गर्भावस्था का 35वां सप्ताह हर महिला के लिए एक महत्वपूर्ण वक्त होता है। ऐसे में आपको और भी सावधान होने की आवश्यकता है। इस स्थिति में डॉक्टर आपको डिलीवरी की संभावित तारिख दे देते हैं। तो हमारा उस समय सतर्क होना बेहद जरूरी है। इस समय बैचेनी बढ़ने लगती है और शरीर में कई तरह के बदलाव होने लगते हैं जो आपकी और आपके होने वाले बच्चे की सेहत के लिए काफी हानिकारक हो सकते हैं। जानें गर्भावस्था के 35वें सप्ताह शुरू होने के बाद कैसे करें अपने बच्चे की देखभाल-
गर्भावस्ता के शुरूआती दिनों में 35वें हफ्ते तक का समय तक सफर बहुत ही लंबा लगता है। लेकिन जितना ज्ल्दी यह समय नजदीक आने लगता है आपकी बैचेनी बढ़ने लगती है। गर्भावस्था के 35वां हफ्ता महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण समय होता है। इस समय उनके शरीर में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। इसलिए महिलाओं को इन दिनों काफी सतर्क रहने की जरूरत होती है। 35वें हफ्ते के शुरूआत के साथ ही महिलाओं को बैचेनी की समस्या होने लगती है। ऐसे में आपको अपने गर्भ में पल रहे बच्चे ध्यान रखना बहुत ही जरूरी होता है। इस समय में बेहतर है कि डॉक्टर की निगरानी में रहें। जो महिलाएं पहली बार गर्भवती होती हैं तो उन्हें प्रसव को लेकर ज्यादा चिंति होने की आवश्यकता नहीं है। डॉक्टर से कुछ भी पूछने में संकोच न करें वे जो भी सलाह व जानकारियां दे उनका पालन करें।
बच्चा जब पेट में हलचल करता है तो इसका एहसास बेहद ही खास होता है। यह एहसास होने पर उसकी तिथि और समय को डायरी में लिखकर रखना बहुत ही अच्छा होगा। ऐसा करना आपको बच्चे के सोने के पैटर्न को ध्यान में रखने के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। बेहतर है कि जो समय बच्चे के सोने का होता है उसी समय आपको भी सो जाना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान आपका वजन बढ़ना स्वाभाविक है इससे घबराएं नहीं। इस दौरान फल और सब्जियों का सेवन अधिक करें। इसके अलावा आयरन और कैल्शियम का सेवन उचित मात्रा में करें।
बच्चे का विकास
आमतौर पर गर्भावस्था के 35वें सप्ताह में 18 इंच लंबा और वजन लगभग पांच से छह पाउंड होता है। लेकिन हमेशा इन आंकड़ों को सही नहीं माना जा सकता। इस हफ्ते तक बच्चे के अंगों का विकास पूरी तरह से हो जाता है। इस दौरान जिगर और गुर्दा अपशिष्ट पैदा करना शुरू कर देते है और गर्भाश्य में बच्चे की घूमने की जगह को कम कर देता है। इसके चलते आपको बच्चे की हलचल कम देखने को मिल सकती है।
बच्चे के जन्म के समय समय उससे बातें करना बहुत ही अच्छा होता है। यह समय बच्चे से बात करने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। यह जन्म से पहले आपसी संबंधों को मजबूत करता है। ऐसा करने से जब जन्म के बाद वे आपकी आवाज सुनते हैं तो उस पर प्रतिक्रिया देते हैं। बच्चे से बात करने के लिए तुतलाहट में बात करना बहुत ही अच्छा होता है। यह देखने में मूर्खतापूरण तो लगता है लेकिन इस तरह तुतलाहकर बात करने से बच्चा आपकी बातों का जवाब अधिक देता है।
35वें सप्ताह पैदा होने वाले ब्च्चों की जिंदा रहने की संभावना 99 फीसदी तक होती है और उनकी तंत्रिका तंत्र और संचार प्रणाली पूरी तरह काम करना शुरू कर देती है। इसके अलावा बच्चे के फेफड़ों का विकास भी 99 प्रतिशत तक हो जाता है।
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क्या-क्या परिवर्तन हो सकते हैं-
