तेजी से चलने, किसी ऊंची जगह से कूदने या चोट के कारण पैर या एड़ी की हड्डी में फ्रैक्चर हो सकता है। इस स्थिति में पैर में तेज दर्द होने लगता है। साथ ही, व्यक्ति को चलने में भी परेशानी हो सकती है। यदि, फ्रैक्चर का इलाज न किया जाए, तो इसकी वजह से व्यक्ति को परमानेंट डिसेब्लिटी हो सकती है। फ्रैक्चर में हड्डी में मामूली क्रैक या दरार हो सकती है। कई बार हड्डी टूट कर बाहर भी आ जाती है। ज्यादा टूटी हुई हड्डी को जोड़ने के लिए सर्जरी की जा सकती है। कुछ लोगों की हड्डी में फ्रैक्चर इतना गंभीर होता है कि उनकी हड्डी में प्लेट, रॉड या पेच लगाना पड़ सकता है। आगे डॉक्टर सचिन नालावाड़े से जानते हैं कि एड़ी की हड्डी में फ्रैक्चर के क्या कारण हो सकते हैं और इसका इलाज कैसे किया जा सकता है।
एड़ी की हड्डी के फ्रैक्चर के कारण - Causes Of Fracture In Heel Bones In Hindi
गंभीर चोट लगना
एड़ी की हड्डी के फ्रैक्चर के प्राथमिक कारणों में गंभीर चोट हो सकता है। किसी जगह से गिरने, खेलते समय गिरना या वाहन चलाते समय गिरने से फ्रैक्चर हो सकता है। बड़ी हड्डी (कैल्केनस) में चोट की वजह से हल्का या गंभीर फ्रैक्चर हो सकता है। ऐसे में सूजन और तेज दर्द महसूस हो सकता है।
मांसपेशी में तनाव
एड़ी की हड्डी व आसपास की मांसपेशियों पर होने वाले दबाव के कारण भी कुछ लोगों को फ्रैक्चर हो सकता है। दौड़ते समय मांसपेशियों में तेज दबाव के चलते फ्रैक्चर की आंशका बढ़ सकती है। मांसपेशियों में दबाव के कारण हड्डी पर छोटी-छोटी दरारें पड़ सकती हैं। ऐसे में हड्डी कमजोर हो सकती है, जिसकी वजह फ्रैक्चर हो सकता है।
ऑस्टियोपोरोसिस
ऑस्टियोपोरोसिस की वजह से हड्डी कमजोर और टूट सकती है। इस स्थिति में एड़ी की हड्डी में फ्रैक्चर की आशंका बढ़ सकती है। ऑस्टियोपोरोसिस में बोन डेंसिटी पर प्रभाव पड़ सकता है। इसकी वजह से कैल्केनस हल्की चोट से भी टूट सकती है। महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या हो सकती है।
पैर में तेज टक्कर लगना
एड़ी की हड्डी में किसी चीज के तेजी से लगने के कारण फ्रैक्चर की समस्या हो सकती है। इस स्थिति में व्यक्ति को सामान्य रूप से चलने में परेशानी होती है। इस दौरान कोई नुकीली वस्तु पैर में भी गड़ सकती है। इस चोट के बाद व्यक्ति को पैर में सूजन हो सकती है।
एड़ी की हड्डी के फ्रैक्चर का उपचार - Treatment of Fracture In Heel Bones In Hindi
स्थिर रखना (Immobilization)
एड़ी की हड्डी के फ्रैक्चर में सबसे पहले व्यक्ति के पैर को एक ही पोजीशन पर रखने के कार्य किया जाता है। इससे हड्डी का फ्रैक्चर बढ़ता नहीं है। इसके लिए डॉक्टर मरीज के पैर में पट्टी और गीले प्लास्टर को चढ़ाते हैं। इससे पैर की स्थिति एक ही पोजीशन में रहता है।
पैर को ऊंचा रखना
प्रभावित पैर को आराम देने और दर्द को कम करने के लिए उसे नॉर्मल हाइट से ऊंचा रखा जाता है। इससे फ्रैक्चर के बाद की सूजन को कम करने में मदद मिलती है। साथ ही, फ्रैक्चर वाले पैर में रक्त प्रवाह बना रहता है।
दर्द को कम करना
दर्द को कम करने के लिए डॉक्टर कुछ पेनकिलर दवाएं दे सकते हैं। इसके साथ ही, प्लास्टर से पहले प्रभावित हिस्से में सूजन को कम करने के लिए आइस पैक की सिकाई करने के लिए कह सकते हैं। इससे दर्द का अहसास कम होता है।
सर्जरी
जिन लोगों की हड्डी पूरी तरह से टूट जाती है, उनकी हड्डी को जोड़ने के लिए सर्जरी की जा सकती है। इसमें डॉक्टर किसी प्लेट या रॉड को दो टूटी हुई हड्डियों के साथ जोड़ देते हैं। इससे व्यक्ति को पैर का मूवमेंट करने में परेशानी नहीं होती है। लेकिन, इसके लिए एक्सरसाइज करने की जरुरत हो सकती है।
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एड़ी की हड्डी में फ्रैक्चर से व्यक्ति की दिनचर्या प्रभावित हो सकती है। क्योंकि ऐसे में व्यक्ति को चलने में परेशानी होती है, जिससे वह अपने रोजाना के कार्यों को भी नहीं कर पाते हैं। हड्डी में किसी भी तरह की गंभीर चोट को हल्के में न लें, यह फ्रैक्चर का संकेत हो सकता है। ऐसे में आप तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।