
बच्चे का जन्म किसी भी कपल के जीवन के सबसे सुखद और एक नए चैप्टर की शुरुआत होती है। हालांकि, कुछ पेरेंट्स के लिए ये आसान नहीं होता है। दरअसल प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के कारण या अन्य कारणों से महिलाओं की डिलीवरी समय से पहले हो जाती है, जिसे प्रीमैच्योर डिलीवरी के रूप में जाना जाता है। समय से पहले जन्मे बच्चों को स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में विश्व स्तर पर समय से पहले जन्म के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने और इससे जुड़े मुद्दों को उजागर करने के लिए हर साल 17 नवंबर को वर्ल्ड प्रीमैच्योर डे मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस साल प्रीमैच्योर डे की क्या थीम है और इस दिन के इतिहास और महत्व के बारे में।
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वर्ल्ड प्रीमैच्योर डे 2025 की थीम
साल 2025 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ल्ड प्रीमैच्योर डे की थीम, ""छोटे कदम, बड़ा प्रभाव: हर शिशु के लिए, हर जगह, तत्काल त्वचा से त्वचा की देखभाल।" रखा गया है। यह विषय नवजात शिशुओं के जीवन को बचाने से जुड़ा हुआ है और शारीरिक संपर्क के महत्व पर फोकस करता है। इस साल वर्ल्ड प्रीमैच्योर डे की थीम सिंपल लेकिन ज्यादा प्रभाव डालने वाली होती है, जो स्किन से स्किन का संपर्क और परिवार के द्वारा समय से पहले जन्मे बच्चों की सही देखभाल पर जोर देता है।
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वर्ल्ड प्रीमैच्योर डे का इतिहास
विश्व समयपूर्व जन्म दिवस की स्थापना 2008 में नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए यूरोपीय फाउंडेशन (EFCNI) और सहयोगी संगठनों द्वारा साल 2008 में की गई थी। यह दिन लोगों के सामने उन चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया, जो प्रीमैच्योर बच्चे और उनके परिवारों को झेलनी पड़ती है। लगभग 10 में से 1 बच्चा विश्व स्तर पर समय से पहले जन्म लेता है। ऐसे में इस दिन की शुरुआत प्रीमैच्योर बच्चे और उससे जुड़ी चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई थी। बता दें कि प्रीमैच्योर बच्चों की देखभाल करना न सिर्फ उनके बचने की संभावना को बढ़ाता है, बल्कि उनके स्वास्थ्य और विकास पर पड़ने वाले प्रभावों पर भी असर डालता है। साल 2025 में विश्व स्वास्थ्य सभा ने इस दिन को आधिकारिक वैश्विक स्वास्थ्य अभियान के रूप में मनाने की मान्यता दी है।
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वर्ल्ड प्रीमैच्योर डे का महत्व
वर्ल्ड प्रीमैच्योर डे, समय से पहले जन्म के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने, समय से पहले जन्मे शिशुओं और उनके परिवारों के माने आने वाली चुनौतियों को सामने लाने और बेहतर देखभाल और होने वाली समस्याओं की रोकथाम को लेकर रणनीतियां बनाने के लिए 17 नवंबर को दुनियाभर में मनाया जाता है। इस दिन का महत्व समय से पहले जन्मे नवजात शिशुओं की सही देखभाल को बढ़ावा देना, परिवारों को सहयोग देना और सही इलाज तक पहुंच में सुधार करना है, ताकि प्रीमैच्योर बच्चों में मृत्यु दर और विकलांगता को कम करने पर फोकस किया जा सके।
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Nov 16, 2025 18:57 IST
Published By : Katyayani Tiwari