
उम्र जैसे-जैसे बढ़ती है, इसका असर हमारी सेहत, शरीर और दिनचर्या- तीनों पर पड़ता है। वयस्कों की अपेक्षा बुजुर्गों में नींद की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। उम्र बढ़ने के बाद नींद पहले जैसी गहरी नहीं रहती। कई लोग रात में बार-बार जाग जाते हैं, सुबह उठकर थकान रहती है और दिमाग सुस्त सा लगता है। इस अनिद्रा से निपटने के लिए लोग कई तरह के उपाय करते हैं। कई लोगों का मानना है कि किताबें पढ़ने से अच्छी नींद आती है, तो कुछ लोग मानते हैं थोड़ी फिजिकल एक्टिविटी, योगासन आदि करने से अच्छी नींद आती है।
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इसी कंफ्यूजन को दूर करने के लिए पतंजलि विश्वविद्यालय के योग साइंस विभाग के रिसर्चर्स ने एक स्टडी की, जिसमें यह पता लगाने की कोशिश की गई कि बुजुर्ग लोगों को किताब पढ़ने से ज्यादा अच्छी नींद आती है या योग करने से। आइए आपको बताते हैं इस स्टडी में क्या सामने आया है।
कैसे की गई स्टडी?
इस स्टडी के लिए बुजुर्ग लोगों को दो ग्रुप में बांटा गया। एक ग्रुप ने रोज थोड़ा समय योग किया, जिसमें हल्के आसन, प्राणायाम और रिलैक्सेशन तकनीक शामिल थे। वहीं दूसरे ग्रुप को सोने से पहले किताब पढ़ने की आदत डलवाई गई। कुछ हफ्तों बाद जब दोनों ग्रुप की नींद की क्वालिटी मापी गई, तो फर्क साफ दिखा।
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क्या सच आया सामने?
दोनों ग्रुप्स के नींद की क्वालिटी और टाइम को परखने पर वैज्ञानिकों ने पाया कि बुजुर्गों में नींद की समस्या के लिए योग ज्यादा असरदार है। स्टडी में देखा गया कि जिन बुज़ुर्गों ने योग किया, उनकी नींद में किताब पढ़ने वालों की तुलना में ज्यादा सुधार हुआ। उन्हें जल्दी नींद आई और वे रात में कम बार जागे। इसके अलावा वे सुबह उठकर बहुत हल्का महसूस कर रहे थे और दिन में उन्हें थकान और उनींदेपन की समस्या भी कम रही। कुल मिलाकर योग करने से न सिर्फ उन्हें ज्यादा देर तक नींद आई, बल्कि उसकी क्वालिटी भी बेहतर हुई।

क्या थे योग के बाद अच्छी नींद आने के कारण?
योग करने के बाद अच्छी नींद क्यों आई, इसके पीछे वैज्ञानिक कारण देखे गए। योग करते समय दो चीजें होती हैं। पहला, शरीर हल्का मूव करता है, जिससे मांसपेशियों में जकड़न और Stiffness कम होती है। दूसरा प्राणायाम के दौरान सांस नॉर्मल से ज्यादा गहरी होती है, जिससे नर्वस सिस्टम शांत होता है। इससे कोर्टिसोल जैसे स्ट्रेस-हॉर्मोन कम होते हैं, हार्टबीट और दिमाग की एक्टिविटी धीमी होती है और शरीर अपने-आप थकने पर अच्छी नींद के फेज में शिफ्ट होने लगता है।
वहीं, किताब पढ़ना भटकते विचारों को कम कर एक निश्चित दिशा में लगाने का काम तो जरूर करता है लेकिन इससे शरीर और मन के स्तर पर उतने बड़े बदलाव नहीं होते, जितने योग से होते हैं। इसलिए किताब पढ़ने से किसी को नींद आ भी जाए, तो नींद की क्वालिटी और सुबह उठने के बाद का अनुभव वैसा नहीं होता, जैसा योग करने के बाद होता है।
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तो क्या किताब पढ़ना बेकार है?
इस सवाल का जवाब है- नहीं। किताब पढ़ना एक अच्छी और हेल्दी आदत है। यह दिमाग को एक्टिव रखती है और कई लोगों को सोने से पहले मन शांत करने में भी मदद मिलती है। लेकिन अगर लक्ष्य सिर्फ बेहतर और लगातार आने वाली नींद है, तो स्टडी के मुताबिक योग किताब से ज्यादा असरदार है।
- किन बुजुर्गों को योगासन जरूर करना चाहिए
- जो लोग रात में बार-बार जागते हैं
- जिन्हें सोने में समय लगता है
- जिन्हें सुबह उठकर ताजगी महसूस नहीं होती
- ऐसे बुज़ुर्ग जिनकी लाइफ में फिजिकल एक्टिविटी की कमी है
कुल मिलाकर किताब पढ़ना दिमाग के लिए अच्छा है, लेकिन अगर अच्छी नींद और तनावमुक्त जीवन की बात करें, तो योग करना ज्यादा बेहतर है। अगर आपकी नींद बार-बार टूटती है या आप पूरी नींद के बावजूद थके हुए महसूस करते हैं, तो आज से सोने से पहले 10-15 मिनट आसान योग और प्राणायाम शुरू करें।
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Dec 11, 2025 16:17 IST
Published By : Anurag Gupta