मानसून का मौसम भले ही बारिश के साथ ठंडी हवाओं और राहत को लेकर आता हो, लेकिन यह छोटे बच्चों खासकर नवजात शिशुओं (Newborn Babies) के लिए कई तरह की स्वास्थ्य परेशानियां भी खड़ा कर देता है। लगातार बढ़ती नमी, तापमान में अचानक उतार-चढ़ाव और बैक्टीरिया-फंगस की ग्रोथ के कारण इस मौसम में सांस की तकलीफ (Breathing Problems) हो सकती है। नवजात शिशुओं की इम्यूनिटी और फेफड़े दोनों ही पूरी तरह विकसित नहीं होते, ऐसे में जरा सी लापरवाही उन्हें खांसी, जुकाम, सांस फूलना, छाती में दर्द, कफ जमना या निमोनिया का कारण बन सकता है। अगर आपका बेबी, बारिश के मौसम में सांस लेने में दिक्कत महसूस कर रहा है, तो घबराने की बजाय सावधानी बरतना जरूरी है। डॉक्टर के अनुसार, साफ-सफाई, तापमान नियंत्रण और देखभाल से सांस की तकलीफ को काफी हद तक रोका जा सकता है। इस लेख में जानेंगे कि नवजात शिशु को मानसून में सांस की समस्या होने पर क्या करना चाहिए। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए लखनऊ के डफरिन हॉस्पिटल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सलमान खान से बात की।
1. कमरे की सफाई और नमी को कंट्रोल करें- Clean Room & Control Humidity
- मानसून के दिनों में, कमरे में सीलन और धूल-मिट्टी तेजी से बढ़ती है, जो शिशु के फेफड़ों में कफ भरने का कारण बनती है।
- रोजाना कमरे की सफाई करें, खिड़कियां खुली रखें।
- 50-60 % से ज्यादा नमी हो, तो डिह्यूमिफायर या एसी चलाएं। इससे बेबी को सांस लेने में आसानी रहती है।
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2. धुएं और तेज महक से बचाव करें- Avoid Smoke & Strong Odours
- अगर घर में अगरबत्ती, धूपबत्ती, पर्फ्यूम या किचन का धुआं फैले, तो नवजात के लिए हानिकारक हो सकता है।
- बेबी के आसपास ऐसे स्मोक या स्ट्रॉन्ग फ्रैग्रेंस यूज न करें।
- धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को बच्चे से दूर रखें।
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3. सही कपड़े और सही तापमान का ध्यान रखें- Maintain Right Temperature & Clothing
- मानसून में नवजात शिशु को हल्के कॉटन के कपड़े पहनाएं जो पसीना सोख सके।
- कमरे का तापमान 24-26°C रखें ताकि शिशु को सर्दी-गर्मी न लगे और सांस समान्य रहे।
4. शिश को भाप दिलाएं- Steam Inhalation for Comfort
- अगर बच्चा सांस लेने में घरघराहट या भरी-भरी आवाज करे, तो डॉक्टर से सलाह लेकर हल्की भाप देना फायदेमंद है।
- भाप से कफ ढीला होकर सांस लेने में आराम मिलता है।
- गुनगुने पानी से भरे बर्तन के पास नवजात शिशु को पकड़कर बैठें ताकि शिशु को डायरेक्ट स्टीम न लगे।
5. इम्यूनिटी के लिए ब्रेस्टफीडिंग कराएं- Increase Breastfeeding for Immunity
- स्तनपान नवजात की पहली और सबसे अहम दवा है।
- मानसून में इंफेक्शन से बचाने के लिए बच्चे को बार-बार स्तनपान (Breastfeeding) कराएं।
- मां का दूध, शिशु की इम्यूनिटी को बढ़ाता है और इंफेक्शन से फेफड़ों को सुरक्षित रखता है।
6. समय पर डॉक्टर से संपर्क करें- Consult Your Doctor
- अगर बच्चे की सांस तेज चलने लगे, पसलियां फूले या होंठ नीले दिखें, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
- सेल्फ-मेडिकेशन न करें।
- डॉक्टर की सलाह से ही नेबुलाइजर चलाएं।
7. वैक्सीन और हाइजीन का ध्यान रखें- Vaccination and Hygiene
- वैक्सीनेशन, शिशु को जानलेवा फेफड़ों के रोगों से बचाता है।
- इसलिए समय पर सभी टीके लगवाएं।
- हाथ साफ करें और बाहर के लोगों को भी शिशु को छूने से पहले हाथ धोने को कहें।
मानसून में नवजात शिशुओं की सांस संबंधी समस्याओं को हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है। लेकिन अगर माता-पिता, साफ-सफाई, सही तापमान, पोषण और डॉक्टर के बताए तरीकों को अपनाएं, तो ज्यादातर समस्याओं से आसानी से बचाव संभव है।
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FAQ
नवजात शिशुओं को सांस लेने में समस्या क्यों होती है?
नवजात शिशुओं के फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं होते और उनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। मौसम में बदलाव, इंफेक्शन, सीलन या ठंडी हवा आसानी से उनकी सांस की नलियों में कफ जमा कर देती है जिससे सांस लेने में दिक्कत आने लगती है।बच्चों की सांस फूले तो क्या करें?
अगर बच्चे की सांस तेज चल रही हो या पसलियां फूले, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। कमरे की हवा साफ रखें, भाप दिलाएं और बच्चे को सीने से लगाए रखें। भारी कपड़े या तेज धूप से बच्चे को बचाएं। समय पर ट्रीटमेंट से गंभीर खतरा टाला जा सकता है।नवजात शिशु को सांस लेने में क्या समस्याएं होती हैं?
नवजात को नाक बंद होना, घरघराहट, तेज सांस चलना, कफ जमना, रीब्रैथिंग प्रॉब्लम या निमोनिया जैसे इंफेक्शन हो सकते हैं। ऐसे में बच्चे के होंठ नीले पड़ सकते हैं और दूध पीने में दिक्कत हो सकती है। यह स्थिति गंभीर हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।