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नीम, करेला और मेथी जैसी कड़वी चीजों का सेवन सभी के लिए क्यों नहीं है फायदेमंद? जानें आयुर्वेदाचार्य से

नीम, करेला और मेथी का सेवन आजकल ट्रेंड में है लेकिन आयुर्वेद के अनुसार हर किसी के लिए इन कड़वी चीजों का सेवन लाभकारी नहीं होता है।
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नीम, करेला और मेथी जैसी कड़वी चीजों का सेवन सभी के लिए क्यों नहीं है फायदेमंद? जानें आयुर्वेदाचार्य से


आजकल सोशल मीडिया का दौर चल रहा है, जिसके जरिए लोग लाखों रुपए भी कमा रहे हैं। कई डॉक्टर से लेकर आयुर्वेदिक एक्सपर्ट तक सभी सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं और अपने वीडियोज शेयर करते हैं। लेकिन इसके साथ ही कई ऐसे लोग भी सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं जिनके पास डिग्री भी नहीं है और फिर भी वह तरह-तरह के आयुर्वेदिक उपायों को आजमाने से सलाह देते हैं। ऐसे में लोग वीडियोज को देखकर घर में ही आयुर्वेदिक उपायों को आजमाकर अपना इलाज करना शुरू कर देते हैं, जिसका सेहत पर बुरा असर भी हो सकता है। दरअसल, आयुर्वेद परंपरागत चिकित्सा प्रणाली है, जो हमारे शरीर के त्रिदोष (वात, पित्त, और कफ) के संतुलन पर आधारित है। हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है और वात, पित्त, और कफ  का संतुलन भी अलग-अलग होता है। ऐसे में जो जड़ी-बूटियां एक व्यक्ति के लिए लाभदायक हो सकती हैं, दूसरे के लिए हानिकारक हो सकती हैं। नीम, करेला और मेथी जैसी औषधियां भी इस नियम से अलग नहीं हैं। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से बात की है। 

नीम, करेला, मेथी जैसी कड़वी चीजों का सेवन सभी के लिए क्यों नहीं है फायदेमंद?

आयुर्वेदाचार्य ने बताया कि कड़वी चीजें जैसे कि नीम, करेला और मेथी दाना रुक्ष होते हैं, ऐसे में इनका सेवन करने से वात बढ़ सकता है, जिससे अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

1. नीम

नीम के पत्ते, निंबोली और छाल प्राचीन हर्बल औषधि हैं जिनका उपयोग आयुर्वेद में अनेक बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। नीम अपने एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है। हालांकि, नीम के पत्तों का सेवन सभी के लिए लाभकारी नहीं होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि आयुर्वेद में नीम को रुक्ष बताया गया है जो कि ड्राईनेस का कारण बनता है। आयुर्वेद में नीम के पत्तों का सेवन सिर्फ बुखार के कुछ मामलों में ही बताया गया है, इसके अलावा नीम के पत्तों का सेवन करने की सलाह किसी और समस्या के लिए नहीं दी गई है। आयुर्वेद में नीम का इस्तेमाल बाहरी तौर पर साबुन आदि के रूप में करने की सलाह दी गई है।

Neem

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2. करेला

करेला अपने कड़वे स्वाद और रक्त शोधन 'Blood purification' गुणों के लिए जाना जाता है। यह डायबिटीज के रोगियों के लिए विशेष रूप से लाभदायक है। हालांकि, वात दोष से प्रभावित व्यक्तियों के लिए करेला का अत्यधिक सेवन नुकसानदायक हो सकता है। आयुर्वेद में करेले को तेल में भूनकर खाने की सलाह दी जाती है, लेकिन आज के दौर में ज्यादातर लोग करेले को फ्राई करके खाते हैं। दरअसल, करेले को आयुर्वेद में रुक्ष बताया गया है, ऐसे में जब इसे तेल में तला जाता है तो इससे इसके रुक्षता कम हो जाती है, जो कि सेहत के लिए लाभदायक होता है। 

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3. मेथी दाना

मेथी दाना का सेवन लगातार नहीं करना चाहिए, बल्कि इसका सेवन कम समय तक ही करना चाहिए। मेथी के बीज आयुर्वेद में विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए उपयोग किए जाते हैं। यह पाचन को सुधारने, ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने और सूजन को कम करने में सहायक है। लेकिन इसका सेवन लगातार नहीं करना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह भी रुक्ष है और कई गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। 

All Images Credit- Freepik

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