What Is Gaming Disorder Explained With Real Case Study In Hindi: 24 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर राहुल शर्मा को वीडियो गेम्स का बहुत शौक था। वह अक्सर टाइम पास करने के लिए वीडियो गेम्स खेलता था। ऐसा करना उसे रिफ्रेश कर देता और कई तरह की रियल लाइफ की प्रॉब्लम को दूर करने में भी मदद करता था। दरअसल, गेम खेलते वक्त उसे अपनी रियल लाइफ में हो रही कोई भी अच्छी-बुरी घंटनांए परेशान नहीं करती थीं। इसलिए, जब भी उसे समय मिलता, वह वीडियो गेम्स खेलने लगता है। एक समय बाद, ऐसा हुआ कि राहुल गेम खेले बिना रह ही नहीं पाता था। वह रियल लाइफ में होते हुए भी गेमिंग के अपने कैरेक्टर के बारे में सोचता और वहां के चैलेंजेस को सुलझाने की कोशिश करता। धीरे-धीरे गेमिंग वर्ल्ड का उस पर इतना बुरा असर हुआ कि वह उसे एडिक्शन हो गई। उसने दोस्तों से मिलना छोड़ना दिया, सोशव इवेंट में जाने से बचने लगता। उसकी पर्सनल लाइफ पूरी तरह से इफेक्टेड हो गई। हालांकि, यह एडिक्शन असली समस्या तब बनी जब गेमिंग की वजह से राहुल की एक सेटल्ड जॉब चली गई। उस समय राहुल ने एक्सपर्ट से मदद लेने की सोची। ट्रीटमेंट के दौरान उसे पता चला कि वह गेमिंग डिसऑर्डर का शिकार है।
राहुल की यह केस स्टडी हमारे साथ क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और माइंडट्राइब की फाउंडर डॉ. प्रेरणा कोहली ने शेयर की है। वह काफी समय से राहुल का ट्रीटमेंट कर रही हैं। इलाज के दौरान प्रेरणा कोहली को पता चला कि राहुल गेमिंग डिसऑर्डर का शिकार है।
ओनलीमायहेल्थ ऐसे मानसिक विकारों और रोगों की बेहतर तरीके से समझने के लिए ‘मेंटल हेल्थ मैटर्स’ नाम से एक विशेष सीरीज चला रहा है। इस सीरीज में हम तरह-तरह के मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर की जानकारी दे रहे हैं। इसमें आपको मेंटल हेल्थ से जुड़ी बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में पता चलेगा। मौजूदा सीरीज में हम ‘गेमिंग डिसऑर्डर’ के बारे में बता रहे हैं।
क्या है गेमिंग डिसऑर्डर- What is Gaming Disorder In Hindi
गेमिंग डिसऑर्डर को हम वीडियो गेम एडिक्शन के नाम से भी जनते हैं। यह एक ऐसा एडिक्शन है, जो व्यक्ति को रियल लाइफ से अलग कर देती है और गेमिंग वर्ल्ड में रहने के लिए मजबूर कर देती है। गेमिंग एडिक्शन की वजह से व्यक्ति की शारीरिक मानसिक, मनोवैज्ञानिक हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। यहां तक कि गेमिंग डिसऑर्डर की वजह से व्यक्ति अपनी रोजमर्रा के कामकाज करने में भी असफल हो जाता है और वह किसी भी जरूरी जिम्मेदारी को निभाने में असफल हो जाता है।
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गेमिंग डिसऑर्डर के लक्षण- What are the Symptoms Of Gaming Disorder In Hindi
वीडियो गेम की लत (गेमिंग डिसऑर्डर) के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, जैसे-
- वीडियो गेम में व्यस्त रहना, लगातार उनके बारे में सोचना।
- गेम खेलने में ज्यादा से ज्यादा समय बिताना।
- नेगेटिव इफेक्ट के बावजूद खुद को गेमिंग से दूर न रख पाना।
- काम, स्कूल या लेगों से मेलजोल पूरी तरह बंद या कम हो जाना।
- वीडियो गेम नहीं खेलने की वजह से चिड़चिड़ापन, बेचैनी या मूड स्विंग होना।
- गेम खेलने के लिए दूसरों से झूठ बोलना।
- पर्सनल लाइफ इफेक्ट होने के बावजूद गेम खलने से खुद को न रोक पाना।
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गेमिंग डिसऑर्डर का कारण- What Causes Gaming Disorder In Hindi
