Rectal prolapse: 50 के बाद महिलाओं में ज्यादा होता है गुदा (मलद्वार) बाहर आने का खतरा, जानें क्या है ये बीमारी

रेक्टल प्रोलेप्स यानी गुदा के खिसकने का खतरा उम्र बढ़ने के साथ ज्यादा होता है। आइए जानते हैं रेक्टल प्रोलेप्स के कारण, लक्षण और बचाव के उपाय।   
  • SHARE
  • FOLLOW
Rectal prolapse: 50 के बाद महिलाओं में ज्यादा होता है गुदा (मलद्वार) बाहर आने का खतरा, जानें क्या है ये बीमारी

रेक्टल प्रोलेप्स (Rectal Prolapse), यानी कि शरीर कि एक ऐसी स्थिति जब हमारा गुदा यानी कि मलद्वार (Anus) बाहर आने लगता है।  इस बीमारी का नामक सुन कर आपको अजीब लग रहा होगा पर असल में ये गंभीर बीमारी है। दरअसल,  आपका मलाशय आपके कॉलन का अंतिम भाग है जहां, मल निकलता है। रेक्टल प्रोलैप्स में मलाशय का ये हिस्सा खिसक कर बाहर निकल आता है। प्रोलेप्स, सबसे पहले मल त्याग के बाद ही होता है। हालांकि, सामान्य स्थितियों में मलाशय का फैला हुआ हिस्सा फिर अपने आप गुदा नहर से वापस खिसक सकता है। पर कई बार ये स्थिति गंभीर हो सकती है और ये ज्यादा बाहर खिसक सकता है, जिससे दूसरी परेशानियां पैदा हो सकती हैं। पर प्रश्न ये है रेक्टल प्रोलेप्स का कारण क्या है? इसी बारे में हमने डॉ. शिवम अवस्थी (MD, Medicine) से बात की जो कि कृष्णा लाइफ लाइन हॉस्पिटल, तेलीबाग, लखनऊ में कार्यरत हैं। 

Insiderectalprolapse

रेक्टल प्रोलेप्स का कारण-Rectal Prolapse Causes

डॉ. शिवम अवस्थी बताते हैं कि रेक्टल प्रोलेप्स अक्सर कमजोर मांसपेशियों के कारण होता है। होता ये है कि कुछ लोगों में समय के साथ मलाशय को सहारा देने वाली मांसपेशियों के कमजोर होने लगती है। इस दौरान मलाशय बड़ी आंत का अंतिम भाग, पेल्विक एरिया के भीतर अपनी सामान्य स्थिति से गिर जाता है और गुदा से बाहर निकल जाता है। हालांकि, ये कई प्रकार का होता है। जैसे कि कुछ स्थितियों में पूरा मलाशय गुदा से बाहर निकल आता है। तो, कभी गुदा अस्तर का केवल एक हिस्सा ही बाहर निकला है। तो, कुछ आंतरिक प्रोलैप्स की स्थितियों में मलाशय नीचे गिरना शुरू हो जाता है लेकिन गुदा को बाहर नहीं निकालता है। रेक्टल प्रोलेप्स के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं

1. 50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में

महिलाओं में 50 की उम्र के बाद अक्सर ये समस्या देखी जाती है। दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं का पेल्विक एरिया (Pelvic area)कमजोर हो जाता है और आस-पास की मांसपेशियां और टिशूज ढीली पड़ने लगती हैं। ऐसे में यूटरेस प्रोलेप्स (Uterus Prolapse) की तरह ही उनमें रेक्टल प्रोलेप्स होने का खतरा ज्यादा होता है। 

2. बुढ़ापे में 

उम्र बढ़ने के साथ शरीर की मांसपेशियां और लिगामेंट्स कमजोर होने लगते हैं। ऐसे में मलाशय और गुदा में मांसपेशियां और लिगामेंट्स उम्र के साथ स्वाभाविक रूप से कमजोर हो जाती हैं और ढीली होने लगती है। इसी कारण से मलाशय और गुदा नीचे आने लगती है और मेडिकल टर्म में इसे रेक्टल प्रोलेप्स कहा जाता है। 

3. बार-बार या लंबे समय तक कब्ज होने पर

कब्ज होने पर लोग अपने मल त्याग के लिए परेशान हो जाते हैं। ऐसे में लोग रेक्टम पर ज्यादा जोर डालते हैं और इससे मांसपेशियों और टिशूज को नुकसान पहुंचता है। पर परेशानी असल में तब शुरू होती है जब आपको ये समस्या लंबे समय तक रहने लगती है। आप फिर बार-बार यही करने लगते हैं और यही रेक्टल प्रोलेप्स का कारण बनता है। 

Insideconstipation

इसे भी पढ़ें : हाइपोथायरायडिज्म (अंडर एक्टिव थायराइड) की समस्या होने पर महिलाओं को हो सकती हैं ये 5 समस्याएं

4. पेल्विक एरिया से जुड़ी परेशानियों में

पेल्विक एरिया से जुड़ी परेशानियों में जैसे कि रीढ़ की हड्डी में चोट, पीठ की चोट और कई बार पेल्विक एरिया में चोट के कारण भी रेक्टल प्रोलेप्स हो सकता है। इसके अलावा पेल्विक एरिया और गुदा भाग की नसों को नुकसान होने पर भी रेक्टल प्रोलेप्स हो सकता है।  इसके अलावा कई बार मलाशय और गुदा की मांसपेशियों को सिकुड़ने की क्षमता को नियंत्रित करने वाली नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, तो रेक्टल प्रोलेप्स हो सकता है। खास कर गर्भावस्था, मुश्किल वजाइनल डिलीवरी, गुदा दबाने वाले किसी भी स्थिति में। 