गर्भावस्था के 35वें सप्ताह में आपका वजन लगभग 24 से 29 पाउंड तक बढ़ सकता है। इस दौरान गर्भाशय नाभी से लगभग 6 इंच उपर हो जाता है। बच्चे का सिर श्रोणि के निचले हिस्से में जाना शुरू कर देता है। ब्च्चे की स्थिति में बदलाव के कारण आपको सांस लेने में थोड़ी परेशानी हो सकती है। जैसे-जैसे समय आगे बढ़ेगा बच्चा अपने स्थान में थोड़ा-थोड़ा परिवर्तन करेगा। जिससे आपको सांस लेने की तकलीफ ही ठीक हो जाएगी।
बच्चे की श्रोणि में जाने की प्रक्रिया को लाइटनिंग कहते हैं। इस स्थिति में आपको बार-बार पेशाब आना और श्रोणि क्षेत्र में झुनझुनी भी महसूस होना सामान्य है। ऐसा श्रोणि नसों पर दबाव के कारण होता है। इससे राहत पाने के लिेए आप केजेल व्यायाम का अभ्यास शुरू कर सकते हैं। इससे आपको सांस लेने में आराम मिलेगा। श्रोणि क्षेत्र पर दबाव पड़ने पर आपको पैर में दर्द महसूस हो सकता हैं। गर्भावस्था के इस समय के दौरान आपको ज्यादा न चलने और तैराकी से दूर रहने की सलाह भी दी जाती है।
इस समय के दौरान आपको ज्यादा मेहनत वाले काम से बचने की सलाह दी जाती है। आरामदायक स्थिति में नींद लेने की कोशिश करें और ज्यादा से ज्यादा आराम करें। गर्भावस्था के इस स्तर पर आपको स्तनों का आकार बदलना, कब्ज, थोड़े-थोड़े समयमें टॉयलेट जाना, अपच और बवासीर जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं।
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क्या उम्मीद की जाती है
डॉक्टर गर्भावस्था के अंतिम हफ्तों में जांच के लिए बुलाते हैं। यह गर्भावस्था का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान आप डॉक्टर से अपने होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में जान सकती हैं और यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि बच्चा नीचे सिर की स्थिति में पैदा होने के लिए तैयार है या नहीं। डॉक्टर आपके ब्लडप्रेशर, यूरिन टेस्ट बच्चे की स्थिति और उसकी दिल की धड़कन की निगरानी करते हैं और आपको सप्ताह में एक बार जांच कराने की सलाह देते हैं।
इस दौरान सोने में आपको थोड़ी तकलीफ हो सकती है। आपको बायीं ओर करवट लेकर सोने की कोशिश करनी चाहिए इसके अलावा बैठने की स्थिति में पीठ के नीचे तकिया लगाकर लेटना भी काफी आरामदायक होता है। पैर, हाथ और चेहरे पर थोड़ी सूजन देखने को मिल सकती है। यदि सूजन के साथ सिर दर्द और मतली जैसी समस्या होती है तो ऐसे में तुरंत डॉक्टर के पास जाना जरूरी है। तनाव से दूर रहें इस समय थोड़ा भी तनाव होने पर मूत्र-रिसाव जैसी समस्या हो सकती है ऐसा होनो बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। साथ ही यह काफी शर्मनाक भी हो सकता है।
ज्यादा हंसने या खासने की वजह से भी मूत्र रिसाव की समस्या हो सकती है। ऐसा मूत्राशय पर ज्यादा दबाव के कारण हो सकता है। इसके लिए आप अपने डॉक्टर से केजेल व्यायाम के लिए पूछ सकती हैं।
सुझाव-
केवल व्ययाम शुरू करने से पहले डॉक्टर उसे करने का सही तरीका अवश्य जान लें। यह वास्तव में आपका तनाव कम करने और प्रसव के समय काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। बच्चे को जन्म देने के सात हफ्ते हीं बचे हैं ऐसे में मन गर्भावस्था संबंधित कोई भी प्रश्न होने पर डॉक्टर से संपर्क करने में बिल्कुल भी हिचकिचाएं नहीं।
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