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ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट क्या है? डॉक्‍टर से जानें कब पड़ती है इसे करवाने की जरूरत

ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट रेड ब्‍लड सेल्‍स की बाहरी परत की मजबूती जांचता है, एनीमिया व आनुवंशिक विकारों की पहचान में भी मदद करता है।
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ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट क्या है? डॉक्‍टर से जानें कब पड़ती है इसे करवाने की जरूरत


ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट (Osmotic Fragility Test) खून के रेड ब्‍लड सेल्‍स की स्थिरता और उनके बाहरी परत की मजबूती की जांच करने वाला एक विशेष मेड‍िकल टेस्‍ट है। यह टेस्ट मुख्य रूप से उन स्थितियों का पता लगाने के लिए किया जाता है, जिनमें रेड ब्‍लड सेल्‍स जल्दी टूटने लगते हैं, जैसे ही वे किसी ऑस्मोटिक (सॉल्ट लेवल में बदलाव) के संपर्क में आती हैं। रेड ब्‍लड सेल्‍स की बाहरी परत, पानी और अन्य पदार्थों के आदान-प्रदान को कंट्रोल करती है। अगर ये बाहरी परत कमजोर होती है, तो यह कोशिकाओं को बाहरी दवाब के तहत टूटने से नहीं बचा पाती। इस वजह से, ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट रेड ब्‍लड सेल्‍स के बाहरी परत की सेहत और स्थिरता की गहराई से जांच करता है। यह टेस्ट डॉक्टरों को यह समझने में मदद करता है कि मरीज के रेड ब्‍लड सेल्‍स में कोई आनुवंशिक दोष है या नहीं। यह विशेष रूप से उन स्थितियों में किया जाता है, जहां रोगी में एनीमिया के कारणों को समझना हो, खासकर अगर वह बार-बार होता है या पारिवारिक इतिहास से जुड़ा है। इस लेख में हम ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट के बारे में जानेंगे। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के केयर इंस्‍टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फ‍िजिश‍ियन डॉ सीमा यादव से बात की।

ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट की प्रक्रिया- Osmotic Fragility Test Process

Osmotic-Fragility-Test

ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट में मरीज का ब्‍लड सैंपल ल‍िया जाता है। इसे अलग-अलग सोडियम क्लोराइड के घोल में डाला जाता है। रेड ब्‍लड सेल्‍स अपनी बाहरी परत की मदद से पानी का आदान-प्रदान करती हैं। अगर सॉल्ट का घोल बहुत पतला होता है, तो पानी कोशिकाओं में प्रवेश कर उन्हें फोड़ सकता है। इस प्रक्रिया में देखा जाता है कि सॉल्‍स के क‍िस लेवल पर कोशिकाएं टूटती हैं।

इसे भी पढ़ें- डायब‍िट‍ीज के मरीजों के लिए ECG टेस्‍ट कराना क्यों जरूरी है? डॉक्‍टर से जानें

ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट क्यों किया जाता है?- Why Osmotic Fragility Test is Done

  • यह टेस्‍ट, रेड ब्‍लड सेल्‍स की स्थिरता की सटीक जानकारी देता है।
  • कुछ गंभीर आनुवंशिक बीमारियों की पुष्टि करता है।
  • हेमोलिटिक एनीमिया (Hemolytic Anemia) का पता लगाने के ल‍िए यह जांच की जाती है।
  • हेरिडिटरी स्फेरोसाइटोसिस (Hereditary Spherocytosis) भी एक आनुवंशिक स्थिति है, जिसमें रेड ब्‍लड सेल्‍स गोल हो जाती हैं और कमजोर हो जाती हैं। इसका पता भी इस टेस्‍ट से लगाया जाता है।
  • थैलेसीमिया (Thalassemia) जो क‍ि ब्‍लड की एक आनुवंशिक बीमारी, इसमें हीमोग्लोबिन असामान्य रूप से बनता है।
  • पायरोकाइनेटिक एनीमिया एक दुर्लभ ब्‍लड ड‍िसऑर्डर है, इसे पता लगाने के ल‍िए यह टेस्‍ट क‍िया जाता है।
  • एंजाइम की कमी से होने वाला एक ड‍िसऑर्डर, जी6पीडी की कमी का पता भी इस जांच से ही लगाया जाता है।

कब जरूरत पड़ती है यह टेस्ट कराने की?- When Osmotic Fragility Test is Required

डॉक्टर आमतौर पर इस टेस्ट की सलाह तब देते हैं, जब मरीज में ये लक्षण नजर आते हैं-

  • बार-बार कमजोरी या थकान होना।
  • जॉन्डिस के लक्षण नजर आना।
  • सांस लेने में तकलीफ होना।
  • बार-बार एनीमिया होना।
  • परिवार में हेमोलिटिक डिसऑर्डर का इतिहास।

टेस्ट से पहले की तैयारी

  • टेस्ट से पहले कोई विशेष तैयारी नहीं करनी पड़ती।
  • डॉक्टर को सभी मौजूदा दवाओं की जानकारी दें।
  • अगर आप गर्भवती हैं, तो इसकी जानकारी देना भी जरूरी है।

ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट, रेड ब्‍लड सेल्‍स के बाहरी परत की मजबूती और कई ब्‍लड ड‍िसऑर्डर्स की पहचान में मदद करता है। अगर आपको बार-बार एनीमिया हो रहा है, कमजोरी महसूस हो रही है या परिवार में खून से संबंधित आनुवंशिक बीमारियां हैं, तो डॉक्टर की सलाह से यह टेस्ट कराना जरूरी हो जाता है।

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