5. बीमारियों के कारण

कुछ बीमारियों के होने पर भी लोगों को रेक्टल प्रोलेप्स हो सकता है। जैसे कि डायबिटीज में, सिस्टिक फाइब्रोसिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और हिस्टेरेक्टॉमी। इसी तरह आंतों में इंफेक्शन होने पर भी रेक्टल प्रोलेप्स की स्थिति हो सकती है। 

रेक्टल प्रोलेप्स के लक्षण-Symptoms of rectal prolapse

रेक्टल प्रोलेप्स के लक्षण इसके कारणों के आधार पर हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं। पर कुछ चीजें हर किसी में देखी जा सकती हैं। जैसे कि 

-सबसे पहले तो गुदा बाहर की ओर निकला हुआ और उसमें लाल रंग का एक उभार महसूस हो सकता है। यह मल त्याग के दौरान या बाद में भी हो सकता।

-खड़े होने और चलने की सामान्य स्थिति में आपको थोड़ा बदलाव और दर्द महसूस हो सकता है।

-गुदा और मलाशय में दर्द 

-मलाशय की अंदरूनी परत से ब्लीडिंग होना।

-गुदा से बलगम, खून और मल का रिसाव होना। 

-खांसने, छींकने या उठाने के बाद गुदा से उभार महसूस होना

-मल त्याग शुरू करने या समाप्त करने के लिए दबाव डालना

-पेट दर्द होना

-बार-बार कब्ज महसूस होना

-गुदा में खुजली होना

piles-prevention_inside1

रेक्टल प्रोलेप्स की जांच और इलाज-Diagnosis and treatment

रेक्टल प्रोलेप्स को शुरुआत में लोग समझ नहीं पाते और इसलिए ये धीमे-धीमे गंभीर स्थिति का रूप लेने लगती है। ऐसे में आपको इसके लक्षण महसूस होते ही उन्हें अपने डॉक्टर से इसकी जांच करवानी चाहिए। रेक्टल प्रोलेप्स की जांच के लिए पहले तो डॉक्टर लक्षणों को जानने के बाद डेफेकोग्राम (Defecogram) करते हैं, जिसमें मल त्याग के दौरान एक्स-रे लिया जाता है। उसके एनोरेक्टल मैनोमेट्री (Anorectal manometry) चेकअप करते हैं जिसमें कि एक दबाव मापने वाली ट्यूब को मलाशय में रखा जाता है। ये यह मापने के लिए किया जाता है कि मल त्याग को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियां कितनी अच्छी तरह काम कर रही हैं। कोलोनोस्कोपी (Colonoscopy) के दौरान कैमरे के साथ एक लचीली ट्यूब मलाशय के अंदर रखी जाती है और डॉक्टर साथ में इसे देखते रहते हैं। इसके अलावा एमआरआई (MRI) की जाती है और विशेष मूत्र संबंधी या स्त्री रोग संबंधी जांच की जाती है। 

इसे भी पढ़ें : क्या भूख बढ़ाने वाले सिरप सेहत को पहुंचाते हैं नुकसान? एक्सपर्ट से जानें कैसे डालते हैं ये शरीर पर असर

डॉक्टर इस दौरान प्लेविक एरिया के बाकी हिस्सों की भी जांच करते हैं और इस बात पर खास ध्यान देते हैं कि कहीं ये हिस्सा कमजोर तो नहीं हो गया। यह टेस्ट तब भी किया जाता है जब किसी महिला को रेक्टल प्रोलेप्स और यूटेराइन प्रोलेप्स होता है। इसके रेक्टल प्रोलेप्स का इलाज किया जाता है जिसमें कि आपके लक्षणों के आधार पर और स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार दवाइयां दी जाती है। इलाज अक्सर कब्ज और तनाव को रोकने के लिए कदमों से शुरू होता है। अगर स्थिति गंभीर होती है तो डॉक्टर सर्जरी भी कर सकते हैं। 

रेक्टल प्रोलेप्स से वैसे तो बचाव ही बेहतर उपाय (Prevention tips for Rectal Prolapse) है। इसलिए आपको सबसे पहले को कब्ज से बचना चाहिए। इसके लिए खूब पानी पिएं और फाइबर से भरपूर फूड्स खाएं। उसके बाद रेगुलर एक्सरसाइज करें और महिलाएं खास कर कि पेल्विक एरिया को मजबूत बनाने वाली एक्सरसाइज करें। उम्र बढ़ने के साथ अपने लाइफस्टाइल में सही डाइट और एक्सरसाइज को शामिल करें। अगर आपको डायबिटीज और डिमेंशिया रोग हो तो सही तरीके से अपना इलाज करवाएं और  जैसे ही रेक्टल प्रोलेप्स के लक्षण महसूस हो अपने डॉक्टर से संपर्क करें और इस स्थिति को नजरअंदाज ना करें।

All images credit: freepik

Read Next

क्या भूख बढ़ाने वाले सिरप सेहत को पहुंचाते हैं नुकसान? एक्सपर्ट से जानें कैसे डालते हैं ये शरीर पर असर

Disclaimer