आज के समय में हमारी लाइफस्टाइल तेजी से बदल रही है। अनियमित डेली रूटीन, जंक फूड का ज्यादा सेवन, देर रात तक जागना, कम नींद लेना, बैठकर लंबे समय तक काम करना और लगातार मानसिक तनाव, ये सभी आदतें हमारे पाचन तंत्र पर बुरा असर डालती हैं। नतीजतन, एसिडिटी यानी अम्लपित्त की समस्या आम होती जा रही है। पेट में जलन, खट्टी डकार, गैस और सीने में जलन जैसी परेशानियां लोगों को रोजाना झेलनी पड़ रही हैं। एसिडिटी के लिए बाजार में कई तरह की दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन ये केवल अस्थायी राहत देती हैं और लंबे समय तक इनका सेवन स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकता है। इसलिए आजकल लोग नेचुरल और आयुर्वेदिक तरीकों की ओर रुख कर रहे हैं, जो बिना किसी साइड इफेक्ट के शरीर को भीतर से ठीक करने में मदद करते हैं।
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि एसिडिटी की समस्या को ठीक करने के लिए क्या पिया जाए? कौन-कौन से घरेलू और आयुर्वेदिक पेय हैं जो अम्लपित्त को संतुलित करते हैं, पाचन को सुधारते हैं और शरीर को ठंडक व राहत देते हैं? इस लेख में हम रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानेंगे कि एसिडिटी ठीक करने के लिए क्या पीना चाहिए?
एसिडिटी ठीक करने के लिए क्या पीना चाहिए? - what should we drink to reduce acidity
आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा के अनुसार, कुछ खास प्राकृतिक पेय पदार्थ और औषधियों का नियमित सेवन करके एसिडिटी की समस्या को प्रभावी रूप से कंट्रोल किया जा सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार एसिडिटी में क्या पीना चाहिए।
1. धनिया का पानी
धनिया केवल मसालों में स्वाद बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक प्रभावशाली आयुर्वेदिक औषधि भी है। डॉ. श्रेय शर्मा बताते हैं कि धनिया का पानी एसिडिटी को शांत करने में अत्यंत लाभकारी होता है। रात को एक गिलास पानी में 1 चम्मच साबुत धनिया भिगो दें। सुबह इस धनिया के पानी को छानकर खाली पेट पी लें। चाहें तो हल्का गुनगुना करके भी पी सकते हैं।
- पाचन तंत्र को शांत करता है
- गैस और अम्लपित्त को संतुलित करता है
- शरीर में ठंडक और तरलता बनाए रखता है
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2. गिलोय का काढ़ा या रस
गिलोय को आयुर्वेद में 'अमृता' कहा गया है, यानी अमृत समान औषधि। यह शरीर के त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करती है, खासकर पित्त दोष से जुड़ी समस्याओं में बहुत उपयोगी है। 1 चम्मच गिलोय का रस या गिलोय के टुकड़ों को पानी में उबालकर उसका काढ़ा बनाकर सुबह खाली पेट या रात को खाने के बाद लिया जा सकता है।
- अम्लपित्त को प्राकृतिक रूप से कंट्रोल करता है
- पाचन क्रिया को मजबूत करता है
- इम्यूनिटी बढ़ाता है
3. लौंग का पानी
लौंग को आमतौर पर मसाले के रूप में जाना जाता है, लेकिन यह पेट की समस्याओं के लिए एक बेहतरीन औषधि है। डॉ. शर्मा बताते हैं कि लौंग के पानी का सेवन एसिडिटी से तुरंत राहत दे सकता है। 2 लौंग को रातभर एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह इसे छानकर पी लें, या फिर खाना खाने के 30 मिनट बाद भी लिया जा सकता है।
- गैस और अम्लता से तुरंत राहत
- पेट में सूजन और भारीपन कम करता है