गेमिंग डिसऑर्डर होने का कोई एक कारण निश्चित नहीं है। इसमें विभिन्न कारण शामिल हो सकते हैं-
- बायोलॉजिक फैक्टरः कुछ लोग बायोलॉजिक फैक्टर की वजह से इस बीमारी का शिकार हो जाते हैं। इसके लिए ब्रेन केमिकस्ट्री या जेनेटिक्स जिम्मेदार हो सकते हैं।
- साइकोलॉजिक फैक्टरः सेल्फ एस्टीम कमी, स्ट्रेस, डिप्रेशन जैसी वजहें अक्सर लोगों को गेमिंग की ओर धकेल देती हैं। असल में गेमिंग वर्ल्ड व्यक्ति को रियल दुनिया से अलग कर देता है।
- गेम डिजाइनः कुछ गेम्स इस तरह डिजाइन किए जाते हैं, जो लोगों को आसानी से अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं। इसमें व्यक्ति न चाहते हुए भी धीरे-धीरे गेमिंग में इंटरेस्ट लेने लगता है, जो कि एक समय बाद एडिक्शन में बदल सकता है।
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गेमिंग डिसऑर्डर का इलाज- Treatment of Gaming Disorder In Hindi
राहुल के मामले में प्रेरणा कोहली ने उनका इलाज के दौरान न सिर्फ राहुल की काउंसलिंग की, बल्कि उसके परिवार के साथ मिलकर, राहुल की मदद करने को कहा। उन्होंने राहुल को नए स्किल्स सीखने में मदद की और अपने स्ट्रेस को कैसे डील करता है, यह भी सिखाया। गेमिंग डिसऑर्डर से उबरने में राहुल की फैमिली ने पूरा सहयोग दिया। गेमिंग डिसऑर्डर के अन्य इलाज की बात करें, तो वे इस प्रकार हैं-
- थेरेपी के जरिए व्यक्ति को उसकी समस्या के बारे में बताया जाता है और उनसे कैसे निपटें, यह समझाया जाता है।
- सपोर्ट ग्रुप से मिलने की सलाह दी जाती है। इस ग्रुप में ऐसे कई और लोग होते हैं, जो गेमिंग डिसऑर्डर का शिकार होते हैं।
- परिवार को पूरा सहयोग देने को कहा जाता है। इस दौरान फैमिली इफेक्टेड शख्स की रोजमर्रा की लाइफ को मैनेज करने को कहते हैं।
- गेमिंग डिसऑर्डर के मरीज को खेलने के लिए लिमिटेड समय दिया जाता है, ताकि वह धीरे-धीरे एडिक्शन से बाहर निकल सके।
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गेमिंग डिसऑर्डर के मरीज की मदद कैसे करें- How To Help Someone With Gaming Disorder In Hindi
जो लोग गेमिंग डिसऑर्डर का शिकार होते हैं, वे असल में कई तरह की समस्याओं से ग्रस्त होते हैं। अगर आपके घर में कोई गेमिंग डिसऑर्डर का मरीज है, तो उन्हें सपोर्ट करें। उनसे खुलकर बातचीत करें।
- गेमिंग डिसऑर्डर के मरीज की मदद घर में करना संभव नहीं है। इसलिए, गेमिंग डिसऑर्डर को मरीज को एक्सपर्ट के पास जरूर ले जाएं।
- गेमिंग डिसऑर्डर के मरीजों को गेम खेलने के समय को निर्धारित करें और उन्हें सख्ती से उसका पालन करने का कहें।
- गेमिंग डिसऑर्डर के मरीजों को ऐसी चीजें करने के लिए मोटिव करें, जिसमें उनकी रुचि है। आप खुद उनके साथ अच्छा समय बिताएं।
- गेमिंग डिसऑर्डर के मरीजों को ठीक होने में समय लग सकता है। कई बार गेमिंग डिसऑर्डर के मरीज को हैंडल करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपना धैर्य न खोएं।
राहुल की तरह अगर आपके घर में भी ऐसा कोई है, जिसे गेमिंग डिसऑर्डर है, उसे लेकर तुरंत एक्सपर्ट के पास जाएं। इस लेख में हमने ‘ गेमिंग डिसऑर्डर’ से जुड़ी सभी जानकारी देने की कोशिश की है। अगर फिर भी आपके मन में कोई सवाल रह गए हैं, तो हमारी वेबसाइट https://www.onlymyhealth.com में Gaming Disorder’ से जुड़े दूसरे लेख पढ़ें या हमारे सोशल प्लेटफार्म से जुड़ें।
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