Electrophysiological Test in Hindi: आजकल हृदय से जुड़े रोगों के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। खराब खान-पान, लाइफस्टाइल और तनाव को इसका मुख्य कारण माना जाता है। इतना ही नहीं, हृदय रोग जेनेटिक भी होते हैं। यानी माता-पिता या दादा-दादी से बच्चों को विरासत में मिल सकता है। सीने में दर्द, घबराहट, सांस लेने में तकलीफ और ज्यादा थकान लगना हृदय रोगों के लक्षण हो सकते हैं। हालांकि, अलग-अलग हृदय रोग के लक्षण भी भिन्न हो सकते हैं। ऐसे में जब कोई व्यक्ति में हृदय रोग से जुड़े लक्षणों का अनुभव करता है, तो डॉक्टर टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। टेस्ट के जरिए डॉक्टर बीमारी का निदान करते हैं और फिर दवाइयों के माध्यम से इलाज चलता है। इसके अलावा, जब लक्षण दिख रहे हो, लेकिन तमाम टेस्ट करवाने के बाद भी किसी बीमारी का निदान नहीं निकलता है, तो ऐसे में इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी टेस्ट करवाया जाता है। आइए, चीयर्स चाइल्ड केयर और एसओसीसी के संस्थापक डॉ. निहार पारेख से जानते हैं इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी टेस्ट के बारे में-
इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी टेस्ट क्या है?- What is Electrophysiological Test in Hindi
आपको बता दें कि इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी टेस्ट (EP Test) हार्ट की इलेक्ट्रिकल सिस्टम की जांच करने के लिए करवाया जाता है। इसके अलावा, इस टेस्ट को हृदय की असामान्य लय का पता लगाने के लिए भी करवाया जाता है। इस टेस्ट में इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी की जांच करने के लिए तारों को बेहद सावधानी से हृदय में डाला जाता है।
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इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी टेस्ट कब करवाया जाता है?- When Electrophysiological Test is Needed in Hindi
डॉक्टर इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी टेस्ट करवाने की सलाह तब देते हैं, जब व्यक्ति को बेहोशी या दौरे का अनुभव होता है। इसके अलावा, एब्नार्मल हार्ट रिदम होने पर भी इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी टेस्ट करवाया जाता है। इस स्थिति में बीमारी का पता लगाने और व्यक्ति को सही इलाज देने के लिए इस टेस्ट को करवाने की सलाह दी जाती है। इस टेस्ट को करवाने से हार्ट की समस्या का पता लगाने में मदद मिलती है।
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इलेक्ट्रोफिजियोलॉजीकल टेस्ट क्यों किया जाता है?
इस टेस्ट को हृदय की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को मापने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट में असामान्य हार्ट बीट के कारणों का भी पता चलचा है। यानी अगर किसी व्यक्ति के असामान्य हार्ट बीट हो रही है, लेकिन बीमारी का पता नहीं चल पा रहा है, तो ऐसे में डॉक्टर इस टेस्ट को करवाकर बीमारी का निदान कर सकते हैं।
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