भारत में चमत्कार की कहानियां आपको हर गली-मुहल्ले में मिल जाएंगी। आपने जरूर ऐसे लोगों के बारे में सुना होगा जो किसी मरीज की बीमारी को चीनी की गोली देकर, अभिमंत्रित पानी देकर, चूरन की गोलियां देकर या कोई मंत्र फूंककर ठीक कर देते हैं। खासकर ढोंगी बाबाओं, फर्जी डॉक्टर्स और धार्मिक गुरुओं के द्वारा ऐसी चीजें खूब की जाती हैं। हम इसे पहली नजर में चमत्कार मान लेते हैं क्योंकि उस खास चीनी की गोली से, अभिमंत्रित पानी से, चूरन की गोलियों से या घास-फूस से ठीक होते हुए मरीज हमने स्वयं देखा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विज्ञान में इस तरह के चमत्कार की कोई जगह नहीं है। ये मनुष्य के मनोविज्ञान को चकमा देने की एक कला है, जिसे विज्ञान में प्लेसीबो इफेक्ट (Placebo Effect) कहते हैं। आइए आपको बताते हैं इसके बारे में।
विज्ञान की नजर में क्या है प्लेसीबो इफेक्ट?
प्लेसीबो इफेक्ट का मतलब है ऐसा मेडिकल ट्रीटमेंट जो मरीज को "सही" लगे लेकिन असल में "फर्जी" हो। जैसे मरीज को कोई गोली दे देना, कोई फर्जी इंजेक्शन दे देना या अन्य किसी प्रकार का ट्रीटमेंट देना, जो मरीज को सही लगे। और मजेदार बात ये है कि ये कॉन्सेप्ट सिर्फ चमत्कार के रूप में ढोंगी लोगों के द्वारा देखने को नहीं मिलता, बल्कि वैज्ञानिक भी इसका प्रयोग दवाओं के प्रभाव और मरीज के मनोविज्ञान के अध्ययन के लिए करते हैं।
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नई दवा के प्रभाव को जांचने के लिए वैज्ञानिक प्लेसीबो का प्रयोग करते हैं। जैसे मान लीजिए ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए एक नई दवा बनाई गई। अब वैज्ञानिकों को इस दवा के प्रभाव को टेस्ट करना है, तो वो कुछ मरीजों को सचमुच ये दवा देंगे और कुछ मरीजों को इसी दवा की तरह दिखने वाली कोई फर्जी गोली दे देंगे। इसके बाद दोनों के प्रभावों का अध्ययन करेंगे। इस तरह के प्लेसीबो का प्रभाव कई बार सकारात्मक देखने को मिलता है और कई बार नकारात्मक।
कैसे काम करता है प्लेसीबो इफेक्ट?
प्लेसीबो इफेक्ट जैसा चमक्तकार दरअसल आपके मन (माइंड) और शरीर (बॉडी) के बीच के संबंध के कारण दिखता है। इसे आप 'मन की शक्ति' भी कह सकते हैं। यह तो आप भी जानते होंगे कि हमारे शरीर में रोगों से लड़ने के लिए एक खास सिस्टम होता है, जिसे इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा तंत्र) कहते हैं। इसके अलावा हमारा शरीर ढेर सारे केमिकल्स स्वयं बना सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जब व्यक्ति को किसी दवा या इलाज पर विश्वास होता है, तो कई बार (कुछ मामलों में) मरीज का शरीर स्वयं ऐसे केमिकल बना लेता है, जो दवा के जैसा प्रभाव छोड़ते हैं।
प्लेसीबो इफेक्ट से कैसे हो जाते हैं चमत्कार?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक हमारी उम्मीदों और परिणाम के बीच एक गहरा रिश्ता होता है। आप किसी चीज के होने की जितनी ज्यादा उम्मीद करते हैं, आपको उतने अच्छे पॉजिटिव परिणाम (शरीर और रोगों के मामले में) देखने को मिलते हैं। यही कारण है कि मरीज और डॉक्टर के बीज की बातचीत का असर भी रोगी पर काफी गहरा पड़ता है। यही काम धर्म गुरू, चमत्कारी बाबा आदि भी करते हैं कि मरीज के मन में बातचीत के द्वारा ऐसा विश्वास जगा देते हैं, कि मरीज अपने आप को ठीक होने की उम्मीदों से भर जाता है और उस पर प्रभाव दिखने लगता है।
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क्या प्लेसीबो इफेक्ट के कोई दुष्परिणाम भी हैं?
प्लेसीबो इफेक्ट के कई दुष्परिणाम भी हैं। जैसे- कई बार आपने ये घटना सुनी होगी कि किसी व्यक्ति को सांप काटने का भ्रम हुआ और दिल की धड़कन रुकने से उसकी मौत हो गई, जबकि वास्तव में किसी जहरीले सांप ने उसे न काटा हो। इस तरह प्लेसीबो इफेक्ट के कई दुष्परिणाम भी हो सकते हैं। अगर व्यक्ति को विश्वास हो जाए कि कोई चीज उसके लिए नुकसानदायक है, तो संभव है कि बहुत फायदेमंद होने के बावजूद उससे व्यक्ति को नुकसान ही हो। प्लेसीबो इफेक्ट के दुष्परिणाम इस तरह देखने को मिलते हैं-
- डिप्रेशन
- दर्द
- नींद खराब होना
- पेट की समस्याएं (इर्रिटेबल बॉवल सिंड्रोम)
- मेनोपॉज
- गंभीर परिस्थितियों में दिल की धड़कन रुकना आदि
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