अस्थमा के कारण सांस की तकलीफ से हैं परेशान तो जरूर पिएं ये 5 चाय, श्वांसनली की सूजन होगी दूर और मिलेगा आराम

 जड़ी बूटियों से बनी ये चाय सांस फूलने का रामबाण इलाज हैं। साथ ही अस्थमा के लक्षणों को कम करने में ये प्रभावी ढंग से मदद कर सकती हैं।
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अस्थमा के कारण सांस की तकलीफ से हैं परेशान तो जरूर पिएं ये 5 चाय, श्वांसनली की सूजन होगी दूर और मिलेगा आराम


अस्थमा एक पुरानी बीमारी है, जो फेफड़ों में सूजन पैदा करती है और इसे संकीर्ण बना देती है। इसके परिणामस्वरूप सांस की तकलीफ, घरघराहट, खांसी और सीने में जकड़न जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। अलग-अलग लोगों पर अस्थमा का अलग-अलग असर होता है। कुछ मामलों में अस्थमा के मरीजों को लगातार दवाईयों की मदद लेनी पड़ती है, तो कुछ मामलों में लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके इसे कंट्रोल किया जा सकता है। वहीं कुछ पारंपरिक उपचार भी हैं, जो स्थिति से निपटने में मदद कर सकते हैं। अस्थमा के लिए एक ऐसे ही पारंपरिक उपचार की बात करें, तो सुबह-सुबह कुछ जड़ी बूटियों से बनी चाय पीना (That May Help With Your Asthma), अस्थमा के मरीज को राहत दिला सकता है। 

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अस्थमा के मरीजों के लिए चाय (5 Best Teas for Asthma Relief)

1.नीलगिरी की चाय

नीलगिरी की चाय यूकेलिप्टस के पेड़ की पत्तियों से बनाई जाती है, जो कि शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट से भरा हुआ है। नीलगिरी अस्थमा के लक्षणों का इलाज करने में मदद कर सकता है। शोध बताते हैं कि यह यौगिक फेफड़ों के सूजन को कम कर सकता है और बलगम (tea for asthma cough) के उत्पादन को रोकता है। साथ ही आपके ब्रोन्किओल्स का विस्तार करता है और आपके फेफड़ों के अंदर के मार्ग को चौड़ा करता है।वैकल्पिक रूप से, आप सूखे नीलगिरी के पत्तों का उपयोग करके घर पर चाय बना सकते हैं।

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2. मुल्लेन चाय

मुल्लेन चाय अस्थमा के लिए बहुत फायदेमंद है। यह ब्रोन्काइटिस, बलगम और अस्थमा जैसे श्वसन स्थितियों के लिए एक उपाय के रूप में हजारों वर्षों से पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग किया जाता है। पशु और मानव अध्ययनों से पता चलता है कि ये सूजन को कम करके खांसी, घरघराहट और सांस की तकलीफ जैसे अस्थमा के लक्षणों का इलाज करने में मदद कर सकती है, जो आपके श्वसन पथ में मांसपेशियों को आराम दिलाती है।

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3. काली चाय

ब्लैक टी कैमेलिया साइनेंसिस पौधे से आती है। ब्लैक टी हृदय रोग के जोखिम को कम करता है और टाइप 2 मधुमेह के खतरे को भी कम करता है। इस चाय को बगैर दूध मिलाए पीने पर उसमें मौजूद फायटोकेमिकल्स, एंटीऑक्सीडेंट्स, फ्लोराइड्स, टेनिन्स जैसे तत्व हेल्थ के लिए फायदेमंद होते हैं। कोशिश करें कि इसमें शक्कर न मिलाएं या कम मिलाएं। यह हृदय की बीमारी, दस्त, पाचन समस्याओं, उच्च रक्तचाप, टाइप 2 मधुमेह और अस्थमा बीमारियों से लड़ने में भी मदद करती है। 

4. तुलसी और अदरक की चाय

अदरक की पौधे की जड़ों को उबालकर अदरक की चाय बनाई जाती है। यह शक्तिशाली मसाला पोषक तत्वों और बायोएक्टिव यौगिकों से भरा हुआ है। वहीं अगर इसमें तुलसी की कुछ पत्तियां मिला दी जाएं, तो यह सूजन को कम करता है, मतली से राहत दिलाता है। साथ ही ये दोनों शुगर को संतुलित करते हैं। शोध बताते हैं कि अदरक और तुलसी अस्थमा के लक्षणों को दूर करने में मदद कर सकता है। ये वायुमार्ग की सूजन को कम करके अस्थमा के लक्षणों को कम करते हैं।

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5. शहद और दालचीनी वाली चाय

शहद और दालचीनी वाली चाय अस्थमा के मरीजों के लिए फायदेमंद है। ये एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर हैं, जो इम्यूनिटी बढ़ाते हैं। वहीं आप चाहें, तो इस चाय में ग्रीन टी की भी कुछ पत्तियां मिला सकते हैं क्योंकि ग्रीन टी के एंटीऑक्सिडेंट फेफड़ों में सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। वहीं दालचीनी चाय का जीवाणुरोधी, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुणों की भरमार है। इस औषधीय चाय का उपयोग फेफड़ों में रक्‍त जमाव जैसी स्थितियों के लिए किया जाता है। दालचीनी चाय श्‍लेष्‍म को साफ करने में मदद करती है और रक्‍त परिसंचरण को भी सुधारती है। इस प्रकार दालचीनी की चाय सामान्‍य सर्दी और खांसी के साथ ही ब्रोंकाइटिस जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में भी फायदेमंद होती है।

इस तरह अस्थमा के मरीजों के लिए ये चाय बेहद फायदेमंद है। इसे वो सुबह या शाम कभी भी ले सकते हैं। ध्यान रखें कि ज्यादा मात्रा में न लें नहीं तो ये लिवर को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ये सभी गर्म तासीर वाले हैं और फेफड़ों के बलगम को तोड़ने में प्रभावी ढ़ंग से काम करते हैं।

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