भारत समेत दुनियाभर में डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक डायबिटीज के मरीजों के मामले में भारत का दूसरा स्थान है। चीन के बाद भारत में सबसे ज्यादा डायबिटीज के मरीज है। वर्तमान में भारत में 77 मिलियन लोग डायबिटीज से परेशान हैं और इसमें 12.1 मिलियन लोग 65 साल से कम के हैं और माना जा रहा है कि 2045 तक ये आंकड़ा 27 मिलियन को पार कर जाएगा। अगर आप या आपके परिवार का कोई सदस्य डायबिटीज से जूझ रहा है तो एक टेस्ट का करवाना बहुत जरूरी है। इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल के चेयरमेन डॉ. राजीव पारेख।
डायबिटीज के मरीजों को कौन सा टेस्ट करवाना चाहिए?
डॉ. राजीव पारेख के अनुसार डायबिटीज के मरीजों को HbA1c टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। HbA1c टेस्ट शरीर में ब्लड शुगर के उतार-चढ़ाव की पूरी डिटेल के बारे में बताता है। एक्सपर्ट का कहना है HbA1c टेस्ट के जरिए कोई व्यक्ति प्री डायबिटीज से पीड़ित है इसका भी पता चल सकता है। डॉ. राजीव के अनुसार HbA1c टेस्ट के जरिए किसी भी व्यक्ति के ब्लड शुगर की बॉर्डर लाइन के स्तर का पता लगता है, जिससे प्री डायबिटीज का पता चल जाता है और इलाज समय के साथ शुरू किया जा सकता है।
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HbA1c टेस्ट क्या करना चाहिए?
एक्सपर्ट के अनुसार HbA1c टेस्ट से शरीर में ब्लड शुगर लेवल का पता चलता है। इस टेस्ट के जरिए डायबिटीज और प्रीडायबिटीज होने का सटीक पता चल जाता है। दरअसल उम्र के साथ ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है। इसलिए इस टेस्ट को हर 3 महीने पर करवाना चाहिए।
HbA1c का कौन सा स्तर है खतरनाक
एक्सपर्ट का कहना है कि HbA1c टेस्ट डायबिटीज से बचाने के लिए किया जाता है। एक स्वस्थ्य व्यक्ति का HbA1c लेवल 4 से 5 फीसदी के बीच रहना चाहिए। आसान भाषा में कहें तो जब कोई आम इंसान HbA1c टेस्ट करवाता है तो इसका लेवल 60 से 100 ग्राम के बीच रहना चाहिए। टेस्ट में शुगर लेवल 60 से कम या 100 से ज्यादा होता है डायबिटीज जैसी लाइलाज बीमारी आपको परेशान कर सकती है।
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किन लोगों को करवाना चाहिए यह टेस्ट?
एक्सपर्ट का कहना है कि स्वस्थ लोगों को हर 2 साल में एक बार यह टेस्ट कराना चाहिए, जबकि डायबिटीज से जूझ रहे लोगों के लिए हर 3 महीने में यह टेस्ट कराना जरूरी होता है। सबसे जरूरी बात यह है कि यह टेस्ट डेली शुगर लेवल चेक करने वाले टेस्ट का रिप्लेसमेंट नहीं हो सकता। डेली शुगर मॉनिटरिंग ज्यादा कारगर साबित होती है. हालांकि जिन लोगों में हीमोग्लोबिन की कमी है या वे खून की किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह टेस्ट फायदेमंद नहीं होता है।
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