What Causes Estrogen Levels To Rise In Hindi: महिलाओं के लिए एस्ट्रोजन हार्मोन बहुत ही उपयोगी होता है। यह महिलाओं की सेक्सुअल डेवेलपमेंट और रिप्रोडक्शन को रेगुलेट करता है। यही नहीं, एस्ट्रोजन हार्मोन महिलाओं के शरीर में कई तरह से महत्वपूर्ण होता है। जैसे यह ब्रेन, हार्ट और रक्त वाहिकाओं को भी प्रभावित करता है। आपको बता दें कि एस्ट्रोजन हार्मोन महिलाओं के लिए इतना जरूरी है कि अगर उनके शरीर में इस हार्मोन का स्तर बैलेंस्ड न हो, तो उनके पीरियड्स प्रभावित हो सकते हैं, जिससे उन्हें कंसीव करने में दिक्कत आ सकती है। यहां तक कि अगर एस्ट्रोजन संतुलित न हो, तो इससे महिलाओं का मूड स्विंग हो सकता है, उनके कार्डिवास्कुलर कार्यप्रणाली पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसके बावजूद, यह देखन में आ रहा है कि मौजूदा समय में महिलाओं की जीवनशैली में कई बुरी आदतें शामिल हो गई हैं। इससे उनके शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बिगड़ जाता है। यहां सवाल उठता है कि आखिर महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने के क्या कारण हो सकते हैं और इसका उनके शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है? इस बारे में हमने वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से बात की।
महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने के क्या कारण हो सकते हैं?- Causes Of Increase In Estrogen Levels In Hindi
मोटापा
महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर कई कारणों से बढ़ सकता है। इसमें से एक मुख्य कारण मोटापा है। असल में, बढ़ते वजन के कारण महिलाओं में काफी ज्यादा मात्रा में फैट होता है। फैट उनकी हार्मोन को संतुलिन करने में दिक्कतें पैदा करता है। आपको बता दें कि मोटापा अपने आप में कोई बीमारी नहीं है। लेकिन, इसकी वजह से कई तरह की मेडिकल कंडीशन ट्रिगर हो सकती है। ऐसे हार्मोन के स्तर में बदलाव देखने को मिल सकता है। ऐसे में एस्ट्रोजन के स्तर पर निगेटिव प्रभाव भी नजर आ कसता है।
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प्यूबर्टी
प्यूबर्टी वह स्टेज होता है, जब एक बच्चा किशोरावस्था से होते हुए युवास्था की ओर बढ़ रहा होता है। इन दिनों किशोरों के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। ऐसे में उनके शरीर में हार्मोन का स्तर भी प्रभावित होता है। विशेषकर लड़कियों में इन दिनों पीरियड्स की शुरुआत हो रही होती है। ऐसे में उनके शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर में बदलाव होने लगता है। पीरियड्स की वजह से उनके शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है। इस दौरान किशोर लड़कियों को चेहरे पर कील-मुंहासे, मूड स्विंग जैसी कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं।
दवाओं का सेवन
कई दवाएं भी महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार जो महिलाएं हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी और बर्थ कंट्रोल पिल लेती हैं, उनमें एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने लगता है। असल में हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी और बर्थ कंट्रोल पिल में सिंथेटिक एस्ट्रोजन होता है, जो ओवर ऑल हेल्थ को प्रभावित कर सकता है।
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मेडिकल कंडीशन
मेडिकल कंडीशन जैसे अंडरएक्टिव थायराइड भी एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर को प्रभावित करता है। विशेषज्ञों की मानें, तो हाइपोएक्टिव थायराइड के कारण एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने लगता है। हालांकि, यह सीधे-सीधे एस्ट्रोजन के स्तर पर असर नहीं डालता है। लेकिन, इसकी वजह से ओवर ऑल हेल्थ में हार्मोनल इंबैलेंस होने लगता है। इससे ऐसा आभास हो सकता है कि शरीर में एस्ट्रोजन स्तर में बढ़ोतरी हो रही है। कभी-कभी स्थिति इसके उलट भी हो सकती है।
एंडोक्राइन डिसऑर्डर
एंडोक्राइन डिसऑर्डर एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें हार्मोन प्रोड्यूस करने वाली ग्रंथियों की कार्यप्रणाली बाधित होती है। इस स्थिति में महिलाओं में एस्ट्रोजन के स्तर में वृद्धि होने लगती है। असल में, यह विकार एस्ट्रोजन प्रोडक्शन पर नेगेटिव असर डालता है। इससे महिलाओं में मेटाबॉलिज्म रेट पर भी बुरा प्रभाव देखने को मिलता है। आपको बता दें कि कई बार ग्लैंड्स में गांठ या दाना होने के कारण भी हार्मोनल इंबैलेंस हो सकता है।
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