Why Pregnant women Should get Hepatitis Test in Hindi: प्रेग्नेंसी में महिलाओं के कंधों पर दोहरी जिम्मेदारी होती है। प्रेग्नेंसी में महिला को सिर्फ अपना ही नहीं बल्कि गर्भ में पलने वाले शिशु का भी ध्यान रखना होता है। इसलिए प्रेग्नेंट महिलाएं हेल्दी फूड, एक्सरसाइज और ऐसे फिजकल वर्क करना पसंद करती हैं, जिसमें शरीर की स्ट्रेंथ कम लगें। इसके अलावा प्रेग्नेंसी में महिलाओं को कई तरह के मेडिकल टेस्ट और वैक्सीन दी जाती है, ताकि गर्भ में पलने वाले शिशु को किसी तरह का संक्रमण न हो। गर्भ में पलने वाले शिशु का सही तरीके से विकास हो इसके लिए महिलाएं आयरन, कैल्शिम का सेवन करती हैं और समय समय पर शरीर में कितना लेवल है इसकी भी जांच करवाती हैं। लेकिन हेपेटाइटिस टेस्ट का क्या? ज्यादातर प्रेग्नेंट महिलाओं को हेपेटाइटस टेस्ट की जानकारी ही नहीं होती है। क्योंकि इस टेस्ट के बारे में जागरूकता आज भी बहुत कम है। यही वजह है कि आज इस लेख में हम आपको प्रेग्नेंसी में हेपेटाइटिस टेस्ट क्यों करवाना चाहिए इसके बारे में बताएंगें। इस विषय पर ज्यादा जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने दिल्ली के सीके बिरला अस्पताल की गायनाकालॉजिस्ट डॉ. प्रियंका सुहाग से बातचीत की।
हेपेटाइटिस कितने तरह के होते हैं?
हेपेटाइटिस वायरस के कई प्रकार हैं, जैसे हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, हेपेटाइटिस डी और हेपेटाइटिस ई। ये सभी प्रकार लिवर को अलग-अलग तरह से प्रभावित कर सकते हैं।
हेपेटाइटिस का पता कैसे लगाएं?
संक्रमण का पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका है इसकी जांच कराना। हेपेटाइटिस हमारे लिवर में समस्या पैदा कर सकता है, जो कि एक आवश्यक अंग है और खाना पचाने और टॉक्सिक पदार्थों को फ़िल्टर करने में मदद करता है। इसलिए जरूरी है कि समय रहते हेपेटाइटिस की जांच की जाए और लिवर डैमेज होने से बचाया जाए।
हेपेटाइटिस के लक्षण क्या हैं?
हेपेटाइटिस के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षणों में थकान महसूस होना, त्वचा का पीला पड़ना (पीलिया), पेट में दर्द, बीमार महसूस होना और बुखार होना शामिल हैं। हालांकि, कुछ लोगों में कोई भी लक्षण दिखाई नहीं दे सकता है।
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गर्भवती महिला के लिए हेपेटाइटिस टेस्ट क्यों जरूरी है?
गर्भावस्था के दौरान, महिलाओं के लिए हेपेटाइटिस टेस्ट करना जरूरी है ताकि मां और होने वाले बच्चे दोनों की इस संक्रमण से सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। हेपेटाइटिस लिवर की सूजन को टारगेट करता है और यह हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई सहित किसी भी अन्य वायरस के कारण भी हो सकता है।
हेपेटाइटिस बी और सी वायरस बच्चे के जन्म के दौरान संक्रमित मां से उसके बच्चे में फैल सकते हैं। इसे वर्टिकल ट्रांसमिशन के रूप में जाना जाता है। हेपेटाइटिस के लिए गर्भवती महिलाओं की जांच करने से हेल्थ एक्स्पर्ट्स को संक्रमण की समय रहते इसकी पहचान करने में मदद मिलती है, जिससे बच्चे में संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए उचित कदम उठाने में जा सकते हैं।
प्रेग्रेंसी के दौरान होने वाले हार्मोनल चेंजेस और बढ़ी हुई मेटाबॉलिक मांगों के कारण लिवर पर एक्स्ट्रा तनाव डलता है। ऐसे में अगर किसी गर्भवती महिला को मौजूदा हेपेटाइटिस संक्रमण है, तो प्रेग्नेंसी के दौरान उसे स्थिर रखने के लिए लिवर की कार्यप्रणाली की बारीकी से निगरानी करना जरूरी हो जाता है।
हेपेटाइटिस से रोकथाम के लिए क्या करें?
कुछ प्रकार के हेपेटाइटिस के लिए, टीके उपलब्ध हैं, जैसे हेपेटाइटिस ए और बी के लिए। इन संक्रमणों से खुद को बचाने के लिए टीकाकरण एक शानदार तरीका है।
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