सभी महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कई तरह के अनुभव होते हैं और उनकी जीवन में कई तरह के बदलाव होते हैं। गर्भधारण करने से लेकर बच्चे के जन्म तक बच्चे की मां को काफी परेशानियों का तो सामना करना पड़ता है लेकिन इस बीच उन्हें कई ऐसी चीजों का भी अनुभव होता है जो उनके जीवन में बहुत अहम होते हैं। ऐसा ही है गर्भावस्था के दौरान बच्चों का पेट में लात मारना। बच्चे की किक को लेकर अक्सर महिलाओं में काफी उत्साह होता है और किक लगने पर उन्हें एक अलग ही खुशी का अहसास होता है।गर्भावस्था के दौरान फीटल किक आमतौर पर चौथे महीने में शुरू हो जाती है, लेकिन कुछ महिलाओं में फीटल किक देर से आरंभ होता है। लेकिन इसमें घबराने की कोई बात नहीं। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि ऐसा क्यों होता है और कब होता है।
बच्चे का लात मारने का मतलब ये नहीं कि बच्चा किसी परेशानी में है, बल्कि लात मारना उसके स्वस्थ होने का एक संकेत माना जाता है। गर्भावस्था के दौरान अक्सर देखा जाता है कि जब बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा होता है तो बच्चा पेट में मूमेंट करता रहता है। इसके अलावा बच्चे के आसपास जब वातावरण में बदलाव होता है तो वो इसपर तुरंत प्रतिक्रिया दिखाता है। ऐसा ज्यादातर तब देखा जाता है जब बच्चा बाहरी आवाज सुनते हैं। वहीं, अगर आपके बच्चे की किक न के बराबर होती है तो ऐसे में माना जाता है कि बच्चे को ऑक्सीजन की समस्या हो रही है। ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर से इस पर बात करनी चाहिए।
इस समय मारता है आपका बच्चा किक
आपको बता दें कि जब बच्चा गर्भ में नौ हफ्ते पूरे कर लेता है तब ये किक मारना शुरू करता है। 36वें हफ्ते के बाद बच्चे का लात मारना काफी कम होता है। दरअसल एक समय ऐसा आता है जब बच्चा गर्भ में 40-50 मिनट तक आराम करता है। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि आपके बच्चे के शरीर का आकार बढ़ता रहता है जिसकी वजह से वह ज्यादा हिल नहीं पाता है, इसलिए बच्चे की मां को भी लात का अहसास नहीं होता।
इसे भी पढ़ें: आपके दूध में फैट की कमी से पोषण से वंचित हो रहा है शिशु? जानें कैसे बढ़ाएं ब्रेस्टमिल्क में फैट
बाईं करवट पर बच्चे किक होती है ज्यादा महसूस
जरूरी नहीं कि बच्चा एक ही बार किक मारे या फिर बच्चा थोड़ी थोड़ी देर में किक मारता रहे। कई बार जब बच्चे की मां जब बाईं करवट पर लेटती है तब बच्चे का किक मारना बढ़ जाता है, क्योंकि जब बच्चे की मां बाईं ओर करवट पर लेटती है तो शरीर में रक्त की आपूर्ति बढ़ जाती है। जिसके कारण बच्चे की हलचल बढ़ जाती है।
इसे भी पढ़ें: कैंसर के अलावा इन कारणों से भी हो सकती है आपके स्तन में गांठ, इस तरह करें पहचान
अन्य कारण
- पहली बार किक में और दूसरी बार की किक में बच्चा थोड़ा समय लेता है और इसका अनुभव भी अलग होता है लेकिन जब आप प्रतिदिन बच्चे की किक महसूस करेंगी तो यह आपके पहले दिन के अनुभव से एकदम अलग होगा, यानी जरूरी नहीं कि बच्चे की किक के दौरान आपको हर बार एक जैसा ही महसूस हो।
- अकसर गर्भवती महिलाओं के मन में बच्चे की किक को लेकर सवाल उठते हैं लेकिन इन सवालों के जवाब में यदि आप गौर करेंगी तो अपने बच्चे की दिनभर में मारी गई किक को आप आराम से नोट कर सकती हैं।
- बीसवे हफ्ते तक ज़्यादातर महिलाओं को फीटल किक्स के बारे मे पता चल जाता है बल्कि इस समय तक एक माँ को अपने बच्चे के सोने और जागने की साइकिल का भी पता लग जाता है ऐसा कई महिलाओं मे देखा गया है की उन्हे पहले फेटल किक का एहसास करीब चौबीस हफ्ते बाद होता है लेकिन यह बिल्कुल सामान्य है।
Read More Article On Women's Health In Hindi