What is Anti-Mullerian Hormones Test : एक दौर था जब चीजें बायोलॉजिकल क्लॉक के हिसाब से चलती थीं, लेकिन जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी और लोगों की प्राथमिकताएं बदलती गईं, बायोलॉजिकल क्लॉक कहीं पीछे छूट गया। पहले के लोग 20 की उम्र में शादी करते थे और 21 से 22 की उम्र में महिलाएं गर्भधारण करके मां बन जाती थीं। लेकिन आज का जमाने में महिलाओं की प्राथमिकता बड़ी-बड़ी डिग्रियां हासिल करना और किसी बड़ी कंपनी में अच्छी पोजीशन हासिल करना और उसके बाद शादी करना होता है। यही नहीं शादी के तुरंत बाद महिलाएं गर्भधारण नहीं करती हैं, बल्कि इसके लिए प्लानिंग करती हैं। कई बार इस प्लानिंग के चक्कर में महिलाओं की उम्र 30 के पार चली जाती है और उन्हें बच्चा कंसीव करने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बढ़ती उम्र में महिलाओं को कंसीव करने में किसी तरह की परेशानी न आए, इसके लिए आज कई मेडिकल सुविधाएं मौजूद हैं। इन्हीं सुविधाओं में से एक है एंटी-मुलरियन हार्मोन (AMH) टेस्ट। आज इस लेख में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. तान्या गुप्ता से जानेंगे एंटी-मुलरियन हार्मोन (AMH) क्या होता है और इसकी जरूरत क्यों पड़ती है, इसके बारे में।
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क्या होता है एंटी-मुलरियन हार्मोन (AMH) टेस्ट?- What is Anti-Mullerian hormones test
डॉ. तान्या गुप्ता का कहना है, एंटी-मुलरियन हार्मोन (AMH) टेस्ट एक तरह का ब्लड टेस्ट होता है। पुरुषों में, AMH अंडकोष द्वारा बनाया जाता है, जो शुक्राणु और पुरुष हार्मोन बनाने वाली ग्रंथियों में से एक हैं। वहीं, महिलाओं के अंडाशय एएमएच का निर्माण करते हैं। AMH पुरुषों और महिलाओं में अलग-अलग भूमिकाएं निभाता है और AMH का सामान्य स्तर आपके लिंग और आपकी उम्र के साथ बदलता रहता है। डॉक्टर का कहना है कि AMH के स्तर को मापने से कई तरह की प्रजनन स्वास्थ्य स्थितियों की जानकारी मिलती है। डॉ. तान्या गुप्ता का कहना है कि अगर कोई महिला AMH टेस्ट करवाती है, तो इससे महिलाओं के शरीर में कितने अंडे बचे हुए हैं इसकी जानकारी मिलती है। दरअसल, बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं के शरीर में अंडों की संख्या और उसकी क्वालिटी खराब होती चली जाती है। ऐसे में AMH टेस्ट के जरिए महिलाओं को इस बात की जानकारी मिल सकती है कि उन्हें अभी प्रेग्नेंसी की प्लानिंग करनी चाहिए या नहीं।
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डॉ. तान्या की मानें तो AMH टेस्ट में जिन महिलाओं की रिपोर्ट में एएमएच की वैल्यू 1 से 3 के बीच आती है, तो इसका अर्थ यह है कि उनके शरीर में अंडे काफी संख्या में हैं और वह प्रेग्नेंसी कंसीव करने के लिए 1 से 2 साल का वक्त ले सकती हैं। वहीं, जिन महिलाओं की एएमएच वैल्यू रिपोर्ट 1 से कम आती है, तो यह स्थिति बताती है कि अब वक्त आ चुका है प्रेग्नेंसी कंसीव करने का। 1 वैल्यू वाली महिलाएं अगर हाल-फिलहाल में कंसीव नहीं करना चाहती हैं, वह एग फ्रीजिंग जैसे ऑप्शन ट्राई कर सकती हैं, ताकि भविष्य में उन्हें प्रेग्नेंसी कंसीव करने में किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
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किन्हें करवाना चाहिए एंटी-मुलरियन हार्मोन टेस्ट?
डॉ. तान्या गुप्ता का कहना है कि जो भी महिलाएं शादी के तुरंत बाद प्रेग्नेंसी की प्लानिंग नहीं करना चाहती हैं, उन्हें एंटी-मुलरियन हार्मोन टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। किसी महिला को एंटी-मुलरियन हार्मोन टेस्ट की जरूरत है या नहीं इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ से बात करें।
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