- मुंह के स्वाद को भी ठीक करता है
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4. निशोथ जड़ी-बूटी का चूर्ण
निशोथ एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो शरीर को डिटॉक्स करती है और पेट की सफाई करती है। इसका चूर्ण अम्लपित्त को कम करने के साथ-साथ कब्ज की समस्या में भी मदद करता है। रात को सोने से पहले 1/2 चम्मच निशोथ चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ लें।
- पाचन तंत्र को साफ करता है
- आंतों से विषैले तत्वों को निकालता है
- लंबे समय से बनी एसिडिटी की समस्या में लाभकारी
5. एलोवेरा जूस
एलोवेरा केवल त्वचा या बालों के लिए नहीं, बल्कि आंतरिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभकारी है। डॉ. श्रेय शर्मा कहते हैं कि एलोवेरा जूस का सीमित मात्रा में सेवन एसिडिटी की समस्या को शांत करने में सहायक हो सकता है। सुबह 15-20 मि.ली. एलोवेरा जूस को एक गिलास पानी में मिलाकर पिएं।
- पेट को ठंडक पहुंचाता है
- पाचन अग्नि को संतुलित करता है
- आंतरिक सूजन कम करता है
निष्कर्ष
एसिडिटी एक ऐसी समस्या है जिसे अगर समय रहते और सही तरीके से न रोका जाए, तो यह आगे चलकर गंभीर गैस्ट्रिक रोगों में बदल सकती है। डॉ. श्रेय शर्मा द्वारा सुझाए गए पेय जैसे कि धनिया का पानी, गिलोय का रस, लौंग का पानी, निशोथ चूर्ण और एलोवेरा जूस अगर नियमित रूप से और उचित मात्रा में लिए जाएं, तो न केवल एसिडिटी से राहत मिल सकती है, बल्कि पाचन तंत्र भी मजबूत हो सकता है। लेकिन अगर आपकी समस्या गंभीर है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
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FAQ
एसिडिटी होने से शरीर में क्या होता है?
एसिडिटी होने पर पेट में बनने वाला अम्ल (एसिड) असंतुलित हो जाता है और सामान्य से ज्यादा मात्रा में बनने लगता है। इससे पेट में जलन, खट्टी डकार, गैस, भूख न लगना, सीने में जलन, मुंह का स्वाद खराब होना और कभी-कभी उल्टी जैसा महसूस होना शुरू हो जाता है। लंबे समय तक एसिडिटी बनी रहने पर आंतों में सूजन, अल्सर, एसिड रिफ्लक्स और अपच जैसी गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह पित्त दोष के बढ़ने का संकेत होता है, जो खानपान और तनाव के कारण होता है।एसिडिटी क्यों होती है?
एसिडिटी होने का मुख्य कारण पेट में पाचन के लिए बनने वाले अम्ल का असंतुलन है। जब यह अम्ल जरूरत से ज्यादा बनता है या गलत समय पर निकलता है, तो वह पेट की परत और आंतों को प्रभावित करता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे अनियमित खानपान, ज्यादा मसालेदार, ऑयली या जंक फूड खाना, देर रात भोजन करना, भूखे रहना, ज्यादा चाय-कॉफी या कोल्ड ड्रिंक पीना, नींद की कमी और मानसिक तनाव।एसिडिटी होने पर क्या करें?
एसिडिटी होने पर सबसे पहले हल्का, सुपाच्य और कम मसाले वाला भोजन करें। ज्यादा पानी पिएं, लेकिन भोजन के तुरंत बाद नहीं। आयुर्वेद के अनुसार धनिए का पानी, गिलोय का रस, लौंग का पानी या एलोवेरा जूस पीना लाभकारी होता है। नारियल पानी और सौंफ का पानी भी पेट को ठंडक देता है। तले-भुने और खट्टे फूड्स से परहेज करें। खाना समय पर खाएं और एक साथ बहुत ज्यादा भोजन न करें। तनाव से बचें और रोजाना कुछ समय ध्यान या प्राणायाम करें। अगर समस्या बनी रहे, तो किसी डॉक्टर से परामर्श लें।