लैपटॉप और एप्प के बढ़ते इस्तेमाल ने कागज़ और पेन को जैसे एंटीक बना दिया है। कई शोध बताते हैं कि, कीबोर्ड पर टाइपिंग के बनिस्पद हाथ से लिखावट कक्षा का ध्यान आपकी ओर केन्द्रित करने के अलावा तथा सिखने की क्षमता बढ़ाने में बेहद मददगार साबित होती है। चलिये विस्तार से जानें खबर -
प्रिंसटन यूनिवर्सिटी तथा लॉस एंजिल्स स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने पाया कि, वे छात्र जो आमतौर पर हस्तलिखित नोट्स ले जाते हैं, वे कम्पूटर से नोट्स बनाने वाले छात्रों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं। अन्य शोधकर्ताओं द्वारा किये गए प्रयोगों के अनुसार, जो लोग अपने नोट्स को टाइप करते हैं, उनकी तुलना में उन्हें पूरे अक्षरों में लिखने वाले लोग बेहतर याद कर पाते हैं, अधिक समय तक याद रख पाते हैं तथा और अधिक आसानी से नए विचार पैदा कर पाते हैं।
लिंकन स्थित नेब्रास्का यूनिवर्सिटी में शैक्षिक मनोवैज्ञानिक, केनेथ किेवरा जो कि नोट्स लेने व जानकारियों का आयोजन करने पर शोध कर रहे हैं, के अनुसार “लिखित नोट कंप्यूटर पर टाइपिंग कर बनाए नोट्स की तुलना में बेहतर होते हैं।”
पढ़ाई के नोट लेने की प्रणालियों पर काम करने वाले हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में संज्ञानात्मक मनोवैज्ञानिक, माइकल फ्राइडमैन कहते हैं कि “,नोट लेना एक बहुत क्रियाशील प्रक्रिया है”। फ्राइडमैन के अनुसार, इस तरह आप नोट लिख कर अपने मन में सुनाने वाली चीज़ों को परिवर्तित कर रहे होते हैं।
लेड पेंसिल से नोट लेने का पहला बड़े पैमाने पर उत्पादन 17 वीं सदी में हुआ, जो एक फाउंटेन पेन का उपयोग करने से बहुत अलग नहीं है, जिसका 1827 में पेटेंट कराया गया। वहीं बॉल पाइंट (ballpoint) कलम को 1888 में पेटेंट कराया गया और मार्कर 1910 में पेटेंट कराया। जबकि ऊनीटिप वाले मार्कर का पेटेंट 1910 में हुआ। नोट लेने की प्रक्रिया व इसकी रणनीति को लेकर शोधकर्ता लगभग एक सदी से काम कर रहे हैं।
Source - Foxnews & The Wall Street Journal.
Image Source - Getty
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