Ayurvedic kadha Recipe for stomach worms relief:आधुनिक खानपान के कारण पेट में कीड़े (इंटेस्टाइनल वर्म्स) होना एक आम समस्या है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में यह समस्या देखी जाती है। यह समस्या अस्वच्छ भोजन और पानी के सेवन से होती है। पेट में कीड़े होने पर उल्टी, दस्त, पेट दर्द, भूख न लगना, बुखार, थकान जैसे लक्षण नजर आते हैं। अक्सर देखा जाता है कि पेट में कीड़े होने पर लोग विभिन्न प्रकार की दवाओं का सेवन करते हैं। लेकिन आयुर्वेद में पेट के कीड़ों का इलाज प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और काढ़ों के माध्यम से किया जाता है। आयुर्वेदिक काढ़ा न सिर्फ पेट के कीड़ों को खत्म करता है, बल्कि पाचन तंत्रिका को भी मजबूत बनाने में सहायक होता है।
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पेट के कीड़े होने पर पिएं ये आयुर्वेदिक काढ़ा- Ayurvedic kadha Recipe for stomach worms relief
दिल्ली की आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. चंचल शर्मा के अनुसार, आयुर्वेद कई ऐसी जड़ी-बूटियों को मिलाकर काढ़ा बनाकर पिया जाए, यह पेट के कीड़ों को मारने में सहायक होते हैं। आयुर्वेदिक काढ़े का सेवन करने से पाचन तंत्रिका को भी दोबारा से स्वस्थ बनाने में भी मदद मिलती है। आयुर्वेदिक काढ़े की खास बात यह है कि इसे आप आसानी से घर पर ही तैयार करके पी सकते हैं। आइए जानते है इस काढ़े की रेसिपी।
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आयुर्वेदिक काढ़ा बनाने के लिए सामग्री
- अजवाइन: 1 चम्मच
- नीम की पत्तियां : 10-12 ताजा तोड़ी हुई
- तुलसी के पत्ते : 7-8 पीस
- लौंग : 4-5 पीस
- हल्दी : 1/2 चम्मच
- पानी: 2 कप
आयुर्वेदिक काढ़ा बनाने की विधि
- इस काढ़े को बनाने के लिए एक बड़े पैन में 2 कप पानी को हल्का गुनगुना कर लें।
- इस पानी में अजवाइन, नीम, तुलसी के पत्ते और लौंग को डालकर अच्छे से पकाएं।
- इस मिश्रण को धीमी आंच पर 15 मिनट के लिए उबालने के लिए छोड़ दें।
- जब मिश्रण थोड़ा सा कम हो जाए, तो इसमें हल्दी अच्छे से मिला लें।
- पेट के कीड़े खत्म करने वाला आपका काढ़ा तैयार हो चुका है। इसको कप में छान लें।
- काढ़े को हल्का गुनगुना ही पिएं। ज्यादा ठंडा करके इस काढ़े का सेवन बिल्कुल न करें।
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पेट के कीड़े मारने में क्यों फायदेमंद है ये काढ़ा- Why is this decoction beneficial in killing stomach worms
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कीड़ों को नष्ट करता है
डॉ. चंचल शर्मा का कहना है कि नीम और अजवाइन में एंटीपैरासिटिक गुण होते हैं, जो पेट में मौजूद कीड़ों को नष्ट करने में मदद करते हैं। यह आयुर्वेदिक काढ़ा पेट के दर्द और कब्ज से भी राहत दिलाता है।
पाचन में सुधार
तुलसी और अजवाइन पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं और अपच जैसी समस्याओं को दूर करते हैं। यह पाचन तंत्र को शांत रखता है और गैस्ट्रिक समस्याओं को कम करता है।
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सूजन को कम करने में सहायक
हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो पेट की सूजन को कम करते हैं। इस काढ़े का सेवन करने से पेट के कीड़े मारने के बाद होने वाली जलन भी कम होती है।
इम्यून सिस्टम को बनाए स्ट्रांग
तुलसी और नीम में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुण होते हैं। इस काढ़े का सेवन करने से पेट के कीड़ों के कारण होने वाली बीमारियों का खतरा कम होता है।
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आयुर्वेदिक काढ़े का सेवन करते वक्त सावधानियां- Precautions while consuming Ayurvedic decoction
पेट के कीड़ों की समस्या अगर किसी गर्भवती महिला को है, तो इस काढ़े का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
एक दिन में इस काढ़े का सेवन एक बार से ज्यादा न करें। इसका ज्यादा सेवन करने से कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
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निष्कर्ष
आयुर्वेद में पेट के कीड़ों से छुटकारा पाने के लिए यह काढ़ा बेहद प्रभावी है। इसे प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से तैयार किया जाता है, जिससे यह सुरक्षित और प्रभावी होता है। इसे नियमित रूप से सेवन करने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं।
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