आई फ्लू के बढ़ते मामलों के बीच उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। दिल्ली के बाद अब यूपी में भी आंखों से जुड़ी इस समस्या के मामले बढ़ रहे हैं। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने शनिवार को प्रदेश में चिकित्सकों को आई फ्लू के मरीजों का अलग कमरे में इलाज करने के निर्देश दिए, जिससे आई फ्लू फैलने की आशंका कम हो सकेगी। उन्होंने सीएओ और सीएमएस को इन मरीजों का बेहतर इलाज कराए जाने के लिए कहा है।
आई फ्लू से निपटने के लिए किए गए हैं पुख्ता इंतजाम
पाठक ने प्रदेश के लोगों को आई फ्लू के प्रति सतर्कता बरतने के लिए जागरुक किया और कहा कि इस समस्या से बिलकुल न डरें। उन्होंने कहा कि सतर्क और सक्रिय रहकर इससे बचा जा सकता है। उन्होंने लोगों को आश्वस्त किया कि अस्पतालों में इस समस्या से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। अगर आपको आई फ्लू होता है तो सरकारी अस्पतालों में इलाज कराएं। यही नहीं प्रदेश में आई फ्लू से प्रभावित जगहों पर शिविर केंद्र भी लगाए जाएंगे और लोगों को इलाज भी मुफ्त में मुहैया कराया जाएगा।
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आई फ्लू के लक्षण
आई फ्लू के लक्षणों को आसानी से पहचाना जा सकता है। ऐसी स्थिति होने पर मरीज की आंखों में पानी बहने के साथ ही सूजन या फिर रेडनेस भी आ सकती है। ऐसे में आंखों में दर्द होने के साथ-साथ खुजली भी होती है। आई फ्लू होने पर मरीज को सुबह उठने पर आंखों में कीचड़ आने के अलावा आंखों में चिपचिपापन भी हो सकता है।
आई फ्लू से बचने के तरीके
इसपर जानकारी लेने के लिए हमने सीतापुर आंख अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. धर्मेंद्र सिंह से बातचीत की। इससे बचने के लिए साफ-सफाई का विशेषतौर पर ध्यान रखना जरूरी होता है। ऐसे में किसी भी चीज को छूने के बाद अपनी आंखों को छूने से बचें। ऐसी स्थिति में संक्रमण फैल सकता है। हाथों को समय-समय पर धोएं और सैनिटाइज भी करें। ऐसे में आई फ्लू के मरीज के संपर्क में आने से बचें साथ ही किसी के साथ तौलिया, कपड़े और टूथपेस्ट आदि साझा करने से भी बचें।