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ट्राइपोफोबिया (स्किन पर छोटे-छोटे छेदों का डर) क्या है? डॉक्टर से जानें इसके कारण

Causes Of Trypophobia: मधूमक्खी का छत्ता, छोटे-छोटे छेद वाले बीज, या किसी भी ऐसी चीज को देखकर डर लगना, जिस पर छोटे-छोटे छेद हो, ट्राइपोफोबिया कहलाता है, आइए जानते हैं ट्राइपोफोबिया क्या है? 
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ट्राइपोफोबिया (स्किन पर छोटे-छोटे छेदों का डर) क्या है? डॉक्टर से जानें इसके कारण


रात को अकेले सोने में डर लगना, किसी बंद जगह पर रहने पर घबराहट होना, अंधेरे से डर लगना, ऊंचाई वाले स्थानों पर जाने से डरना आदि चीजों का डर अक्सर व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है। हम सभी को किसी न किसी चीज से डर लगता है, जिसे अक्सर किसी फोबिया से जोड़ा जाता है। इसी तरह कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें छोटे-छोटे छेद वाली चीजों को देखकर डर लगने लगता है। मधूमक्खी का छत्ता, छोटे-छोटे छेद वाले बीज, या किसी भी ऐसी चीज को देखकर डर लगना, जिस पर छोटे-छोटे छेद हो, ट्राइपोफोबिया कहलाता है। ऐसे में आइए बैंगलोर के चिन्मय मिशन अस्पतला के कंसल्टेंट और जनरल मेडिसिन के डॉक्टर नवीन एल से जानते हैं ट्राइपोफोबिया क्या होता है और क्यों होता है?

ट्राइपोफोबिया क्या है? - What is Trypophobia in Hindi?

ट्राइपोफोबिया, एक असामान्य डर है, जिसमें व्यक्ति को छोटे-छोटे छेदों या उभारों या पैटर्न को देखकर डर लगता है या एंग्जाइटी होने लगती है। यह फोबिया व्यक्ति में हल्की बेचैनी से लेकर बहुत ज्यादा डर, घबराहट या मतली का कारण भी बन सकती है, जो एक बड़े इमोशनल रिएक्शन का कारण भी बन सकता है। जैसे, ट्राइपोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति कमल के फल पर मौजूद छोटे-छोटे छेदों को देखकर ट्रिगर हो सकता है, और इससे उन्हें बेचैनी, घबराहट और अजीब सा डर शुरू हो सकता है। ट्राइपोफोबिया से पीड़ित हर व्यक्ति में दूसरे व्यक्ति के मुकाबले इसके ट्रिगर अलग-अलग हो सकते हैं। हालांकि, DSM-5 (डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिकल मैनुअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर) इसे फोबिया की लिस्ट में शामिल नहीं करता है। फिर भी कई लोगों का कहना है कि जब वे ऐसे पैटर्न देखते हैं तो उन्हें बेचैनी, घबराहट या शारीरिक रिएक्शन भी होते हैं।

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ट्राइपोफोबिया के कारण - Causes Of Trypophobia in Hindi

  • डॉ. नवीन एल के अनुसार ट्राइपोफोबिया के कारण लोग कुछ खास तरह के छेदों के पैटर्न को नापसंद करते हैं। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि:
  • यह एक रक्षा तंत्र है जिसे हमने विकसित किया है
  • लोग घिनौनी चीजें या गंदी दिखने वाली चीजों को लेकर ज्यादा सेंसिटिव हो सकते हैं।
  • दिमाग दोहराए जाने वाले पैटर्न को समझने में मेहनत करता है।
  • लोग बुरे अनुभवों या सांस्कृतिक मान्यताओं को मानने के कारण इस तरह के रिएक्शन सीखते हैं।
  • ऐसी चीजों को देखकर दिमाग का विजुअल वाला हिस्सा ज्यादा रिएक्ट करता है जिससे असुविधा और तनाव होता है।

Causes Of Trypophobia

ट्राइपोफोबिया के लिए ट्रीटमेंट - Trypophobia Treatments in Hindi

ट्राइपोफोबिया को ठीक करने के लिए कोई खास दवा या इलाज नही हैं, लेकिन कुछ ट्रीटमेंट्स की मदद से इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है।

1. एक्सपोजर थेरेपी - Exposure Therapy in Hindi

एक्सपोजर थेरेपी की मदद से ट्राइपोफोबिया से पीड़ित व्यक्तियों को कंट्रोल और सुरक्षित वातावरण में धीरे-धीरे लोगों को जरावने पैटर्न के संपर्क में लाना शामिल है। यह थेरेपी समय के साथ उनके रिएक्शन को कम कनरे में मदद कर सकता है।

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2. कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी - Cognitive Behavioral Therapy in Hindi

कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी यानी CBT ट्रिपोफोबिया से जुड़े नकारात्मक विचारों और भावनाओं को कम करने में मदद करता है। इससे आप फोबिया के कारण मन में आने वाली बातों पर खुद से कंट्रोल करके व्यक्ति अपनी धारणाओं को फिर से तैयार कर सकता है, जिससे फोबिया को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।

3. रिलैक्सेशन तकनीक - Relaxation Techniques in Hindi

गहरी सांस लेना, मेडिटेशन या माइंडफुलनेस जैसी रिलैक्सेशन तकनीकें एंग्जाइटी को कम करने और ट्राइपोफोबिया के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं। आराम और शांति को बढ़ावा देने के लिए इन तकनीकों को आप अपने डेली रूटीन में शामिल कर सकते हैं।

निष्कर्ष

ट्राइपोफोबिया पर काबू पाना मुश्किल हो सकता है, लेकिन सही तकनीक और इलाज की मदद से इसे काबू किया जा सकता है, जिससे आपकी लाइफ में सुधार हो सकता है। अगर आपको भी ट्राइपोफोबिया यानी छेदों का डर है तो आप मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट से कंसल्ट करके अपनी लाइफ को आसान बना सकता है।
Image Credit: Freepik

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