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किडनी के कार्यों को प्रभावित कर सकता है ल्यूपस नेफ्राइटिस, जानें इसके कारण और लक्षण

कई तरह के रोग किडनी के कार्यों को प्रभावित कर सकते हैं। किडनी के कार्य प्रभावित होने से शरीर में सूजन और किडनी में दर्द की समस्या हो सकती है। इस लेख में जानते है कि ल्यूपस नेफ्राइटिस किडनी के कार्यों को कैसे प्रभावति करती है?
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किडनी के कार्यों को प्रभावित कर सकता है ल्यूपस नेफ्राइटिस, जानें इसके कारण और लक्षण


सेहतमंद रहने के लिए आपके सभी अंगों का सही कार्य करना बेहद आवश्यक होता है। शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर करने में किडनी का मुख्य रोल होता है। लेकिन, कई बार ऑटोइम्यून रोगो के कारण किडनी के कार्य प्रभावित हो सकते हैं। इन ऑटोइम्यून रोगों में आप Lupus Nephritis को भी शामिल कर सकते हैं। इस रोग में ऑटोइम्यूनिटी हमारी किडनी के फिल्टर करने वाले हिस्से को नुकसान पहुंचाता है, जिससे शरीर से विषैले पदार्थ आसानी से फिल्टर नहीं हो पाते हैं। ऐसे में व्यक्ति के शरीर में सूजन और अन्य समस्याएं शुरु होने लगती हैं। यह बीमारी ऑटोइम्यून रोग सिस्टेमिक लूपस एरिथेमेटोसस (Systemic Lupus Erythematosus - SLE) का ही एक रूप है, जो किडनी को प्रभावित करती है। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह किडनी फेलियर तक का कारण बन सकती है। इस लेख में अपोलो अस्पताल मुंबई के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ अश्वथी हरिदास (Dr Ashwathy Haridas - Consultant Nephrology Apollo Hospitals Navi Mumbai) से जानते हैं कि ल्यूपस नेफ्राइटिस किडनी के कार्यों को कैसे प्रभावति करती है?

ल्यूपस नेफ्राइटिस क्या है? - What Is Lupus Nephritis in Hindi 

ल्यूपस नेफ्राइटिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम (immune system) गलती से अपने ही शरीर के स्वस्थ टिश्यू (tissues) को नुकसान पहुंचाने लगते हैं। इस स्थिति में विशेषकर किडनी की फिल्टरिंग यूनिट्स यानी ग्लोमेरुली (glomeruli) पर असर पड़ता है। इससे किडनी में सूजन, स्कारिंग और ब्लड लीक जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह समस्या सिस्टेमिक लूपस एरिथेमेटोसस (SLE) के मरीजों में देखने को मिलती है। सिस्टेमिक लूपस एरिथेमेटोसस एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है जो शरीर के कई अंगों जैसे स्किन, ज्वाइंट्स, ब्रेन और किडनी को प्रभावित करता है।

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ल्यूपस नेफ्राइटिस के कारण क्या हैं? - Causes Of Lupus Nephritis In Hindi 

डॉक्टर के अनुसार ल्यूपस नेफ्राइटिस के कई प्रकार होते हैं। जिसमें एक से छह चरणों में बांटा जाता है। इसमें किडनी में न्यूनतम बदलाव (माइल्ड), मेसेन्जियल ल्यूपस नेफ्राइटिस, फोकल ल्यूपस नेफ्राइटिस (कुछ ग्लोमेरुली प्रभावित), डिफ्यूज ल्यूपस नेफ्राइटिस (अधिकांश ग्लोमेरुली प्रभावित), मेम्ब्रेनस ल्यूपस नेफ्राइटिस और एडवांस्ड स्क्लेरोटिक (किडनी लगभग फेल) को शामिल किया जाता है। ल्यूपस नेफ्राइटिस का मुख्य कारण सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (SLE) ही होता है। लेकिन इसके कुछ अन्य जोखिम कारक भी हो सकते हैं, जिनको आगे बताया गया है।

  • परिवार में किसी को पहले ल्यूपस हुआ हो
  • महिलाओं में एस्ट्रोजन स्तर का बदलाव
  • इंफेक्शन या वायरल ट्रिगर
  • इंवॉयरमेंटल कारक
  • नेचुरल रूप से इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी, आदि।

ल्यूपस नेफ्राइटिस के लक्षण क्या हैं? - Symptoms Of Lupus Nephritis In Hindi 

ल्यूपस नेफ्राइटिस के लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं और कभी-कभी यह बिना किसी संकेत के भी उभर सकते हैं। आगे जानते हैं इसके कुछ लक्षणों के बारे में।

  • यूरिन में झाग आना (प्रोटीन की मौजूदगी का संकेत)
  • पेशाब में खून (गहरे रंग का पेशाब)
  • बार-बार पेशाब आना
  • पेशाब में जलन
  • चेहरे, पैरों या टखनों में सूजन (Edema)
  • वजन बढ़ना (पानी रुकने की वजह से)
  • थकान और कमजोरी
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • भूख की कमी
  • जोड़ों में सूजन और दर्द, आदि।

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डॉक्टर इस रोग की पहचान के लिए मरीज को यूरिन टेस्ट, ब्लड टेस्ट, किडनी बायोप्सी, अल्ट्रासाउंड करने की सलाह देते हैं। ल्यूपस नेफ्राइटिस एक गंभीर लेकिन मैनेज की जाने वाली बीमारी है। यदि समय पर इस रोग की पहचान और उचित इलाज किया जाए, तो मरीज सामान्य जीवन जी सकता है। जरूरी है कि ल्यूपस (SLE) से ग्रसित लोग अपनी किडनी की कार्यप्रणाली की नियमित जांच कराएं और किसी भी तरह के लक्षण को नजरअंदाज न करें।

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