प्रेग्नेंसी के दौरान एमआरआई (MRI)स्कैन की कब और क्यों जरूरत पड़ती है? एक्सपर्ट से जानें

गर्भावस्था में एमआरआई स्कैन कब और क्यों कराया जाता है या इससे क्या नुकसान हो सकते हैं जानने के लिए पढ़ें यह पूरा लेख।
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प्रेग्नेंसी के दौरान एमआरआई (MRI)स्कैन की कब और क्यों जरूरत पड़ती है? एक्सपर्ट से जानें


एमआरआई स्कैन का मतलब है मैगनेटिक रेसोनेंस इमेजिंग। इस प्रक्रिया में एमआरआई मशीन शरीर के विभिन्न हिस्सों की मैगनेटिक और रेडियो रेस़ से या फील्ड के द्वारा तस्वीरें बनाती है। मदरहुड हॉस्पिटल में सीनियर आब्सट्रिशियन एंड गायनोकोलॉजिस्ट डॉ मनीषा रंजन बताती हैं कि एमआरआई एक नॉन इनवेसिव टूल होता है। यानी इससे गर्भवती के शरीर पर किसी तरह का कट या सुराग नहीं किया जाता। बच्चे की सेहत का पता करने के लिए कुछ महिलाओं को गर्भावस्था में एमआरआई स्कैन से होकर गुजरना होता है। एमआरआई को गर्भवती महिलाओं के लिए एक सुरक्षित डायग्नोस्टिक टूल माना जाता है। जब अल्ट्रासाउंड का प्रयोग पर्याप्त नहीं होता है तब इसका प्रयोग किया जाता है। 

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अगर आपके डॉक्टर को निम्न चीजें जानने की जरूरत पड़ती है तो वह एमआरआई करवाने के लिए बोल सकते हैं जैसे:

  • जब अल्ट्रा साउंड पर्याप्त जानकारी न दे पा रहा हो।
  • जब गर्भवती को स्वास्थ्य से जुड़ी किसी दिक्कत के लिए जल्द ही उपचार की आवश्यकता पड़ने वाली हो।
  • बच्चे के दिमाग, प्लेसेंटा, फेफड़ों और एयरवे आदि के बारे में और अधिक जानकारी चाहिए हो।
  • बच्चे में किसी तरह की कमी तो नहीं, यह जांचने के लिए।

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क्या प्रेग्नेंसी के दौरान एमआरआई का प्रयोग सुरक्षित होता है?

एक्सपर्ट्स के मुताबिक प्रेग्नेंसी में एमआरआई स्कैन करवाना पूरी तरह से सुरक्षित होता है। पहले, दूसरे या तीसरे किसी भी ट्राइमेस्टर (तिमाही) में इसका प्रयोग बिना किसी सेहत से जुड़ी चिंता के, किया जा सकता है। इसका प्रयोग हर महिला के केस में नहीं बल्कि कुछ ही महिलाओं के केस में किया जाता है। जब अधिक जानकारी चाहिए होती है और बाकी किसी टूल से वह जानकारी प्राप्त नहीं हो पाती है तब ही एमआरआई की आवश्यकता होती है। एमआरआई डीप सॉफ्ट टिश्यू की इमेज भी बिना आईओनाइजिंग रेडिएशन के दिखा सकता है। बच्चे पर भी एमआरआई का कोई असर नहीं पड़ता है।

क्या प्रेग्नेंसी के दौरान एमआरआई करवाने से कोई रिस्क फैक्टर शामिल है?

कई बार एमआरआई में प्रयोग होने वाले गैडोलिनियम एजेंट्स से डिलीवरी के समय थोड़ी बहुत दिक्कत आ सकती है। पहले जानिए गैडोलिनियम एजेंट्स क्या हैं?दरअसल ये एजेंट एक केमिकल है जो एमआरआई. के दौरान टिशूज में एब्नार्मेलिटी, ट्यूमर, सूजन या ब्लड क्लोट की सही पिक्चर देने में सहायता करता है। बहुत ही कम संभावना होती है कि गेडोलेनियम एजेंट्स के एक्सपोजर के कारण बच्चे की पेट में ही मृत्यु हो जाए या पैदा होने के बाद उसकी मृत्यु का खतरा बना रहे। इसलिए बहुत से डॉक्टर इन एजेंट्स का प्रयोग नहीं करते।

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इन एजेंट्स के कारण संभावित नुकसान 

डिलीवरी के बाद बच्चे की स्किन काफी सूजी लग सकती है। लेकिन ऐसा केवल तब होता है जब गैलोडिनियम एजेंट्स का प्रयोग किया जाता है। बहुत सी महिलाएं एमआरआई का नाम सुनते ही थोड़ी चिंतित और थोड़ी एंजाइटी से घिर जाती हैं जिससे उनकी मानसिक सेहत पर असर पड़ सकता है।

क्या एमआरआई की बजाए किन्हीं अन्य ऑप्शन का प्रयोग किया जा सकता है?

प्रेग्नेंसी के दौरान एमआरआई की बजाए अल्ट्रा साउंड और सीटी स्कैन जैसे उपकरणों का प्रयोग किया जा सकता है। बहुत से केसों में जब इन यंत्रों से पर्याप्त जानकारी नहीं मिल पाती है तो उसके बाद ही एमआरआई का प्रयोग किया जाता है।

काफी कम ऐसे केस होते हैं जिसमें एमआरआई के थोड़े बहुत साइड इफेक्ट मां या फिर बच्चे को देखने को मिलते हैं। इसलिए अगर गर्भावस्था में आपके डॉक्टर ने आप को एमआरआई करवाने के लिए बोला है तो इसको लेकर बिलकुल भी चिंतित न हों क्योंकि यह आपके और बच्चे की सेहत से जुड़े संदेहों को दूर करने के लिए ही है। इसके बारे में सोच कर बिलकुल भी परेशान न हों नहीं तो आपके मूड स्विंग होने के कारण मानसिक स्थिति पर काफी प्रभाव पड़ता है जो इस दौरान ठीक नहीं होता।

all images credit: freepik

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