
केरल में पाई जानें वाली औषधियों में पाथिमुगम का उपयोग बहुत किया जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पाथिमुगम की छाल एंटीबायोटिक दवाओं से भरपूर होती है और पाचन के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है। केरल की जलवायु परिस्थितियों में पाथिमुगम का पेड़ आसानी से बढ़ता है। पाथिमुगम पेड़ की छाल को पानी में उबाल कर काढ़े की तरह सेवन किया जाता है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मानना है कि इसका काढ़ा ब्लड प्यूरीफायर, स्किन केयर, मुंहासों को ठीक करने, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर और हार्ट हेल्थ को बेहतर करता है। आगे जानते हैं इसके अन्य गुणों के बारे में।
कैसे बनाएं पाथिमुगम का काढ़ा
- 4 से 5 लीटर उबलते पानी में आधा चम्मच पाथिमुगम पेड़ की छाल को मिलाएं।
- इसे पानी में कम से कम 2 से 3 मिनट तक उबालें, इससे पेड़ की छाल अपना रंग और गुण अच्छी तरह से छोड़ देती है।
- पानी को तब तक उबालना चाहिए जब तक इसका रंग बदलकर गुलाबी न हो जाए।
- पाथिमुगम ड्रिंक बनाने का यह एक पारंपरिक तरीका है, लेकिन आजकल इसमें अन्य स्वास्थवर्धक सामग्री भी मिलाई जाने लगी हैं।
- साबुत धनिया, सोंठ, इलायची को भी इस मिश्रण में मिलाया जाता है। इससे मिश्रण का टेस्ट बेहतर होता है।
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पाथिमुगम के फायदे
- इस पानी में एक खास तरह के बैक्टीरिया (स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटेंस- दांतों में सड़न पैदा करने वाले बैक्टीरिया) से लड़ने वाले एंटीमाइक्रोबिअल गुण पाए जाते हैं।
- पाथिमुगम में पाया जाने वाला सैपोनिन नामक एंटीऑक्सीडेंट अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसे न्यूरोडीजनरेटिव बीमारियों को रोकने में मदद करता है।
- पाथिमुगम पानी ब्लड ग्लूकोज लेवल को रेगुलेट करता है और इसे डायबिटीज रोगियों के लिए रामबाण माना जाता है।
- ये काढ़ा ब्लड प्रेशर लेवल को भी कंट्रोल करने में मदद करता है।
- इसमें एंटीकैंसर गुण भी होते हैं।
- पथिमुगम एंटीऑक्सिडेंट का एक समृद्ध स्रोत है, जो मुक्त कणों के हानिकारक प्रभावों से लड़ने में मदद करता है।
- ये हृदय को स्वस्थ रखने का काम करता है। दरअसल पाथिमुगम के लाल पिगमेंट का हृदय स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- इसके पानी से फेस वॉश करने से मुंहासे कम होते हैं।
- पथिमुगम में मौजूद सप्पन नामक चेलकोन एक बेहतरीन एंटी-एलर्जिक है।
- पथिमुगम एक प्राकृतिक कूलेंट है। यह गर्मी के दिनों में प्यास बुझाने में मदद करता है।
- पथिमुगम के काढ़े से रक्त साफ होता है। यह रक्त संबंधी विकार को भी दूर कर सकता है।
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इस काढ़ें से होने वाले नुकसान
इसके साइड इफेक्ट्स को जानना भी महत्वपूर्ण है जिससे इस पानी का उपयोग सावधानी से किया जा सके।
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इससे बचना चाहिए। दक्षिण कोरिया में इसका इस्तेमाल गर्भपात के लिए किया जाता है।
- भारी मासिक धर्म ब्लड फ्लो या पेट की कोई बीमारी हो तब भी सेवन से बचना चाहिए।
- इस पानी के अधिक सेवन से जी मिचलाने और चक्कर आने की समस्या भी हो सकती है।
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