
छोटे बच्चे अक्सर ऐसी हरकते हैं, जिसकी कल्पना करना भी न्यू पेरेंट्स के लिए मुश्किल काम है। बच्चे कई बार पेरेंट्स को खाना परोसने में मदद करने की कोशिश करते हैं, कई बार उनके काम की नकल उतारते हैं और उन सभी चीजों को फॉलो करते हैं, जो वह अपने आसपास देखकर महसूस करते हैं। इसके अलावा कई बार छोटे बच्चे गली-नुक्कड़ों और पार्क में घूमते हुए मिट्टी, कीचड़ या चॉक जैसी चीजें खा लेते हैं। भारतीय गलियों में खेलते हुए बच्चों को मिट्टी खाते हुए देखना एक आम बात है। मेरा भतीजा जब 1 साल का था, तब वह पार्क की मिट्टी, स्लेट पर चलाने वाली चॉक और दीवार की पपड़ी छीलकर खा जाता था। लेकिन कुछ दिनों के बाद ही उसे कई सारी हेल्थ प्रॉब्लम होने लगी। इसके बाद डॉक्टर ने इलाज शुरू और उसे कई तरह की दवाएं दीं।
मेरे भतीजे की तरह ही कई न्यू पेरेंट्स ने अपने बच्चों को चॉक, मिट्टी और ऐसी चीजें खाते हुए देखा होगा, तो खाद्य पदार्थ नहीं है। बच्चों की इस समस्या को पिका ईटिंग डिसऑर्डर कहा जाता है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज अगर समय पर न किया जाए, तो इससे बच्चे को भविष्य में कई तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियां हो सकती हैं। आज इस लेख में हम आपको बच्चों में पिका ईटिंग डिसऑर्डर के कारण, लक्षण और बचाव के उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं। इस विषय पर लखनऊ के बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. तरूण आनंद ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में।

पिका ईटिंग डिसऑर्डर क्या है? - What is Pica Eating Disorder in Hindi
डॉ. तरूण आनंद के अनुसार, पिका ईटिंग डिसऑर्डर में अक्सर 6 साल से कम उम्र के बच्चों में ज्यादा देखने को मिलता है। इस विकार में इंसान का दिमाग ऐसी चीजें खाने का संकेत देता है, जो खाना नहीं है। पिका ईटिंग डिसऑर्डर में बच्चे मिट्टी, चॉक, पेंट या बाल जैसी चीजों को खाते हैं। डॉक्टर का कहना है कि पिका ईटिंग डिसऑर्डर में पेरेंट्स जब बच्चों को बेकार की चीजें खाने से मना करते हैं, तो वह उसे बार-बार खाने की कोशिश करते हैं।
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पिका ईटिंग डिसऑर्डर के कारण और लक्षण क्या हैं?- Symptoms and Causes of Pica Eating Disorder in Hindi
पिका ईटिंग डिसऑर्डर मुख्य रूप से उन चीजों की खाने की आदत है, जो भोजन नहीं या उन चीजों का कोई पोषण मूल्य नहीं है। डॉक्टर के अनुसार, पिका ईटिंग डिसऑर्डर मुख्य रूप से बच्चों में एनीमिया (खून की कमी), एस्कारियासिस (राउंडवॉर्म संक्रमण), कब्ज, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और अनियमित हृदय ताल जैसी समस्याओं के कारण भी हो सकता है। एक्सपर्ट का कहना है कि इस डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चा मुख्य रूप से राख, बेबी या टैल्कम पाउडर, चारकोल, कॉफी के अवशेष और अंडे के छिलके खाता है। अगर आपका बच्चा इस तरह की चीजें खाते हुए दिखता है, तो अपने डॉक्टर से बात करें और इस विकार का समय पर इलाज शुरू करवाएं।
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पिका ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज क्या है?
डॉ. तरूण आनंद की मानें तो पिका ईटिंग डिसऑर्डर बच्चों में खुद-ब-खुद उम्र के साथ ठीक हो जाता है। जैसे-जैसे बच्चे का बौद्धिक विकास बढ़ता है बच्चे को क्या खाना है और क्या नहीं खाना है इसकी जानकारी मिल जाती है और वह इस डिसऑर्डर से उबर जाता है। हालांकि जिन बच्चों को बौद्धिक विकास अभी नहीं हुआ है उन पर पेरेंट्स को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। डॉ. तरूण पेरेंट्स को सलाह देते हैं कि अगर उनका बच्चा मिट्टी या अन्य कोई ऐसी चीज खाता है, जो खाद्य पदार्थ नहीं है, तो उसे डांटने या मारने की बजाय सीखाने की कोशिश करें। बच्चे को जब इस बात की जानकारी मिलेगी कि वह खाद्य पदार्थ नहीं, तो वह स्वयं ही ऐसा नहीं करेगा।
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