
यह तंत्रिका तंत्र में फैलने वाला ऐसा विकार है जो शारीरिक गतिविधियों को प्रभावित करता है। इसका विकास शरीर में धीरे-धीरे होता है। अगर इसके शुरुआती लक्षणों की बात की जाए तो यह केवल एक हाथ में होने वाले कंपन से शुरू होता है। कपकपाहट इसके मुख्य लक्षणों और शुरुआती लक्षणों में से एक है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि पार्किंसन रोग क्या है? इसके कारण और बचाव क्या हैं? पढ़ते हैं आगे...
पार्किंसन रोग के लक्षण (symptoms of Parkinson disease)
हर व्यक्ति के अंदर इसके भिन्न-भिन्न लक्षण नजर आते हैं। शुरुआती लक्षण थोड़े अलग हो सकते हैं लेकिन कुछ समय बाद में शरीर के एक हिस्से में इसके लक्षण नजर आने शुरू हो जाते हैं और जब स्थिति गंभीर हो जाती है तो यह लक्षण पूरे शरीर में नजर आते हैं। आइए जाते हैं इन लक्षणों के बारे में-
1 - कपकपाहट-
कंपन, हिलना आमतौर पर इसके शुरुआती लक्षणों में से एक हैं। इसमें हाथ और उंगलियां हिलने लगती हैं। अंगूठे और तर्जनी उंगली एक दूसरे से रगड़ने शुरू हो जाती हैं। इस अवस्था को पिल-रोलिंग-ट्रेमर कहते हैं। जब आप आराम की अवस्था में बैठे होते हैं तो उस दौरान आपके हाथ में कंपन होने शुरू हो जाती है।
2 - मांसपेशियों का कठोर हो जाना-
शरीर के किसी भी हिस्से में मांसपेशियों में अकड़न जाती है। ऐसे में आप की गति सीमित हो जाती है और दर्द बनने लगता है।
3 - आवाज में बदलाव होना-
कुछ लोगों को इस रोग के चलते आवाज या उच्चारण में बदलाव महसूस होता है। किसी का स्वर धीमा हो जाता है तो किसी का तेज। कोई अस्पष्ट बोलता है तो किसी को बात करने में हिचकिचाहट महसूस होती है। कुछ लोगों की आवाज एकदम खराब हो जाती है।
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4 - लिखावट में बदलाव-
कुछ लोगों की लिखावट में बदलाव आ जाता है। कुछ लोगों की लिखावट छोटी हो जाती है तो किसी को लिखने में बहुत तकलीफ महसूस होती है।
5 - शरीर की पोजीशन में बदलाव
इस रोग के चलते कुछ लोगों के शरीर में बदलाव आने शुरू हो जाते हैं। कुछ का शरीर झुक जाता है या कुछ असंतुलन की समस्या पैदा हो जाती है।
पार्किंसंस रोग के कारण (Parkinson's disease causes)
पार्किंसंस रोग में दिमाग के अंदर मौजूद कुछ तंत्रिका यानी न्यूरॉन्स नष्ट होने लगते हैं यह न्यूरॉन्स हमारे दिमाग में डोपामाइन नामक रसायन पैदा करते हैं और जब ये नष्ट हो जाते हैं तो शरीर में असामान्य गतिविधियां पैदा हो जाती हैं, जिसके कारण यह रोग पैदा हो जाता है। इस रोग के पैदा होने के पीछे कुछ और कारण भी हैं बता दें कि पर्यावरण में मौजूद कुछ विषाक्त पदार्थों के कारण पार्किंसंस रोग का जोखिम बढ़ सकता है। लेकिन बता दें कि इसको लेकर अभी भी कई शोध जारी हैं।
पार्किंसन रोग से बचाव (Parkinson's disease Treatment)
क्योंकि अभी तक इस बीमारी का प्रमुख कारण नहीं पता चल पाया है इसलिए इसके रोकथाम पर भी ज्यादा स्पष्टीकरण नहीं है। लेकिन कुछ शोध से इस बात का पता चलता है कि जो लोग कॉफी, चाय, कोका कोला में पाए जाने वाले कैफीन का सेवन करते हैं उनके इस रोग को दूर करने में मदद मिल सकते हैं। ग्रीन टी के कारण भी इस समस्या को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा एरोबिक व्यायाम भी जोखिम को कम कर सकता है।
नोट- जब कोई व्यक्ति पार्किंसन रोग का शिकार हो जाता है और ये समस्या गंभीर हो जाती है तो उसे सोचने में कठिनाई महसूस होती है। साथ ही निगलने में समस्या, नींद में समस्या, कब्ज, रक्तचाप में बदलाव, सूंघने में परेशानी, थकान, दर्द आदि जटिलताएं सामने आने लगती है। ऐसे में अगर कंपन जैसे लक्षण नजर आएं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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