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दही में मिश्री मिलाकर खाने के हैं अनेक फायदे, आयुर्वेदाचार्य से जानें

गर्मी के मौसम में अक्सर लोग दही खाना पसंद करते हैं और कुछ लोग तो रोजाना दही के साथ मिश्री मिलाकर खाते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि दही में मिश्री मिलाकर खाने के फायदे क्या होते हैं?
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दही में मिश्री मिलाकर खाने के हैं अनेक फायदे, आयुर्वेदाचार्य से जानें


गर्मी के मौसम में शरीर को ठंडक पहुंचाने और पाचन को दुरुस्त रखने के लिए लोग अक्सर अपने भोजन में दही को शामिल करते हैं। यह न केवल स्वाद में अच्छा होता है बल्कि स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। खासकर जब दही में मिश्री मिलाकर खाया जाता है, तो यह संयोजन और भी प्रभावशाली बन जाता है। मिश्री, जो प्राकृतिक मिठास से भरपूर होती है, दही की शीतलता और पौष्टिकता को संतुलित करती है, जिससे यह मिश्रण गर्मी के मौसम के लिए आदर्श आहार बन जाता है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि दही और मिश्री की सही मात्रा में और सही समय पर सेवन कैसे किया जाए, ताकि इसका पूरा फायदा मिल सके। इस लेख में रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, दही में मिश्री मिलाकर खाने के फायदे और सेवन का सही तरीका क्या है?

दही में मिश्री मिलाकर खाने के फायदे - Curd With Mishri Benefits

आयुर्वेद के अनुसार दही को 'गुरु' यानी भारी आहार माना गया है। जब इसमें मिश्री मिलाई जाती है, तो यह और अधिक भारी व तृप्तिकर बन जाता है। यह संयोजन विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी होता है जिन्हें बार-बार भूख लगती है या जो बहुत दुबले-पतले हैं और वजन नहीं बढ़ा पा रहे। वहीं, कुछ लोगों के लिए यह नुकसानदायक भी हो सकता है। जैसे वे लोग जिन्हें भूख कम लगती है या पाचन कमजोर है। दही अच्छे बैक्टीरिया से भरपूर होता है और यह पेट के लिए लाभकारी होता है, खासकर यदि उसे दोपहर में खाया जाए। वहीं मिश्री एक प्राकृतिक मिठास होती है जो गन्ने के रस को ठंडा कर सूखाकर बनाई जाती है। मिश्री आयुर्वेद में शीतल, बलवर्धक और पाचन में सहायक मानी जाती है।

जब इन दोनों को मिलाया जाता है तो यह शरीर को एनर्जी देने वाला और तृप्ति देने वाला एक संपूर्ण संयोजन बन जाता है परंतु यह सभी के लिए नहीं है।

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दही में मिश्री मिलाकर किसे खाना चाहिए ? - Who should eat curd mixed with mishri

1. भस्मक रोग वाले लोग (जिन्हें बार-बार भूख लगती है)

डॉ. श्रेय शर्मा बताते हैं कि जो लोग बार-बार भूख महसूस करते हैं, जिन्हें खाना खाने के कुछ देर बाद ही फिर से खाने की इच्छा होती है, उन्हें आयुर्वेद में 'भस्मक रोग' से पीड़ित माना जाता है। ऐसे लोगों के लिए दही और मिश्री का संयोजन बहुत लाभदायक है। यह मिश्रण पाचन को धीमा करता है और लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस होता है। इससे बार-बार खाने की जरूरत नहीं पड़ती।

2. अत्यधिक दुबले-पतले लोग

बहुत से लोग सामान्य से अधिक खाते हैं, लेकिन फिर भी उनका वजन नहीं बढ़ता। ऐसे लोगों को भी दही-मिश्री का सेवन करने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह संयोजन बल और मांसपेशियों को पोषण प्रदान करता है। साथ ही यह भूख को संतुलित करता है और शरीर में ऊर्जा का संचय करता है, जिससे वजन बढ़ाने में मदद मिलती है।

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Curd With Mishri Benefits

दही में मिश्री मिलाकर किसे नहीं खाना चाहिए? - Who should avoid curd with mishri

1. जिन्हें भूख कम लगती है

अगर किसी व्यक्ति को भूख कम लगती है, या खाना खाते ही पेट भरा हुआ महसूस होता है, तो उन्हें दही और मिश्री का सेवन नहीं करना चाहिए। यह मिश्रण पहले से ही गुरु और भारी होता है और ऐसे में यह पाचन अग्नि को और मंद कर सकता है। परिणामस्वरूप भूख और कम हो सकती है और पाचन संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं।

