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बायोलॉजिकल क्लॉक क्या होती है? जानें घड़ी के बदलाव से शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव

Biological Clock: हमारे शरीर में बायोलॉज‍िकल क्‍लॉक होती है ज‍िससे सारी क्र‍ियाएं होती हैं। जान‍िए जैव‍िक घड़ी का क्‍या असर सेहत पर पड़ता है।   
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बायोलॉजिकल क्लॉक क्या होती है? जानें घड़ी के बदलाव से शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव


Biological Clock in Hindi: ज‍िस तरह हम घड़ी में समय को देखकर हर काम करते हैं उसी तरह हमारे शरीर में भी एक घड़ी मौजूद होती है ज‍िसे बायोलॉज‍िकल क्‍लॉक कहा जाता है। हमें कब सोना है, कब भूख लगी है, कब उठना है, यह हमारे शरीर में मौजूद जैव‍िक घड़ी से तय होता है। बायोलॉज‍िकल क्‍लॉक हमारे शरीर की शारीर‍िक और मानस‍िक क्र‍ियाओं को संचाल‍ित करती है। ज‍िस तरह हम घड़ी को देखकर अपना काम समय पर करने का प्रयास करते हैं, उसी तरह हमारे शरीर में मौजूद जैव‍िक घड़ी की मदद से शरीर की आंतर‍िक गत‍िव‍िध‍ियों को कंट्रोल क‍िया जाता है। अनहेल्‍दी लाइफस्‍टाइल के चलते जैव‍िक घड़ी में गड़बड़ी भी आ जाती है ज‍िससे हमारे स्‍वास्‍थ्‍य पर बुरा असर पड़ता है। चल‍िए आगे जानते हैं कैसे काम करती है बायोलॉज‍िकल क्‍लॉक और इसके ब‍िगड़ने से क्‍या नुकसान हो सकते हैं। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ में डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्‍ट‍िट्यूट ऑफ मेड‍िकल साइंसेज के अस‍िसटेंट प्रोफेसर डॉ संजीत कुमार सिंह से बात की।  

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बायोलॉज‍िकल घड़ी कैसे काम करती है?- How Biological Clock Works

जैसे हम डेड लाइन को देखते हुए जल्‍दी-जल्‍दी अपने काम खत्‍म करते हैं वैसे ही हमारे शरीर में मौजूद घड़ी भी शरीर की संरचना के आधार पर पाचन, सांस लेना, क‍िडनी का कार्य आद‍ि संचाल‍ित करती है। जैसे-जैसे हमारी घड़ी में 24 घंटे बीत रहे होते हैं, वैसे-वैसे हमारे शरीर के अंदर मौजूद घड़ी, मानव शरीर को द‍िन और रात के दैन‍िक चक्र के अनुकूल बनाने में मदद करती है। इसे सिरकाडियन रिदम्‍स कहा जाता है। इन र‍िदम्‍स के आधार पर शरीर का तापमान, हृदय गति विधि, रक्‍तचाप, ऑक्‍सीजन खपत और अन्‍य कार्यों का प्रबंधन होता है। जब हम सुबह-शाम के चक्र के व‍िरुद्ध जाकर रूटीन फॉलो करने की कोश‍िश करते हैं, तो बायोलॉज‍िकल क्‍लॉक भी ब‍िगड़ जाती है जैसे- रात को जगना, देर से सोना या देर से सोकर उठना। बायोलॉज‍िकल क्लॉक के ब‍िगड़ जाने से शरीर को कई तरह के नुकसान होते हैं। इसके बारे में हम आगे जानेंगे।      

जैव‍िक घड़ी के ब‍िगड़ने से शरीर को होने वाले नुकसान- How Biological Clock Affect Health 

  • जैव‍िक घड़ी के ब‍िगड़ जाने से मह‍िलाओं में अन‍ियम‍ित पीर‍ियड्स की समस्‍या हो सकती है। 
  • बायोलॉज‍िकल क्‍लॉक खराब होने से अल्‍जाइमर रोग, अन‍िद्रा, डायब‍िटीज और ड‍िप्रेशन जैसी समस्‍याएं हो सकती हैं। 
  • क्‍लॉक के ब‍िगड़ जाने से आपके शरीर में मोटापा बढ़ सकता है।
  • बायोलॉज‍िकल क्‍लॉक ब‍िगड़ने का बुरा असर पाचन-तंत्र पर भी पड़ सकता है। खाना ठीक से न पच पाने के कारण बदहजमी की समस्‍या होने लगती है। इसल‍िए आपने नोट‍िस क‍िया होगा क‍ि जब आप नींद पूरी करके नहीं उठते हैं, तो पेट में गैस या एस‍िड‍िटी महसूस होने लगती है।  
  • जैव‍िक घड़ी के ब‍िगड़ने से आंखों की रौशनी भी कमजोर हो सकती है। 

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बायोलॉज‍िकल क्‍लॉक को कैसे सुधारें?- How To Reset Biological Clock 

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  • बायोलॉज‍िकल क्‍लॉक के मुताब‍िक सुबह उठने की आदत बनाएं। 
  • रात को समय पर सोएंगे, तभी सुबह जल्‍दी उठ सकेंगे।
  • जैसे ही आप सोकर उठते हैं शरीर में आंतर‍िक गत‍िव‍िध‍ियां सक्र‍िय हो जाती हैं इसल‍िए सुबह का समय शांत मन से ब‍िताना चाह‍िए।
  • सुबह उठकर कुछ देर घास पर चप्‍पल पहने बगैर वॉक करें और सूरज की रौशनी को शरीर पर पड़ने दें।
  • सोने और उठने का समय तय करें और उसे न‍ियम से फॉलो करें।
  • सोने से 2 से 3 घंटे पहले मोबाइल का इस्‍तेमाल बंद कर दें।
  • सोने से ठीक पहले कुछ भी खाने से बचें। इससे पाचन ठीक रहेगा और जैव‍िक घड़ी का चक्र भी संतुल‍ित रहेगा।  

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