चिंचपोकली क्लिनिक में हेयर ट्रांसप्लांटेशन प्रक्रिया से गुजरने के बाद 43 साल के व्यापारी श्रवण कुमार चौधरी की करीब 10 महीने बाद मौत हो गई। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, राज्य सरकार के स्वामित्य वाले जेजे अस्पताल ने साकी नाका पुलिस को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें कहा गया है कि उनके निष्कर्षों में न केवल त्वचा विशेषज्ञ की ओर से लापरवाही बरती गई बल्कि नर्सिंग होम द्वारा भी लापरवाही बरती गई, जहां पीड़ित को कुछ घंटों के लिए भर्ती कराया गया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चौधरी को ट्रांस्पलांट की प्रक्रिया के बाद जब उन्होंने बेचैनी की शिकायत की तो उसके बाद उन्हें किसी हाई सेंटर में रेफर किया जाना चाहिए था।
साकीनाका पुलिस ने मामले में आकस्मिक (Accidental) मौत की रिपोर्ट दर्ज की है। 9 मार्च को उनकी मृत्यु के बाद जांचकर्ताओं ने FIR दर्ज करने से रोक दिया था। वे जेजे ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल्स द्वारा दी जाने वाली एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रहे थे।
साकीनाका पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने कहा कि "हमने कानूनी राय मांगी है क्योंकि हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि त्वचा विशेषज्ञ और अस्पताल के कर्मचारियों को किन वर्गों में बुक किया जा सकता है। जैसे ही हमें उन वर्गों पर स्पष्टता मिलती है जिन्हें निहित किया जाना चाहिए उन पर तुरंत एक FIR दर्ज की जाएगी।”
चिंचपोकली क्लिनिक में हेयर ट्रांसप्लांट प्रक्रिया से गुजरने के लगभग 28 घंटे बाद 9 मार्च को चौधरी की मृत्यु हो गई। चंडीवाली निवासी चौधरी ने 7 मार्च को अपने स्कैल्प यानी खोपड़ी पर ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया शुरू की थी। त्वचा विशेषज्ञ (कॉस्मेटोलॉजिस्ट) विकास हलवाई ने 3,700 Follicular units तैयार कर प्रत्यारोपण (Transplant) को पूरा किया। इसके तुरंत बाद, चौधरी को अपने गुद्दी (सिर के पीछे का भाग ) में दर्द महसूस हुआ और उन्हें ग्लोबल हॉस्पिटल ले जाया गया जहां उन्हें भर्ती नहीं किया गया था।
फिर उन्हें कुछ घंटों के लिए दलवी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया और छुट्टी दे दी गई। पुलिस ने कहा कि उनके चेहरे और कंधों पर सूजन के बाद उनके परिवार ने उसे हीरानंदानी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया। जहां अगले दिन उनकी मौत हो गई।
हेयर ट्रांसप्लांट कराने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
मामले में आगे जो भी अपडेट होंगे वो हम आपको बताते रहेंगे, लेकिन यहां सवाल ये है कि क्या हेयर ट्रांसप्लांट जानलेवा हो सकता है और क्या इस प्रक्रिया से गुजरने के लिए सावधानी बरतनी जरूरी है। इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए हमने नवीन अस्पताल, ग्रेटर नोएडा के कंसल्टेंट कॉस्मेटिक एंड प्लास्टिक सर्जन, डॉक्टर निशांत छाजेड़ से बातचीत की, उन्होंने हमें हेयर ट्रांसप्लांट के बारे में विस्तार से बताया।
डॉक्टर निशांत ने कहा, "हेयर ट्रांसप्लांट को लेकर लोग जागरूक नहीं हैं। अक्सर लोग कम पैसे देने के चक्कर में किसी डर्मेटोलॉजिस्ट या किसी दूसरे विशेषज्ञ से हेयर ट्रांसप्लांट करा लेते हैं, जबकि हेयर ट्रांसप्लांट हमेशा प्लास्टिक सर्जन से ही कराना चाहिए, क्योंकि त्वचा रोग विशेषज्ञों की सर्जिकल ट्रेनिंग नहीं होती उन्हें बेसिक्स का आइडिया नहीं होता।"
इसे भी पढ़ें: सर्दियां आते ही रुखे, बेजान होकर टूटने लगे बाल तो अपनाएं ये 4 आसान टिप्स, बालों को झड़ना हो जाएगा कम
कैसे होता है हेयर ट्रांसप्लांट और सावधानियां क्या हैं?
डॉक्टर निशांत ने बताया कि, "हेयर ट्रांसप्लांट एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति को लोकल एनिस्थिसिया देकर किया जाता है, साथ ही सेंसिटिविटी टेस्ट किया जाता है। हालांकि इसके बाद भी इसमें रिस्क हो सकता है, जोकि अपवाद स्वरूप है। यह काफी लंबी प्रक्रिया है, जिसमें 6 से 12 घंटे का समय लगता है। इस प्रक्रिया को शुरू करने से पहले फिटनेस टेस्ट किया जाना जरूरी होता है। पहले से अगर व्यक्ति को कोई बीमारी है तो भी जोखिम होने की संभावना बढ़ जाती है।"
उन्होंने कहा, "सर्जरी के बाद दर्द, सूजन, खून आना जैसी समस्या हो सकती है मगर इसे मैनेज किया जा सकता है, मगर सबसे जरूरी बात यही है कि हेयर ट्रांसप्लांट प्लास्टिक सर्जन के द्वारा ही होना चाहिए।"
Read More Articles On Miscellaneous In Hindi