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अर्थराइटिस में बेहद फायदेमंद है शलाई गुग्गल (बोसवेलिया सेराटा), एक्सपर्ट से जानें फायदे और इस्तेमाल का तरीका

अर्थराइटिस के मरीजों को सर्दियों में अर्थराइटिस से जुड़ी समस्या ज्यादा परेशान करती है। ऐसे में जरूरी है कि आप उन उपायों को अपनाएं जो कि जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं। जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
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अर्थराइटिस में बेहद फायदेमंद है शलाई गुग्गल (बोसवेलिया सेराटा), एक्सपर्ट से जानें फायदे और इस्तेमाल का तरीका


अर्थराइटिस, एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें हमारा इम्यून सिस्टम हमारी ही शरीर की हड्डियों और जोड़ों पर हमला कर देती है। ऐसी स्थिति में हड्डियों के टिशूज डैमेज होने लगते हैं और जोड़ों में सूजन के साथ दर्द रहता है। ये एक तरह से हड्डियों का डिजेनरेशन है जो कि समय के साथ बढ़ता जाता है। ऐसी स्थिति में कुछ आयुर्वेदिक जड़ीबूटियां आपके काम आ सकती हैं जैसे कि बोसवेलिया सेराटा (boswellia serrata in hindi) जिसे आम भाषा में शलाई गुग्गल भी कहते हैं। इसका इस्तेमाल सूजन और जोड़ों की समस्या को कम करने में मदद कर सकता है। कैसे और इसका सेवन किस तरह से किया जा सकता है? जानते हैं इस बारे में आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से।

अर्थराइटिस में कैसे फायदेमंद है शलाई गुग्गल-How boswellia serrata works for arthritis

आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि बोसवेलिया सेराटा (boswellia serrata in hindi), जिसे शलाई गुग्गल के नाम से भी जाना जाता है, एक जड़ी-बूटी है जिसका उपयोग सदियों से पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में गठिया सहित विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता रहा है खासकर कि सूजन से जुड़ी समस्याओं में। अर्थराइटिस में हड्डियां बेहद तेजी से प्रभावित होती हैं और जोड़ों का दर्द तेजी से बढ़ता है। ऐसी स्थिति में शलाई गुग्गल वात शामक और आम पाचक के रूप में काम करता है और अस्थि यानी हड्डियों में टॉक्सिन्स को कम करने में मदद करता है। इतना ही नहीं ये हड्डियों के बीच होने वाली घर्षण और खिंचाव को भी कम करने में मदद करता है जिससे अर्थराइटिस के मरीजों को बेहतर महसूस करता है।

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अर्थराइटिस में शलाई गुग्गल के फायदे-boswellia serrata benefits for arthritis

गठिया के लिए बोसवेलिया सेराटा यानी शलाई गुग्गल कई प्रकार से फायदेमंद है। ये सूजन-रोधी गुणों से भरपूर है। इसमें बोसवेलिक एसिड जैसे यौगिक होते हैं, जिनमें शक्तिशाली सूजन-रोधी प्रभाव होते हैं। यह गठिया से जुड़े दर्द और बेचैनी को कम करने में मदद कर सकता है। बोसवेलिया सूजन को कम करके और गतिशीलता में सुधार करके जोड़ों के स्वास्थ्य का समर्थन करता है इससे हड्डियों के बीच होने वाली अकड़न में कमी आती है। NIH की रिपोर्ट बताती है बोसवेलिया सेराटा का अर्क जोड़ों की गतिशीलता और शारीरिक कार्यक्षमता में सुधार कर सकता है, जो जोड़ों के दर्द और हड्डियों के क्षरण को रोकने में कारगर है। इसके एंटीऑक्सीडेंट ऑक्सीडेटिव तनाव से निपटने में मदद कर सकते हैं जिससे हड्डियों के डिजेनरेशन में कमी आती है।

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अर्थराइटिस में बोसवेलिया सेराटा का उपयोग कैसे करें-How to use boswellia serrata for arthritis

बोसवेलिया सप्लीमेंट कैप्सूल या टैबलेट के रूप में उपलब्ध हैं लेकिन आप इसका तेल बनाकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। Arthritis Foundation दिन में तीन बार 300-400 मिलीग्राम लेने का सुझाव देता है हालांकि, किसी एक्सपर्ट की राय से ही इसका सेवन करें।

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बोसवेलिया कुछ दवाओं, जैसे रक्त पतला करने वाली दवाओं के साथ रिएक्ट कर सकती है इसलिए इसके सेवन से बचें। गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान बोसवेलिया का उपयोग करने से पहले किसी स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से परामर्श लें। गठिया के लिए बोसवेलिया सेराटा के संभावित लाभ आशाजनक हैं हालांकि, इसके प्रभावों को पूरी तरह से समझने के लिए और अधिक शोध की जरूरत है।

FAQ

  • अर्थराइटिस की बीमारी क्यों होती है?

    आर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही ऊतकों पर हमला कर देती है जिससे जोड़ों में सूजन और दर्द की समस्या होती है। जोड़ों में यूरिक एसिड, मोटापा, उम्र बढ़ना, चोट, आनुवंशिकता और संक्रमण भी इस बीमारी की वजह बन सकती है।
  • अर्थराइटिस में क्या खाएं क्या ना खाएं?

    अर्थराइटिस में आप अंडा, दूध, मछली, नट्स, फल, सब्जियां और साबुत अनाजों का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन करना अर्थराइटिस की समस्या को बढ़ा सकता है इसलिए आपको मीठे और लाल मांस के सेवन से बचना चाहिए।
  • क्या गठिया में गर्म पानी पीना चाहिए या ठंडा?

    गठिया के लिए गर्म पानी पीना ब्लड सर्कुलेशन को तेज करने के साथ जोड़ों की अकड़न को कम करने में मदद करता है। जबकि, ठंडा पानी पीना ब्लड सर्कुलेशन को कम करता है जिससे सूजन में कमी आ सकती है।

 

 

 

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  • Current Version

  • Oct 20, 2025 08:32 IST

    Modified By : Pallavi Kumari
  • Oct 20, 2025 08:32 IST

    Published By : Pallavi Kumari

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