World Sickle Cell Day: वर्ल्ड सिकल सेल डे 2025 की क्या है थीम? जानें इस दिन का महत्व और इतिहास

सिकल सेल एक जेनेटिक बीमारी है, जो पीड़ित व्यक्ति में ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट, इंफेक्शन, दर्द और शरीर के अन्य हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में लोगों को जागरुक करने के लिए हर साल 19 जून को वर्ल्ड सिकल सेल डे मनाया जाता है।
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World Sickle Cell Day: वर्ल्ड सिकल सेल डे 2025 की क्या है थीम? जानें इस दिन का महत्व और इतिहास

World Sickle Cell Day 2025 Theme, Significance And History in Hindi: हर साल दुनिया भर में 19 जून वर्ल्ड सिकल सेल डे के रूप में मनाया जाता है। दरअसल, ये सिकल सेल डिजीज एक जेनेटिक बीमारी है, जो माता-पिता से बच्चों में आती है। इस बीमारी में आपके शरीर के रेड ब्लड सेल्स में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है, जिसके कारण आपके सेल्स का आकार गोल नहीं बनता है, जिससे ये सेल्स गलत आकार में नजर आते हैं। इसलिए, इस बीमारी को सिकल (हंसिया) सेल कहा जाता है। इस बीमारी के कारण पीड़ित व्यक्ति में ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट, इंफेक्शन, दर्द और शरीर के अन्य हिस्सों को नुकसान हो सकता है। इसलिए लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए दुनियाभर में वर्ल्ड सिकल सेल डे मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस साल की थीम, इतिहास और महत्व के बारे में-

वर्ल्ड सिकल डे 2025 की थीम

वर्ल्ड सिकल डे 2025 की थीम, "वैश्विक कार्रवाई, स्थानीय प्रभाव: प्रभावी आत्म-वकालत के लिए समुदायों को सशक्त बनाना" है। यह थीम विश्व स्तर पर जागरूकता, नीति निर्धारण, रिसर्च और इलाज के विकल्पों को मजबूत करने पर जोर देती है। इस थीम की मदद से स्थानीय समुदायों खासकर वे जो सिकल सेल से ज्यादा प्रभावित हैं जैसे ट्राइबल, कमजोर वर्ग में लंबे समय के लिए प्रभाव छोड़ने वाली स्वास्थ्य पहल करने की कोशिश की जा रही है। इस दिन को मनाने से इस बीमारी से प्रभावित व्यक्तियों और परिवारों को सेल्फ-एडवोकेसी के लिए सशख्त बनाना है, ताकि वे अपनी आवाज उठा सकें, सांसाधनों की मांंग कर सकेे और निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल हो सकें। इस दिन ग्लोबल कार्यक्रम के माध्यम से लोगों का सशक्तिकरण, अनुभव शेयर करना, वर्कशॉप्स के दौरान जुड़ना और प्रोटोकॉल पर चर्चा करना शामिल है।

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वर्ल्ड सिकल डे का इतिहास

साल 2001 में, फ्रांस की एडविद्ज़े इबाकिसे-बडास्सू ने अफ्रीकी और इंटरनेशनल संगठनों को सिकल सेल डिजीज को लेकर जागरूक करने की और नीति निर्धारण में शामिल करने की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने साल 2002 में UNESCO हेडक्वार्टर, पेरिस में इंटरनेशनल सेमिनार किया, जिससे लोगों का ध्यान इस बीमारी की ओर गया। साल 2006 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक निर्णय (A/63/L.63) पास किया, जिसमें 19 जून को “विश्व सिकल सेल दिवस” के रूप में मनाना तय किया गया और दुनिया भर में जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया गया, जिसके बाद से साल 2009 में पहली बार इस दिन को वैश्विक स्तर पर मनाया गया।

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वर्ल्ड सिकल डे का महत्व

वर्ल्ड सिकल डे मनाने का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरुक करना और लोगों का ध्यान इसकी ओर खिंचना था, जैसे-सिकल सेल दुनिया भर में कई लोगों को प्रभावित करती है, खासकर नुकसान न पहुंचाने वाले लक्षणों के बावजूद। ऐसे में इस दिन की मदद से न सिर्फ आम जनता, बल्कि नीति निर्धारक, हेल्थ एक्सपर्ट्स और स्थानीय लोगों को इस बीमारी को लेकर जागरूक करना है। भारत जैसे देशों में, खासकर आदिवासी इलाकों में, जन्म और प्री‑मैरेटल स्क्रीनिंग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इतना ही नहीं, अब भारत के विकलांगता अधिकार अधिनियम, 2017 के तहत आता है, जिससे पीड़ित को इस बीमारी के इलाज और आरक्षण में सरकारी मदद मिलती है ।गंभीर मामलों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की व्यवस्था और CSR/फाउंडेशन की वित्तीय मदद राज्य की योजनाओं में शामिल की गई है।

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निष्कर्ष

इस साल की विश्व सिकल सेल दिवस की थीम के माध्यम से लोगों को एक स्पष्ट संदेश देना है कि वैश्विक सहयोग से स्थानीय स्तर पर वास्तविक बदलाव लाया जाए। ताकि लोगों को इस बीमारी के बारे में खुलाकर बात करने और सही इलाज मिलने में मदद मिल सके।
Image Credit: Freepik

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