फैमिली प्लानिंग के लिए सबसे जरूरी स्टेप है कि अपने पीरियड्स की साइकिल को ट्रैक करना। इस बात का ध्यान रखना कि आप किस दिन ओवुलेट कर सकती हैं क्योंकि इन दिनों में पार्टनर के साथ सेक्शुअल कॉन्टैक्ट करना आपके गर्भधारण करने की संभावना को बढ़ा सकता है। साथ ही आपको अपनी रिप्रोडक्टिव हेल्थ के बारे में पूरी तरह से जानकारी होनी भी काफी जरूरी है। एनोवुलेशन के बारे में लगभग काफी सारी महिलाओं को नहीं पता। अपोलो क्रैडल रॉयल की सीनियर गयनेकोलॉजिस्ट, डॉक्टर गीता चंदा के अनुसार एनोओवुलेट का मतलब है विफल ओवुलेशन। यानी यह महिलाओं में इनफर्टिलिटी का कारण। दरअसल ओवुलेशन होने के लिए ओवरीज द्वारा एग रिलीज किया जाना काफी जरूरी होता है। इससे प्रोजेस्ट्रॉन लेवल बढ़ते हैं जिससे महिलाओं के पीरियड्स में नियमितता देखने को मिलती है। जब ओवुलेशन होता है तो कम प्रोजेस्ट्रॉन लेवल अधिक ब्लीडिंग में बदल जाते हैं। इसे पीरियड के रूप में समझा जाता है लेकिन यह कुछ अलग ही होता है।
एनोवुलेशन के कारण
- ओवर वेट होना या मोटापा।
- वजन का काफी ज्यादा कम होना।
- काफी ज्यादा मात्रा में एक्सरसाइज कर लेना।
- हाइपरप्रोलेक्टिनेमिया नाम की स्थिति से जूझना।
- प्रीमेच्योर ओवरीज के फेलियर से जूझना।
- हाइपर थायरॉयडिज से जूझना
- स्ट्रेस और चिंता आदि से लंबे समय तक जूझना।
इसे भी पढ़ें- पीरियड कितने दिन तक लेट हो सकता है? जानें सही समय पर पीरियड्स न आने के कारण
एनोवुलेशन के लक्षण
- मेंस्ट्रुअल साइकिल में अनियमितता आना। कई बार एक महीने में दो बार भी पीरियड्स देखने को मिल सकते हैं।
- इस समय आने वाले पीरियड में ब्लड फ्लो आम तौर पर काफी कम होता है।
- इस समय आने वाले पीरियड्स में कोई दर्द भी महसूस नहीं होता है।
एनोवुलेशन और इनफर्टिलिटी का क्या रिश्ता है?
ओवुलेशन के दौरान भी गर्भ धारण करने के चांस केवल 25% ही रहते हैं। अगर फर्टिलाइज होने वाला एग इस समय नहीं मौजूद होता, तो यह संभावना और कम हो जाती है। अगर ओवुलेशन अनियमित होता है तो कभी आपका ओवुलेशन हो सकता है और कभी नहीं। अगर ओवुलेशन समय से देरी से होता है तो वह हमेशा ही फर्टिलाइज नहीं होता। इससे सर्विकल म्यूकस भी अनुपस्थित होता है।
एनोवुलेशन की पहचान कैसे की जा सकती है?
इस समय डॉक्टर आपकी मेंस्ट्रुअल साइकिल की फ्रीक्वेंसी को जांचते हैं। आपकी नियमितता और अनियमितता को देखा जाता है और ओवुलेशन को इस हिसाब से भी जांचा जाता है। हार्मोन्स लेवल चेक करने के लिए कई बार ब्लड सैंपल भी लिए जाते हैं। डॉक्टर प्रोजेस्ट्रॉन ब्लड टेस्ट भी कर सकते हैं।
इसे भी पढ़ें- पीरियड्स में होने वाली देरी से हैं परेशान, तो आजमायें ये 5 आसान घरेलू उपाय
एनोवुलेशन का इलाज
कई बार इस स्थिति का कारण खराब लाइफस्टाइल होता है तब ऐसे समय में आपको कुछ बदलाव करने की जरूरत है। जैसे वजन कम करना या हेल्दी चॉइस अपनाना, जिससे मेंस्ट्रुअल साइकिल नियमित हो सके और ओवुलेशन के चांस बढ़ सकते हैं।
- इसके अलावा कुछ दवाइयों के सेवन से फर्टिलाइजेशन की संभावना बढ़ सकती है।
- अगर इस स्थिति का पीसीओएस कारण है तो उसका इलाज जरूरी है।
- इसके अलावा भी समय-समय पर डॉक्टर का सुझाव जरूरी है।
अगर आप ऐसी स्थिति से गुजर रही हैं तो आपको डरने या घबराने की कोई जरूरत नहीं क्योंकि यह स्थिति ठीक हो सकती है और आप आसानी से इस स्थिति से ठीक होने पर कंसीव भी कर सकती हैं। इसलिए डॉक्टर की सलाह जरूर लें।