Baby Movement In Womb In Hindi: गर्भ में शिशु करीब गर्भावस्था के 12वें सप्ताह से मूवमेंट करना शुरू कर देता है। हालांकि, गर्भवति महिलाएं गर्भ में शिशु की मूवमेंट को करीब 16 सप्ताह के बाद महसूस करती हैं। विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि जो महिलाएं पहली बार प्रेग्नेंट हुई हैं, वे 20वे सप्ताह बाद गर्भ में शिशु की हलचल को महसूस कर पाती हैं। करीब 25वे सप्ताह के बाद शिशु की मूवमेंट ज्यादा क्लियर होती है। इसी दौरान महिला को पता चलता है कि शिशु अपने हाथ-पैर हिला रहा है। खैर, गर्भ में शिशु की मूवमेंट से यह अंदाजा लगाया जाता है कि वह स्वस्थ है और उसकी ग्रोथ बेहतर तरीके से हो रही है। डॉक्टर भी प्रेग्नेंट महिलाओं को यह सलाह देते हैं कि वे गर्भ में पल रहे अपने शिशु की मूवमेंट पर नजर रखें। लेकिन, कभी-कभी ऐसा भी होता है कि शिशु की हलचल कम हो जाती है। यहां यह जान लेना आवश्यक है कि आखिर ऐसा क्यों होता है? क्या गर्भ में शिशु की हलचल कम होना सामान्य है? या इसे किसी गंभीर स्वास्थ्य स्थिति का संकेत माना जा सकता है? आइए, जानते हैं इस बारे में वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता की क्या राय है।
गर्भ में शिशु की हलचल कम होने के कारण- What Causes Reduced Baby Movement In Womb In Hindi
शिशु की पोजिशन
गर्भ में शिशु की हलचल कम होने का एक कारण गर्भ में उसकी पोजिशन से तय होता है। असल में, बच्चा सही पोजिशन में होगा तभी उसे मूवमेंट करने में सुविधा होती है। ऐसे में बच्चे की हर मूवमेंट को गर्भवती महिला महसूस कर पाती है। आपको बता दें कि गर्भ में शिशु का सिर नीचे की ओर और पैर ऊपर की ओर होता है। इस स्थिति में शिशु की ज्यादातर मूवमेंट पेट के बीचों-बीच महसूस होती है। इसके अलावा, शिशु जिस पोजिशन में होता है, उसी के अनुसार उसकी मूवमेंट भी प्रभावित होते हैं।
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शिशु का स्वास्थ्य
अगर शिशु सामान्य मूवमेंट कर रहा है और गर्भवती महिला उसे महसूस कर ही है, तो इसे सही संकेत समझा जाना चाहिए। वहीं, अगर शिशु ज्यादा मूवमेंट नहीं कर रहा है, तो इसके हल्के नहीं लिया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि शिशु का स्वास्थ्य सही न होना, मसल्स संबंधी दिक्कत होना या नर्व्स से जुड़ी परेशानी होने पर भी गर्भ में शिशु की मूवमेंट प्रभावित होती है। इस तरह की स्थिति में शिशु कम मूव करता है।
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एमनियोटिक फ्लूइड का स्तर कम होना
शिशु मूवमेंट में कमी आने का एक मुख्य कारण एमनियोटिक फ्लूइड का स्तर कम होना भी है। आपको बता दें एमनियोटिक फ्लूइड वह द्रव होता है, जिसमें शिशु की ग्रोथ होती है। यह गर्भाशय के अंदर होता है। एमनियोटिक फ्लूइड एक तरह का सुरक्षा कवच होता है, जो शिशु को बाहरी पदार्थ और संक्रमण से बचाता है। एमनियोटिक फ्लूइड का स्तर सही होना बहुत जरूरी है। कम होने पर यह शिशु के लिए जानलेवा भी हो सकता है। इसकी कमी के कारण शिशुकी मूवमेंट भी प्रभावित होने लगती है।
प्लेसेंटा की पोजिशन
प्लेसेंटा वह ऑर्गन होता है, जो गर्भावस्था के दौरान यूट्रस में विकसित होता है। प्लेसेंटा, गर्भनाल से जुड़ी होती है। ये दोनों मिलकर गर्भ में शिशु के विकास में मुख्य भूमिका निभाते हैं। प्लेसेंट और गर्भनाल की वजह से शिशु को मां के जरिए सभी जरूरी पोषक तत्व, ऑक्सीजन आदि मिलते हैं। इससे शिशु का विकास सही दिशा में होता है। प्लेसेंटा फ्रंट या बैक साइड में है, यह बात मायने रखती है। इससे शिशु की मूवमेंट पर असर पड़ता है। विशेषज्ञों की मानें, तो अगर प्लेसेंटा फ्रंट साइड में है, तो शिशु की मूवमेंट को मां महसूस नहीं कर पाती हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि गर्भवती महिला की एब्डमिनल वॉल और शिशु के बीच प्लेसेंटा आ जाता है। वहीं, अगर प्लेसेंटा बैक साइड है, तो शिशु की हर मूवमेंट को मां महसूस कर पाती हैं।
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