिस मांसपेशी में जकड़न को कम करता है, जो कुछ मामलों में साइटिक तंत्रिका (पिरिफोर्मिस सिंड्रोम) को संकुचित कर सकता है। इसके अलावा तंत्रिका तंत्र को शांत और ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित करता है। गहरी, स्थिर सांसों के साथ सही वृक्षासन करने से तंत्रिका तंत्र को शांत करने और मांसपेशियों के तनाव को कम करने में मदद मिलती है जिससे साइटिका के दर्द में कमी आती है।
वृक्षासन कैसे करें-How to do Vrikshasan or tree pose
पैरों को कूल्हे की चौड़ाई से अलग करके, रीढ़ की हड्डी को फैलाकर, भुजाओं को बगल में आराम से रखकर सीधे खड़े हो जाएं। दोनों पैरों के चारों कोनों को जमीन पर टिकाएं। अपने बाएं पैर पर वजन डालें। खड़े पैर को स्थिर करने के लिए अपनी कोर और जांघ की मांसपेशियों को सक्रिय करें।
- -अब दायां घुटना मोड़ें।
- -आंतरिक जांघ पर दायां पैर रखें और संतुलन बनाएं।
- -पैर को घुटने के जोड़ पर रखने से बचें।
- -बाहों को फैलाकर रखें।
- -हथेलियों को छाती पर नमस्ते की मुद्रा में लाएं।
- -दोनों हाथों को ऊपर की ओर फैलाएं, कंधों को आराम दें।
आंतरिक संतुलन के लिए आंखें बंद करके अभ्यास करें। संतुलन बनाए रखने के लिए अपनी निगाह को आंखों के स्तर पर या थोड़ा नीचे की ओर एक बिंदु पर स्थिर करें। गहरी सांस लें, धीरे-धीरे सांस छोड़ें। 10-30 सेकंड के लिए मुद्रा में रहें। धीरे से छोड़ें और दूसरी तरफ दोहराएं।
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कब करें वृक्षासन-When to Practice Vrikshasan
सुबह या शाम को खाली पेट अभ्यास करना, वृक्षासन का सबसे सही समय है। लेकिन, इसे करने से पहले वार्म-अप स्ट्रेच कर लें।
सावधानियां
हालांकि, कुछ सावधानियां भी हैं जिनका पालन करना चाहिए। साइटिका के रोगियों को वृक्षासन का अभ्यास केवल प्रशिक्षित योग चिकित्सक के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए। सही संरेखण यानी योग की मुद्रा महत्वपूर्ण है, क्योंकि छोटी सी गलती भी असुविधा को बढ़ा सकती है। अगर आपको साइटिका का तेज दर्द हो रहा है तो इसे करने से बचें। यह मुद्रा रिकवरी के दौरान सहायक है, गंभीर दर्द के दौरान नहीं। मुद्रा के दौरान आंखें बंद करने से बचें विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिक, चक्कर आने वाले लोग या संतुलन की समस्या वाले लोग हमेशा दीवार या कुर्सी का सहारा लें और तभी यह योग करें।
साइटिका से बचाव के लिए योग के साथ इन बातों का रखें ध्यान। जैसे कि अत्यधिक बैठने या गतिहीन आदतों से बचें। अपने कार्यस्थल के एर्गोनोमिक सेटअप की जांच करें। चलते, बैठते और उठाते समय दैनिक मुद्राएं ठीक करें। गंभीर मामलों में फिजियोथेरेपी, मैनुअल थेरेपी या कायरोप्रैक्टिक सहायता पर विचार करें। तंग ग्लूट्स, हैमस्ट्रिंग, हिप फ्लेक्सर्स और कोर को मजबूत रखें। इसे धैर्य के साथ और अन्य जीवनशैली में बदलाव के साथ ठीक से करने की जरूरत है और साइटिका के पीछे मूल कारण को संबोधित करें।
FAQ
साइटिका होने का मुख्य कारण क्या है?
साइटिक होने का मुख्य कारण है साइटिक नर्व पर प्रेशर जो कि गलत पोस्चर से लेकर खराब लाइफस्टाइल की वजह से भी हो सकता है।साइटिका कितने दिन तक रहती है?
साइटिका का दर्द लंबे समय तक रह सकता है। यह दर्द हफ्तेभर से लेकर 10 दिन तक भी रह सकता है। इसलिए इस कभी भी यूंही नजरअंदाज न करें और कारणों पर ध्यान देते हुए इलाज करवाएं।साइटिका में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?
साइटिका में जितना हो सके उतना एंटी इंफ्लेमेटरी फूड्स का सेवन करें जैसे कि हल्दी, अदरक और काली मिर्च। इसके अलावा आप बाहर के प्रोसेस्ड फूड्स और तेल से बनी चीजों के सेवन से बचना चाहिए।