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पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट क्या होता है? जानें कब पड़ती है इस जांच को करवाने की जरूरत

फेफड़ों के स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिए पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट करवाया जा सकता है। इस टेस्ट को करवाने से फेफड़े कितनी अच्छी तरह से काम कर रहे हैं, इसका पता लगाया जा सकता है।
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पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट क्या होता है? जानें कब पड़ती है इस जांच को करवाने की जरूरत


Pulmonary Function Test in Hindi: फेफड़े हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंग हैं। स्वस्थ शरीर के लिए, फेफड़ों का सही तरीके से कार्य करना बहुत जरूरी होता है। दरअसल, फेफड़ों में थोड़ी-सी गड़बड़ी, संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। इसलिए फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए प्राणायाम करना बेहद जरूरी होता है। इसके अलावा, फेफड़ों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए धूम्रपान से भी परहेज करना चाहिए। हालांकि, खराब खान-पान, प्रदूषण, जीवनशैली और धूम्रपान के सेवन की वजह से फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। आजकल, अधिक कई लोग फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। ऐसे में फेफड़ों के स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिए पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट करवाया जा सकता है। जी हां, पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट, करवाने से फेफड़े कितनी अच्छी तरह से काम कर रहे हैं, इसका पता लगाया जा सकता है। आइए, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली, के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमितेश गुप्ता से जानते हैं कि पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट क्या होता है और इस टेस्ट को करवाने की जरूरत कब पड़ती है-

पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट क्या होता है?- What is Pulmonary Function Test in Hindi 

पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (PFT) ऐसे परीक्षण हैं, जो फेफड़ों की कार्यक्षमता के बारे में सही जानकारी देते हैं। यानी इस टेस्ट के माध्यम से पता चल सकता है कि फेफड़े कितनी अच्छी तरह से कार्य कर रहे हैं। इस टेस्ट के जरिए, फेफड़ों की कार्यक्षता, फेफड़ों में प्रवाह की दर आदि का पता चल सकता है। इतना ही नहीं, पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट करवाने से यह भी आकलन किया जा सकता है कि आप कितनी हवा अंदर ले सकते हैं और कितनी छोड़ सकते हैं। या फिर फेफड़े, रक्त में ऑक्सीजन को कितने प्रभावी तरीके से स्थानांतरित कर रहे हैं। इस परीक्षण के माध्यम से डॉक्टरों को, बीमारी का निदान करने में मदद मिलती है। पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट, कई तरह के होते हैं। अलग-अलग परीक्षणों के जरिए, अलग-अलग समस्याओं के बारे में पता चल पाता है।

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पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट करवाने की जरूरत कब पड़ती है?

पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट को करवाने की जरूरत, कई स्थितियों में पड़ सकती है। हालांकि, इस टेस्ट को कब करवाना है, इसकी सलाह डॉक्टर ही देते हैं। 

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1. सांस संबंधी समस्याओं में

अगर किसी व्यक्ति को सांस संबंधी समस्याएं जैसे- खांसी, सांस फूलने या सांस लेने में कठिनाई हो रही है, तो इस स्थिति में डॉक्टर पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। 

2. धूम्रपान करने वाले लोगों को

अगर कोई व्यक्ति धूम्रपान अधिक करता है, तो उसके फेफड़ों की स्थिति जांचने के लिए भी पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट करवाया जा सकता है। धूम्रपान करने वाले लोगों को इस टेस्ट को जरूर करवाना चाहिए। वहीं, धूम्रपान सेहत के लिए हानिकारक होता है। इसलिए इसका सेवन करने से पूरी तरह परहेज करना चाहिए।

3. फेपड़ों की बीमारी वाले लोगों को

फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों वाले लोगों को पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट करवाने की जरूरत पड़ती है। अगर किसी व्यक्ति को अस्थमा, फाइब्रोसिस, सीओपीसी या फेफड़ों से जुड़ी कोई अन्य बीमारी है, तो इस स्थिति में पीएफटी करवाने की जरूरत पड़ती है। इससे फेफड़ों की स्थिति का पता लगाने में मदद मिलती है।

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4. सर्जरी से पहले

अगर किसी व्यक्ति की फेफड़ों, हृदय या पेट के ऊपरी हिस्से से संबंधित कोई सर्जरी हो रही है, तो इस स्थिति में पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट करवाने की जरूरत पड़ सकती है। सर्जरी से पहले, फेफड़ों की कार्यक्षमता का पता लगाने के लिए इस टेस्ट को करवाने की सलाह दी जाती है।

इसके अलावा, अगर फेफड़ों की कार्यक्षमता का पता लगाना हो, तो भी इस टेस्ट को करवाया जा सकता है। हालांकि, इस टेस्ट को डॉक्टर की सलाह पर ही करवाना चाहिए। 

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