
यदि आप अस्थमा से पीड़ित हैं तो, आप कुछ हर्ब्स का प्रयोग कर यह समस्या कम कर सकते हैं। जानते हैं विस्तार से।
अस्थमा एक ऐसी स्थिति है जो फेफड़ों के वायुमार्ग (air passage) में सूजन का कारण बनती है। इस वायुमार्गों के पतले होने और ज्यादा बलगम होने के कारण घरघराहट, खांसी और सांस लेने में कठिनाई होती है। यह बीमारी क्रोनिक(chronic) है जिससे रोजाना की जिंदगी में यह बहुत सी मुश्किलें आती हैं। अगर इसका ढंग से इलाज न किया जाए, तो यह बीमारी खतरनाक भी बन सकती हैं। हमारे वातावरण से ही अस्थमा बढ़ता है।
धूल(dust), पॉलेन, मच्छर (insects) और पालतू जानवर आदि कारणों से अस्थमा बढ़ सकता है। यही नहीं वायु प्रदूषण (Air pollution) भी एक बड़ा कारक है। अस्थमा संबंधी परेशानियां दिन प्रतिदिन बढ़ रही है खासकर कि बच्चों में अत्याधिक। इसलिए आजकल इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि मेडिकेशन के साथ-साथ प्राकृतिक तरीकों से इस बीमारी की रोकथाम की जाए क्योंकि हर्ब्स, इस रोग की इंटेंसिटी (Intensity) कम करते हैं। जिस कारण ड्रग (Drug) की जरुरत भी कम हो जाती है। साथ ही फेफड़ों (Lungs) की कार्यप्रणाली में सुधार होता है।
स्टीम बाथ (steam bath)
स्टीम्स से अस्थमा अटैक के किसी मरीज को भी राहत मिल सकती है। न केवल अस्थमा अटैक बल्कि अस्थमा के लक्षणों को कम करने में भी स्टीम बाथ बहुत ही लाभदायक साबित हो सकता है। अभी तक किसी रिसर्च ने यह साबित नहीं किया है कि स्टीम बाथ से किसी अस्थमा के रोगी को कोई हानि हो सकती है। परन्तु फिर भी अपने डॉक्टर से एक बार जरूर राय ले लें।
लहसुन (garlic)
लहसुन अस्थमा रोगी के स्वास्थ्य के लिए बहुत बढ़िया रहता है। इसमें मौजूद एंटी इन्फ्लेमेटरी व एंटी बैक्टिरियल गुण सर्दी-खांसी और बुखार आदि में बहुत फायदा करते हैं। यही नहीं ठंड के दौरान आक्रमक होने वाली दमा में भी इसके सेवन से बहुत आराम मिलता है । अपने इन गुणों के कारण यह अस्थमा के लक्षणों को कम करने में सहायक है।
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लिकोराइस रूट (Licorice root)
लिकोराइस रूट्स में एंटी ऑक्सिडेंट व एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो अस्थमा रोगी के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। यह उस के फेफड़ों के लिए भी बहुत सेहतमंद रहती हैं। यह अस्थमा के लिए एक बहुत ही अच्छा इलाज है।
हल्दी (Turmeric)
रूकती थमती और उखड़ती सांसों में हल्दी अपने एंटीबैक्टीरियल गुणों के कारण बहुत आराम पहुंचाती हैं। यह अस्थमा अटैक की आवृत्ति को कम करने में सहायक है, हालांकि इसके गुणों पर अभी निरंतर शोध हो रहा है।
ओमेगा 3 (Omega3)
ओमेगा 3 को दिल से सम्बन्धित बीमारियों के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। कुछ शोध ने प्रमाण किया है कि ओमेगा 3 से फेफड़ों की इंफेक्शन व इन्फ्लममेशन आदि को ठीक किया जाता है। इसमें इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव पाए जाते हैं, जिनसे प्रतिरक्षा प्रणाली बेहतर तरीके से कार्य करती है । साथ ही इसके एंटी इंफ्लेमेटरी गुण सांस की नली की सूजन की समस्या को कुछ हद तक कम करते हैं।
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मुलैठी (mulethi)
आधा चम्मच अदरक और एक चम्मच मुलेठी को मिलाकर उसका रस लें। यह रस अस्थमा के लक्षणों को कम करने में सहायक है। मुलेठी के प्रयोग से सांस की नली सुचारू रूप से काम करती है। व सांस संबंधी होने वाली तकलीफ भी दूर होती है। इसमें मौजूद ग्लिसराइजजिन एसिड शरीर के भीतर हो रही एलर्जी से बचाव करता है।
अजवायन (Ajwain)
इसके एंटी एलर्जिक गुण , अस्थमा और सांस की बीमारियों से संबंधित परेशानियों में बहुत फायदा पहुंचाते हैं। शोध बताते हैं कि इसमें एंटी अस्थमा प्रभाव हैं, जो सांस संबंधी सभी परेशानियों पर बेहतरीन असर करते हैं । जिससे राहत मिलती हैं। अतः खासी, ठंड किसी भी परेशानी में अजवायन का सेवन करना ना भूलें।
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