खून में यूरिया बढ़ने से हो सकते हैं कई नुकसान, इन 5 आयुर्वेदिक तरीकों से कम करें खून में यूरिया

लंबे समय तक यूरिया के रक्त में बने रहने से किडनी डैमेज हो सकती है। तो, आइए जानते हैं खून में यूरिया की मात्रा को कम करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपाय।
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खून में यूरिया बढ़ने से हो सकते हैं कई नुकसान, इन 5 आयुर्वेदिक तरीकों से कम करें खून में यूरिया


हम सभी के शरीर में यूरिया (Urea In Blood) होता ही है। ये शरीर में प्रोटीन के चपाचय के दौरान बनता है। दरअसल, आपका लिवर आपके भोजन में प्रोटीन को तोड़ता है और ऐसा करते समय, यह ब्लड यूरिया नाइट्रोजन बनाता है, जिसे बन (BUN) भी कहा जाता है। आपका लिवर इन पदार्थ को खून में छोड़ता है। फिर अगर आपके गुर्दे स्वस्थ होते हैं, तो ये पेशाब के जरिए शरीर से बाहर निकल जाते हैं। लेकिन आपके गुर्दे स्वस्थ नहीं होते हैं, तो उन्हें बन निकालने में परेशानी होती है और ये आपके खून में मिल जाता है। अब अगर इसका लेवल खून में ज्यादा हो जाए तो ये शरीर में अन्य परेशानियां पैदा करने लगता है। जैसे कि डिहाइड्रेशन, पेशाब में दिक्कत, स्ट्रेस और हार्ट अटैक का खतरा। लंबे समय तक यूरिया के रक्त में बने रहने से किडनी डैमेज हो सकती है और प्यास, सिरदर्द, थकान, चक्कर, अंगों में बेचैनी, पेट में दर्द जैसे रक्त में यूरिया की मात्रा ज्यादा होने के लक्षण हैं। अगर आप इस समस्या से परेशान हैं तो हम आपको कुछ ऐसे आयुर्वेदिक तरीके बताने जा रहे हैं, जिसके जरिए आप प्राकृतिक तरीके से रक्त में यूरिया के स्तर को कम कर सकते हैं। 

रक्त में यूरिया के स्तर को कम करने के 5 आयुर्वेदिक तरीके

1. हर्बल दवाएं

आयुर्वेद एक प्राचीन विज्ञान है जिसका उपयोग डायबिटीज, किडनी फेलियर, हृदय रोगों और पुराने से पुरानी और दर्दनाक बीमारियों से पीड़ित कई रोगियों के लाभ के लिए किया जा सकता है। आयुर्वेद के मुख्य सिद्धांतों में से एक में दवाओं और मनगढ़ंत बनाने के लिए जड़ी बूटियों का उपयोग शामिल है, जो उनके 100% प्राकृतिक तत्वों के साथ राहत देने में मदद करता है। मुत्रिक्रींतक चूर्ण, पुनर्नवा मंडूर, वरुणादि वटी और कई अन्य दवाओं का उपयोग डायलिसिस से बचने और किडनी के बेहतर तरीके से काम करने और रक्त में यूरिया के स्तर को नीचे लाने के लिए किया जा सकता है।

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2. पुनर्नवा

इस जड़ी बूटी का नाम दो शब्दों - पुना और नवा से लिया गया है। पुना का मतलब फिर से और नवा का मतलब नया होता है। साथ मिलकर यह दोनों ही उपचार किए जा रहे अंग को नए सिरे से काम करने में मदद करते हैं। यह जड़ी-बूटी बिना किसी दुष्प्रभाव के सूजन को कम कर किडनी से अतिरिक्त तरल पदार्थ बाहर निकालने में मदद करते हैं।

3. वरुण

यह एक सामान्य दवा है, जिसका उपयोग गुर्दे के क्षेत्र में मौजूद पथरी को तोड़ने के लिए किया जा सकता है और यहां तक कि मूत्र पथ के संक्रमण के इलाज के लिए भी काम आती है। यह जड़ी बूटी किसी भी तत्व को हटाने में मदद करती है, जो मूत्र पथ को बाधित कर सकती है। इतनी ही नहीं यह किडनी में अतिरिक्त तरल पदार्थ के निर्माण और सूजन को दूर करने का काम करती है।

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4. गोकशुर

यह एक मूत्रवर्धक औषधि है, जो गुर्दे की कमजोर कोशिकाओं को ताकत देने और उन्हें फिर से ताकतवर बनाने के लिए काम आती है। इसका प्रयोग एक हर्बल टॉनिक के रूप में किया जा सकता है।

5. हाइग्रोफिला ऑरीकुलता

यह रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा करने के लिए एक बेहद ही जरूरी आयुर्वेदिक दवा है।

बन (BUN) से क्रिएटिनिन (creatinine) का अनुपात 10-से-1 और 20-से-1 के बीच होता है। इस सीमा से ऊपर अनुपात होने का मतलब यह हो सकता है कि आपको अपने गुर्दे में पर्याप्त रक्त प्रवाह नहीं मिल रहा है, और  ये हार्ट फेल्योर, निर्जलीकरण, या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग जैसी स्थितियां पैदा कर सकती हैं।

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