वेस्टर्न टॉयलेट का आविष्कार जिस भी उद्देश्य से हुआ हो, लेकिन ये टॉयलेट आराम कम देते हैं बीमारियों का कारण ज्यादा बन रहे हैं। घर के वॉशरूम को तो आप खुद से साफ कर सकते हैं, लेकिन पब्लिक टॉयलेट में साफ-सफाई की कमी की वजह और एक समय में एक से ज्यादा लोगों द्वारा इस्तेमाल करने से बीमारियों की संख्या बढ़ जाती है। लेकिन जब भी हम काम से बाहर निकलते हैं तो पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करना मजबूरी बन जाता है। इन शौचालयों में सुविधाओं की कमी होती है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत सार्वजनिक क्षेत्रों में कई शौचालय तो बनाए गए लेकिन व्यवस्थित तरीके से इनकी मेंटेनिंग नहीं की गई। यही वजह है कि आज बाथरूम से होने वाले संक्रमणों की संख्या बढ़ गई है। लगातार पब्लिक शौचालयों के इस्तेमाल से यूटीआई जैसे संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। गोंडा के जीवनदीप चिकित्सालय एंड आइवीएफ सेंटर में गाइनाकॉलोजिस्ट गुंजन भटनागर ने इस विषय में बताया कि पब्लिक टॉयलेट के इस्तेमाल से यूटीआई संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। पब्लिक टॉयलेट के इस्तेमाल से यूटीआई के अलावा अन्य कई संक्रमण होते हैं, जिनके बारे में डॉ. भटनागर ने बताया।
पब्लिक टॉयलेट से बढ़ता है यूटीआई (Urinary tract infection) का खतरा
डॉ. भटनागर का कहना है कि भारतीय टॉयलेट ज्यादा बेहतर होते हैं। लेकिन वस्टर्न टॉयलेट से यूटीआई इंफेक्शन का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। एक ही टॉयलेट सीट को बार-बार बिना साफ किए इस्तेमाल किया जाता है। बहुत बार उन टॉयलेट्स में पानी आ रहा होता है बहुत बार नहीं। जिस वजह से लोग फ्लश भी नहीं करते। किसी की बाथरूम और आपकी त्वचा का टॉयलेट सीट से छूना यूटीआई का कारण बनता है। बहुत बार टॉयलेट की बूंदें वेस्टर्न टॉयलेट के ऊपर भी रह जाती हैं, जिसका किसी और की स्किन से संपर्क होने पर इस इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। यह यूटीआई पुरुषों और महिलाओं दोनों को हो सकता है। लेकिन महिलाओं में यह समस्या ज्यादा देखी जाती है। इसके पीछ कारण यह भी हो सकता है कि महिलाओं के लिए यूरीन पास करने के लिए बाथरूम अलग होते हैं और पुरुषों के लिए। इसलिए इस बनावट के कारण महिलाएं यूटीआई का शिकार ज्यादा बनती हैं। यूटीआई में बार-बार पेशाब आता है।
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बाथरूम से होने वाले अन्य इंफेक्शन
डॉ. भटनागर का कहना है कि पब्लिक टॉयलेट हो या घर के टॉयलेट उनकी पूरी सफाई बहुत जरूरी है। घर के टॉयलेट की सफाई तो फिर भी संभव हो जाती है लेकिन पब्लिक टॉयलेट में संभव नहीं हो पाती। एक दिन में ज्यादा लोग उनका इस्तेमाल करते हैं। गाइनाकॉलोजिस्ट डॉ. भटनागर ने बताया कि बाथरूम से कौन से यूरीन इन्फेक्शन होते हैं। ये सभी इन्फेक्शन किसी बैक्टीरिया की वजह से होते हैं।
1. ई कोली- यूटीआई की दिक्कत ई-कोली बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से ही होती है। इमसें भी पेशेंट को बार-बार पेशाब आता है। उसके पेड़ू में दर्द रहता है। तो वहीं, वजाइना में खुजली रहती है।
2. इक्वलआई बैक्टीरियल इन्फेक्शन- इक्वलआई एक बैक्टीरियल यूरीन का इन्फेक्शन है। जिसमें पेशेंट को बार-बार टॉयलेट आता है। यह शुरूआत में यूरिन ब्लेडर को नुकसान पहुंचाता है। इलाज न होने पर यह इंफेक्शन किडनी तक जा सकता है। यूरिन करने में जलन होती है। ज्यादा समय नजरअंदाज करने पर यूरिन में ब्लड भी आ सकता है। पेशेंट को फीवर आता है। पेड़ू में दर्द रहता है।
3. क्लेब्सिएल्ला- यह एक और बैक्टीरियल इन्फेक्शन है जो यूरीन में होता है। यह भी साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखने पर होता है। कपड़ों की गंदगी के कारण भी यह इंफेक्शन होता है।
4. प्रोटियूस- यूरिन इंफेक्शन बहुत आम परेशानी है। यह अलग-अलग बैक्टीरिया से होती है। इसलिए जरूरी है कि पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करते समय आप साफ-सफाई का ध्यान रखें। इस इंफेक्शन में भी पेशेंट को बार-बार पेशाब आता है। तो वहीं पेड़ू में दर्द के अलावा जलन व खुजली रहती है।
5. स्ट्रेप्टोकोकोस बैक्टीरियल इन्फेक्शन- पब्लिक टॉयलेट के इस्तेमाल से स्ट्रेप्टोकोकोस बैक्टीरियल इन्फेक्शन होता है। यह भी यूरिन इंफेक्शन है। इसमें भी पेशेंट को बार-बार पेशाब आता है। शुरूआती लक्षण दिखने पर डॉक्टर के पास जाएं। सबके लक्षण एक होते हैं। वो यूरीन की जांच करके पता चलता है।
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पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखें यह बातें
1. डॉ. भटनागर का कहना है कि पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखें कि वहां साफ-सफाई पूरी हो। साथ ही सीट पर बैठने से पहले सीट को टिशु से साफ करे लें।
2. शौचालय की अथोरिटी को भी शौचालय की सफाई का ध्यान रखना चाहिए।
3. शौचालय से बाहर आकर साबुन से हाथ धोएं। अगर पानी न हो तो सेनिटाइजर से हाथ धो लें।
जब भी आप पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल कर रहे हैं तब ध्यान रहे कि वह पूरी तरह से साफ हो। वहां साबुन, पानी, सेनिटाइजर ठीक हो। तो वहीं हाथों को सुखाने के लिए हैंड ड्राइर भी होना चाहिए। एक व्यक्ति अगर टॉयलेट का इस्तेमाल करके निकला है तो उसकी थोड़ी देर बाद ही टॉयलेट में जाएं। तुरंत न जाएं। टोयलेट से निकलने के बाद फ्लश जरूर करें। हाथों को जरूर धोएं।
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