हड्डी टूटना (फ्रैक्चर) एक आम समस्या है। कुछ मामलों में सर्जरी के दौरान प्लेट, स्क्रू या रॉड (मेटल इंप्लांट) लगाना जरूरी हो जाता है, लेकिन हर फ्रैक्चर के इलाज में मेटल इंप्लांट की जरूरत नहीं होती। कई बार हड्डी को बिना ऑपरेशन के भी ठीक किया जा सकता है। मेटल इंप्लांट का इस्तेमाल हड्डी को सही स्थिति में रखने, जल्दी जुड़ने और दोबारा चोट से बचाने के लिए किया जाता है। डॉक्टर यह फैसला हड्डी की स्थिति, चोट की गंभीरता, उम्र और स्वास्थ्य स्थिति को देखकर करते हैं। अगर समय पर सही इलाज न मिले, तो हड्डी गलत जुड़ सकती है, जिसके कारण दर्द या चलने-फिरने में दिक्कत आ सकती है। इसलिए यह जानना जरूरी है कि हड्डी टूटने पर मेटल इंप्लांट की जरूरत कब पड़ती है। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के अपोलो हॉस्पिटल के ऑर्थो डिपार्टमेंट के आर्थोपेडिक सर्जन डॉ इमरान अख्तर से बात की।
1. गंभीर फ्रैक्चर- Serious Fracture
जब बोन फ्रैक्चर होने पर हड्डी कई टुकड़ों में टूट जाती है या हड्डी जगह से हट जाती है, तो सिर्फ प्लास्टर या ब्रेस से ठीक होना मुश्किल होता है। ऐसे मामलों में प्लेट या रॉड जैसी मेटल इंप्लांट लगाए जाते हैं, ताकि हड्डी स्थिर रहे और सही ढंग से जुड़ सके।
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2. वजन सहने वाली हड्डियों का फ्रैक्चर- Weight Bearing Bone Fracture
पैर, जांघ, टखना या पेल्विस जैसी हड्डियां वजन सहने वाली होती हैं। इन पर दबाव ज्यादा होता है, इसलिए इनकी चोट के बाद इंप्लांट लगाने से जल्दी रिकवरी होती है और दोबारा चोट लगने का खतरा कम होता है।
3. हड्डी के जोड़ के पास फ्रैक्चर होना- Fracture Near Joints
घुटना, कोहनी, कंधा या कलाई जैसी जगहों के पास की हड्डियां अगर टूट जाएं, तो उनकी स्थिति और मूवमेंट बनाए रखना मुश्किल हो जात होता है। ऐसे फ्रैक्चर में मेटल इंप्लांट लगाकर हड्डी को स्थिर किया जाता है ताकि बाद में जोड़ों की मूवमेंट में दिक्कत न हो।
4. पुराना या गलत तरीके से जुड़ा फ्रैक्चर- Old Or Malunited Fracture
कभी-कभी हड्डी गलत तरीके से जुड़ जाती है या पुराना फ्रैक्चर ठीक नहीं हो पाता। ऐसे मामलों में दोबारा सर्जरी करके मेटल इंप्लांट लगाकर हड्डी को सही पोजीशन में रखा जाता है ताकि दर्द और डिफॉर्मिटी को दूर किया जा सके।
डॉक्टर की राय क्यों जरूरी है?- Why Doctor’s Opinion Is Crucial
हर फ्रैक्चर अलग होता है। डॉक्टर एक्स-रे, सीटी स्कैन या एमआरआई के आधार पर तय करते हैं कि ऑपरेशन और इंप्लांट की जरूरत है या नहीं। खुद से फैसला लेने के बजाय डॉक्टर से सलाह लेना बेहतर है। बच्चों में हड्डी जल्दी जुड़ती है, इसलिए कई बार इंप्लांट की जरूरत नहीं पड़ती। वहीं बुजुर्गों में हड्डी कमजोर होती है और फ्रैक्चर मुश्किल हो सकता है, इसलिए वहां इंप्लांट की संभावना ज्यादा रहती है।
निष्कर्ष:
मेटल इंप्लांट हड्डी को सही स्थिति में रखने और तेजी से ठीक करने में मदद करते हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल तभी किया जाना चाहिए जब जरूरी हो। डॉक्टर की सलाह और समय पर इलाज से हड्डी दोबारा पहले जैसी मजबूत बन सकती है और भविष्य में हड्डी की समस्याओं से बचा जा सकता है।
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FAQ
बोन इंप्लांट क्या होता है?
बोन इंप्लांट एक चिकित्सा उपकरण है, जिसमें प्लेट, स्क्रू या रॉड जैसी सामग्री लगाई जाती है ताकि टूटी या डैमेज हुई हड्डी को सही स्थिति में रखकर मजबूत तरीके से जुड़ने में मदद मिल सके।बोन इंप्लांट में कितना खर्चा होता है?
बोन इंप्लांट की लागत अस्पताल, शहर, इस्तेमाल किए गए मेटल या इंप्लांट के प्रकार पर निर्भर करती है। भारत में सामान्य तौर पर 50 हजार से 2 लाख के बीच बोन इंप्लांट में खर्च हो जाता है।बोन इंप्लांट के बाद रिकवरी कितने दिनों में होती है?
बोन इंप्लांट के बाद रिकवरी सामान्य तौर पर 6 से 12 हफ्तों में होती है। इतने समय में हड्डी जुड़ना शुरू हो जाती है और पूरी तरह से हड्डी को ठीक होने में 3 से 6 महीनों का समय लग सकता है।
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Sep 18, 2025 09:13 IST
Published By : यशस्वी माथुर