दवाओं के ज्यादा सेवन से आपको भी हो सकता है सेरोटोनिन सिंड्रोम, जानें इसके लक्षण और कारण

सेरोटोनिन सिंड्रोम, शरीर में उच्च सेरोटोनिन स्तर के कारण होता है। पदार्थ जो सेरोटोनिन सिंड्रोम का कारण बन सकते हैं उनमें अक्सर एंटीडिपेंटेंट्स, कुछ हर्बल सप्लीमेंट और कुछ अवैध दवाएं शामिल हो सकती हैं।
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दवाओं के ज्यादा सेवन से आपको भी हो सकता है सेरोटोनिन सिंड्रोम, जानें इसके लक्षण और कारण


सेरोटोनिन शरीर द्वारा रिलीज एक होर्मोन है, जो मस्तिष्क कोशिकाओं और अन्य तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं के बीच संवाद को सक्षम बनाता है। मतलब इसी के कारण हमारे बॉडी का एक सिस्टम, दूसरे सिस्टम से संपर्क स्थापित करता है। मस्तिष्क में बहुत कम सेरोटोनिन के कारण ही अवसाद यानी डिप्रेशन जैसी बीमारी होती है। हमारे नर्व सेल में असमान्य हलचल सेरोटोनिन सिंड्रोम का एक संकेत हो सकता है। सेरोटोनिन सिंड्रोम ज्यादातर दवाइयों के इस्तेमाल और उसके खुराक में बदलाव से जुड़ा हुआ है। सेरोटोनिन सिंड्रोम का सबसे बड़ा जोखिम तब होता है जब आप दो या अधिक ड्रग्स या सप्लीमेंट्स एक साथ ले रहे होते हैं। इससे आपके शरीर में सेरोटोनिन का स्तर प्रभावित होता है। दरअसल जब आप पहली बार एक दवा शुरू करते हैं या किसी दवा की खुराक बढ़ाते हैं, तो सेरोटोनिन असमान्य तरीके रिलीज होता है। 

Inside_causes of serotonin symdrome

आमतौर पर, सेरोटोनिन सिंड्रोम तब होता है जब लोग एक या अधिक प्रिस्क्रिप्शन दवाओं, सप्लीमेंट्स या अवैध ड्रग्स लेते हैं जो सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाते हैं। जो लोग सेरोटोनिन सिंड्रोम विकसित करते हैं, वे आमतौर पर 6 घंटों के भीतर इनके लक्षणों का अनुभव करते हैं।लोग आमतौर पर एक बार ठीक हो जाते हैं जब वे दवा लेना बंद कर देते हैं, जो उनके लक्षणों का कारण होता है। इसके लिए जरूरी है कि आप उन कारणों के बारे में जान लें, जिसके कारण किसी को भी सेरोटोनिन सिंड्रोम हो सकता है। जैसे-

  • एंटीडिप्रेसन्ट
  • प्रिस्क्रिप्शन माइग्रेन की दवाएं
  • दर्द की दवाएं
  • एंटीनेशिया दवाएं
  • कोकीन
  • सप्लीमेंट

सेरोटोनिन सिंड्रोम के लक्षण अक्सर एक नई दवा लेने के घंटों के भीतर शुरू होती हैं, जो सेरोटोनिन के स्तर को प्रभावित करता है। यह अक्सर तब होता है जब अचानक से किसी दवाई या किसी सप्लीमेंट के खुराक में अत्यधिक वृद्धि होती है।  कुछ अवैध ड्रग्स, जैसे कि एलएसडी और कोकीन आदि भी सेरोटोनिन सिंड्रोम को जन्म दे सकती है। इसे देखते हुए भी हाल ही कुछ देशों में दवा निर्माताओं को अपने उत्पादों पर चेतावनी लेबल शामिल करने के लिए कहा गया है, ताकि मरीजों को सेरोटोनिन सिंड्रोम के संभावित जोखिम के बारे में पता चल सके। यदि आप को दवाइयों को लेकर कोई भी उलझन है, तो अपने डॉक्टर से बाट करें। इसके अलावा इस दौरान बॉडी में कई सारे बदलाव दिखे, जिनके लक्षणों में निम्न लक्षण शामिल हों तो सावधान हो जाएं।

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सेरोटोनिन सिंड्रोम के लक्षण-

  •     उलझन
  •     उग्रता या बेचैनी
  •     सरदर्द
  •     मतली या उल्टी
  •     दस्त
  •     तेजी से दिल की दर
  •     भूकंप के झटके
  •     मांसपेशियों के समन्वय या मांसपेशियों को हिलाना
  •     कंपकंपी और आंसू बहना
  •     भारी पसीना

गंभीर मामलों में, सेरोटोनिन सिंड्रोम से जान का भी खतारा हो सकता है। यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं, तो आपको या आपके साथ के किसी व्यक्ति को तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।जैसे - उच्च बुखार, अनियमित दिल की धड़कन और बेहोशी की हालत इत्यादि।

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सेरोटोनिन सिंड्रोम का इलाज

सेरोटोनिन सिंड्रोम के लक्षण आमतौर आसान है। एक बार व्यक्ति अपनी इस समस्या का हल यानी दवा या जिन चीजों से हो रहा है उसे लेना बंद कर दे, तो इससे बचा जा सकता है। जिन लोगों में सेरोटोनिन सिंड्रोम के गंभीर लक्षण हैं, उन्हें डॉक्टर की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा आप किसी भी हाई पॉवर का दवा ले रहें हैं तो शरीर पर उसके असर का ध्यान रखें। अगर आपको लग रहा है कि दवाई का आपको नुकसान हो रहा है तो डॉक्टर से बात करें और दवा बंद करें या बदलवा लें। गंभीर मामलों में, सिप्रोहेप्टैडिन (पेरियाक्टिन) नामक दवा जो सेरोटोनिन उत्पादन को रोकती है, का उपयोग किया जा सकता है।

Source : WebMd.com, psycom.net and medicalnewstoday.com

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