
What Is Cornea Transplantation In Hindi: कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन एक तरह का प्रोसीजर है, जिसमें कॉर्निया को कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया जाता है। इस प्रक्रिया को हम केराटोप्लास्टी के नाम से भी जानते हैं। यह प्रक्रिया तब की जाती है, जब कॉर्निया में पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाती है। इसके अलावा, कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन करने के लिए एक कॉर्निया डोनर भी चाहिए होता है, जिसकी हेल्दी कॉर्निया को डैमेज्ड कॉर्निया के साथ रिप्लेस किया जाता है। कॉर्निया हमारी आंखों का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यह ट्रांस्पेरेंट होता है, जो कि गुंबद के आकार का होता है। यह रेटिना पर प्रकाश को केंद्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसकी मदद से व्यक्ति किसी भी चीजा को स्पष्ट तरीके से देख पाता है। कॉर्निया में किसी भी तरह की दिक्कत होने से नजर खराब हो सकती है। इस स्थिति में कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन की जरूरत पड़ती है। इस बारे में हमने हैदराबाद के सोमाजीगुडा में स्थित मैक्सीविजन सुपर स्पेशियलिटी आई हॉस्पिटल के Cornea, Cataract and Refractive Surgeon डॉ. अखिल बेवरा से बात की।
कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन कब किया जाता है?- When Is A Cornea Transplant Needed In Hindi
कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन करने के पीछे कई तरह के कारण जिम्मेदार हो सकते हैं-
- केराटोकोनसः कॉर्निया का धीरे-धीरे पतला हो जाता है, जिससे यह कोन शेप का बन जाता है।
- फुच्स एंडोथेलियल डिस्ट्रोफी (Fuchs’ Endothelial Dystrophy): ऐसी स्थिति जिसमें कॉर्निया का अंदरूनी हिस्सा खराब हो जाता है, जिससे कॉर्निया में सूजन हो जाती है। यह स्थिति भी दृष्टि पर नकारात्मक असर डालती है। इस सिचुएशन में भी कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन किया जा सकता है।
- कॉर्नियल स्कारः चोट लगने या इंफेक्शन होने की स्थिति में कॉर्निया स्कार हो सकता है। यह कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन का कारण बनता है।
- पिछली सर्जरी का फेल होनाः अगर पिछली सर्जरी सफल न हुई हो, तब भी लोगों का आंखों से जुड़ी परेशानी हो सकती है। इसमें भी कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन किया जाता है।
- कॉर्निया एडिमाः अगर किसी वजह से कॉर्निया में सूजन हो गई हो, तो भी व्यक्ति को कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन की आवश्यकता हो सकती है।
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कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन से जुड़े रिस्क- Risks Of Corneal Transplant Surgery In Hindi
आमतौर पर कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन से पूरी तरह रिकवरी में कई महीने लग जाते हैं। यहां तक कि व्यक्ति को नई कॉर्निया के साथ एड्जेस्ट होने में भी समय लगता है। विशेषज्ञों की मानें तो कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन की रिकवरी के दौरान मरीज को लगातार आई ड्रॉप का इस्तेमाल करना पड़ता है। ऐसा करके मरीज को इंफेक्शन और अन्य समस्याओं से बचाने की कोशिश की जाती है। जरा सी भी लापरवाही इंफेक्शन या आंखों से संबंधित अन्य परेशानी की वजह से बन सकती है। विशेषज्ञ यह भी सलाह देते हैं कि कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन के बाद मरीज को नियमित रूप से अपना आई चेकअप करवाना चाहिए। इससे यह स्पष्ट होता है कि उनकी रिकवरी सही दिशा में है या नहीं।
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विशेषज्ञ की राय- Expert Suggestion In Hindi
कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह के डर हैं। इसलिए, उन्हें चाहिए कि अपनी आंखों से जुड़ी हर तरह की समस्या को लेकर वे सीधे डॉक्टर से संपर्क करें। जहां तक बात कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन की है, तो इसकी सफलता दर काफी ज्यादा है। इसलिए, इस प्रक्रिया से डरने की जरूरत नहीं है। हालांकि, कुछ बातों का ध्यान रखा जाना जरूरी है, जैसे उन्हें आई डोनेशन के बारे में पता होना चाहिए। इसके अलावा, इस प्रक्रिया से किस तरह के फायदे होते हैं और इसके क्या नुकसान हैं, इसकी भी पूरी जानकारी मरीज को होनी चाहिए। इससे कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन करवाना आसान होता है और रिकवरी के दौरान केयर करने में भी मदद मिलती है।
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