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जानें शरीर किस हिस्से में छिपे होते हैं हमारे इमोशन्स?

आजकल बहुत से लोग तनाव और एंग्जायटी की समस्या से जूझ रहे हैं। यहां जानिए, शरीर के कौन से हिस्से में भावनाएं छुपी होती हैं।
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जानें शरीर किस हिस्से में छिपे होते हैं हमारे इमोशन्स?


शरीर और मन का एक गहरा संबंध होता है, जो भले ही दिखाई नहीं देता है लेकिन जब हम किसी इमोशनल स्थिति से गुजरते हैं, तो उसकी छाप हमारे शरीर पर भी पड़ती है। आयुर्वेद और योग के अनुसार, हमारी भावनाएं केवल मन में ही नहीं, बल्कि शरीर के विभिन्न अंगों में भी इकट्ठी हो जाती हैं। इन भावनाओं को पहचानना और उन्हें सही तरीके से मैनेज करना जरूरी है, ताकि हम शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रख सकें। योग, प्राणायाम और ध्यान का नियमित अभ्यास करके हम इन भावनाओं को शरीर से बाहर निकाल सकते हैं और स्वास्थ्य को बेहतर कर सकते हैं। हाल ही में प्रमाणित योग मनोवैज्ञानिक इलाश्री आनंद (Certified Yoga Psychologist, Ilashrei Anand) ने सोशल मीडिया पर अपने एक पोस्ट में बताया है कि अलग-अलग भावनाएं हमारे शरीर के कौन-कौन से हिस्सों में इकट्ठी होती हैं, इसके साथ ही उन्होंने इसके लिए योग आसान भी बताए हैं।

शरीर के अलग-अलग हिस्सों में भावनाओं का प्रभाव

1. गला: अभिव्यक्ति में असमर्थता, आत्म-मूल्य की कमी और विश्वास की समस्याएं

गला वह स्थान है जहां हम अपनी अभिव्यक्तियों को जमा करते हैं। जब हम अपनी भावनाओं, विचारों या असहमति को व्यक्त करने में असमर्थ होते हैं, तो यह गले में जमा हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप, हम अपने आत्म-मूल्य (self-worth) को कम आंकने लगते हैं और विश्वास की समस्याएं हो सकती हैं। योग और प्राणायाम के माध्यम से हम इन नेगेटिव भावनाओं को कम कर सकते हैं। 

योग अभ्यास

भ्रामरी प्राणायाम: यह प्राणायाम आपके गले को हेल्दी रखने में मदद करता है और आपको अपनी भावनाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में सक्षम बनाता है।

भुजंगासन: यह योग आसन गले की मांसपेशियों को मजबूत करता है और वहां जमा हुई नेगेटिविटी को निकालता है।

ताड़ासन: यह आसन शरीर को संतुलित करता है और आपके आत्म-सम्मान को बढ़ाता है।

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2. लिवर: गुस्सा, नफरत और शिकायत की भावनाएं

लिवर हमारे शरीर का वह अंग है, जहां गुस्सा, नफरत और शिकायत की भावनाएं इकट्ठी होती हैं। यदि ये भावनाएं लंबे समय तक रहती हैं, तो यह लिवर की सेहत को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

योग और प्राणायाम

शीतली प्राणायाम: इस प्राणायाम के अभ्यास से शरीर में ठंडक और शांति आती है, जिससे गुस्सा शांत किया जा सकता है।

धनुरासन: यह आसन लिवर को एक्टिव करता है और उसमें इकट्ठी भावनाओं को मुक्त करने में सहायक होता है।

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3. कंधे: जिम्मेदारियों का बोझ, आत्मविश्वास की कमी

कंधे वह स्थान हैं जहां हम जिम्मेदारियों का बोझ उठाते हैं। जब हमारे पास जिम्मेदारियों का ज्यादा बोझ होता है और हम अपने आत्मविश्वास को खो देते हैं, तो यह कंधों में जमा हो जाता है। जिसके कारण शरीर में दर्द और मानसिक असंतुलन पैदा हो सकता है।

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योग और प्राणायाम

अनुलोम-विलोम प्राणायाम: इस प्राणायाम के माध्यम से सांस को संतुलित किया जाता है, जिससे कंधों का तनाव कम होता है।

बालासन: यह आसन कंधों और गर्दन को आराम देने में सहायक होता है और उनमें जमा तनाव को दूर करता है।

त्राटक ध्यान: यह ध्यान कंधों के साथ-साथ मानसिक तनाव को भी कम करने में सहायक है।

4. गर्भाशय: नियंत्रित होने की भावना, संबंधों का ट्रॉमा

गर्भाशय महिलाओं के शरीर का वह अंग है, जहां वे नियंत्रित होने की भावना और संबंधों से जुड़ी मानसिक चोटें इकट्ठी करती हैं। इससे गर्भाशय से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

योग और प्राणायाम

भस्त्रिका प्राणायाम: इस प्राणायाम के माध्यम से गर्भाशय में जमा नेगेटिव इमोशन को दूर किया जा सकता है।

कोणासन: यह आसन गर्भाशय को स्वस्थ रखने और उसमें तनाव को कम करने में सहायक होता है।

हलासन: यह आसन गर्भाशय और पेट के निचले हिस्से को खोलता है।

निष्कर्ष

हमारा शरीर और मन एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और भावनाएं शरीर के अलग-अलह अंगों में इकट्ठी हो सकती हैं। योग और प्राणायाम का नियमित अभ्यास न केवल इन भावनाओं को पहचानने और उनसे मुक्त होने में सहायक हो सकता है, बल्कि यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बना सकता है। 

 

 

 

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All Images Credit- Freepik

 

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