2. डायबिटीज और मोटापे से ग्रस्त लोग

मिश्री, भले ही प्राकृतिक हो, लेकिन इसमें ग्लूकोज और सुक्रोज की अच्छी मात्रा होती है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को इससे परहेज करना चाहिए। वहीं, मोटापे से परेशान लोग अगर इसका सेवन करेंगे तो यह वजन और भी बढ़ा सकता है।

दही और मिश्री कैसे और कब खाएं?

  • आयुर्वेद के अनुसार, दही का सेवन सुबह या दोपहर के भोजन के समय करना सबसे अच्छा होता है। रात के समय दही खाना वर्जित माना गया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह कफ बढ़ाता है और सर्दी-खांसी की समस्या उत्पन्न कर सकता है।
  • दही और मिश्री का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए। लगभग 100 ग्राम दही में 1–2 चम्मच मिश्री पर्याप्त होती है। अधिक मिश्री डालने से यह बहुत भारी हो सकता है और पाचन में समस्या उत्पन्न कर सकता है।
  • कभी भी बासी या बहुत ठंडा दही न खाएं। दही को कमरे के तापमान पर कुछ देर रखकर खाएं, और मिश्री मिलाकर तुरंत सेवन करें।
  • दही और मिश्री के साथ खट्टे फल, खिचड़ी या दूध जैसे अन्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। यह आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से 'विरुद्ध आहार' बनता है जो पाचन को बिगाड़ सकता है।

निष्कर्ष

दही और मिश्री का संयोजन भारी हो सकता है और यह सभी के लिए नहीं है। आयुर्वेद में हर व्यक्ति की प्रकृति (वात, पित्त, कफ) के अनुसार आहार का चयन किया जाना चाहिए। अगर आपको बार-बार भूख लगती है, या आप बहुत दुबले हैं और वजन नहीं बढ़ा पा रहे हैं, तो दही और मिश्री का संयोजन आपकी मदद कर सकता है। वहीं यदि आपको भूख कम लगती है, पेट भारी रहता है या डायबिटीज की समस्या है, तो इस मिश्रण से बचना ही बेहतर है।

All Images Credit- Freepik

FAQ

  • दही का सेवन कब नहीं करना चाहिए?  

    आयुर्वेद के अनुसार दही का सेवन कुछ विशेष परिस्थितियों में नहीं करना चाहिए। सबसे पहले, रात के समय दही खाना वर्जित माना गया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह कफ बढ़ाता है और सर्दी-खांसी या जुकाम की समस्या उत्पन्न कर सकता है। इसके अलावा जिन लोगों का पाचन कमजोर होता है, या जिन्हें गैस, अपच, कब्ज या एसिडिटी की समस्या रहती है, उन्हें भी दही से परहेज करना चाहिए। सर्द मौसम या बुखार के दौरान भी दही नहीं खाना चाहिए। 
  • मिश्री खाने से क्या लाभ होता है?

    मिश्री को आयुर्वेद में एक शीतल, ऊर्जा वर्धक और मन को प्रसन्न करने वाला पदार्थ माना गया है। इसका सेवन थकान दूर करने, ऊर्जा बढ़ाने और मानसिक तनाव कम करने में सहायक होता है। मिश्री गले के लिए भी फायदेमंद होती है और खांसी या गले में खराश में राहत देती है। यह पाचन को सुधारती है और भोजन के बाद मुंह साफ करने के लिए भी उपयोगी है। बच्चों और कमजोर शरीर वालों को मिश्री का सेवन बलवर्धक माना जाता है।
  • दही का सेवन कब करना चाहिए?

    दही का सेवन दिन के समय, विशेषकर दोपहर के भोजन में करना सबसे उपयुक्त माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, यह समय पाचन अग्नि सबसे तेज होती है, जिससे दही आसानी से पच जाता है। गर्मी के मौसम में ताजे और ठंडे दही का सेवन शरीर को ठंडक देने और पाचन को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसे भोजन के साथ या खाने के बाद थोड़ी मात्रा में लिया जा सकता है। रात में दही खाने से परहेज करना चाहिए।

 

 

 

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