जानें क्‍या है मस्‍टाइटिस और इसके लक्षण

स्तनों में गांठ और स्वेलिंग हो गई है तो इसे नजरअंदाज ना करें। ये मैस्टाइटिस के लक्षण हैं जो हर 10 दूध पिलाने वाली महिलाओं में से एक महिला को होता है।
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जानें क्‍या है मस्‍टाइटिस और इसके लक्षण


स्तन टिश्यू में आयी सूजन को मैस्टाइटिस कहा जाता है। यह सूजन बहुत जल्द और आसानी से इंफेक्शन का रूप धारण कर सकता है। इसका मतलब यह होता है कि टिश्यू विशेष में सूजन तेजी से फैल रहा है। स्तन में सूजन के कुछ निम्न लक्षण में शामिल हैं स्तन का लाल होना, सख्त होता, दर्द होना, गर्म होना अथवा सूजन आना।

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मैस्टाइटिस होने की स्थिति में महिला विशेष को स्तन में ढेले होने जैसा भी प्रतीत हो सकता है। इसे अवरोध धमनी कहा जाता है, हालांकि यह स्वाभाविक अवरोध नहीं होता। यह सूजन स्तन में आए दूध के कारण होता है, जिससे टिश्यू फूला हुआ महसूस होता है। यदि किसी महिला विशेष के स्तन में अवरोध धमनी है तो संभवतः उन्हें पत्ती के आकार का एहसास होगा। जाहिर है ऐसा अवरोध हुई धमनी के कारण है। असल में स्तन की नाजुक टिश्यू पर ही यह प्रभाव देखने को मिलता है। स्तन में सूजन होने से यानी मैस्टाइटिस होने से आपको कुछ लक्षण ऐसे भी देखने को मिल सकते हैं-

  • ठंड लगना - आपको यहायक एहसास होने लगेगा कि स्तन में जितना ज्यादा दूध भर रहा है, उतनी ही तेजी से आपको ठंड लग रही है। इसका वातावरण से कोई सरोकार नहीं होगा। इसके उलट आपको लग सकता है कि आपकी तबियत सही नहीं है। जबकि ऐसा स्तन में आयी सूजन के कारण होता है।
  • सिर दर्द होना - कई दफा जब स्तन में अत्यधिक दूध भर जाता है तो महिला विशेष को स्तन में सूजन और दर्द के साथ साथ सिर में भी दर्द का एहसास होने लगता है। हालांकि वे इस स्थिति से निपटने के लिए कोई खास कदम नहीं उठा सकती।
  • थकान महसूस होना - कोई भी काम न करने के बावजूद बार बार बच्चे को दूध पिलाने भर से शरीर थकन से चूर हो जाता है। ऐसा होने से महिलाओं को लगता है कि दूध पिलाने के कारण ऐसा हो रहा है। जबकि हकीकत यह है कि स्तन में खिंचाव और सूजन के कारण थकान महसूस हो रही है।
  • गर्मी लगना - स्तन के भारी हो जाने से शरीर अनमना बना रहता है। कई बार सामान्य तापमान भी अत्यधिक महसूस होने लगता है। महिलाओं को लगता है कि तापमान में यकायक गर्मी बढ़ गई है। हालांकि ऐसा नहीं होता।

 

मस्टाइटिस

 

10 में से एक महिला को मैस्टाइटिस

तमाम शोध सर्वेक्षण इस बात का खुलासा करते हैं कि प्रत्येक 10 दूध पिलाने वाली महिला में से एक महिला को मैस्टाइटिस होता है। हैरानी इस बात की है कि जो मांएं अपने शिशु को बोतल का दूध पिलाती हैं, उन्हें भी मैस्टाइटिस होने की आशंका बनी रहती है। असल में उन्हें भी मैस्टाइटिस होता है। हालांकि मैस्टाइटिस होना किसी दर्दभरे अनुभव से कम नहीं होता। लेकिन यदि इसे सही समय पर पकड़ लिया जाए तो इससे निजात पाना आसान हो जाता है। मैस्टाइटिस को आसानी से निकाला जा सकता है। सामान्यत मैस्टाइटिस एक ही स्तन में होता है। लेकिन यदि आपके दोनों स्तनों में मैस्टाइटिस हुआ है या हो रहा है तो यह डरने की बात है। असल में ऐसा होने से दोबारा मैस्टाइटिस होने की आशंका बढ़ जाती है।

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मैस्टाइटिस क्यों होता है

मैस्टाइटिस उस स्थिति में होता है जब महिला विशेष महिला विशेष में दूध निकलने की गति दूध बनने की गति से कम होती है। सवाल है मिल्क स्टैसिस कब और क्यों होता है? मिल्क स्टैसिस तब होता है जब बच्चा पूरी तरह दूध नहीं पीता। बच्चे के संपूर्ण दूध न पीने से निप्पल में दर्द हो सकता है। यही नहीं मां के लिए दूध पिलाना भयावह अनुभव के रूप में बदल जाता है। इसे ही मिल्क स्टैसिस कहा जाता है जो कि बढ़ते सूजन के साथ मैस्टाइटिस में बदल जाता है। यदि आपका बच्चा एक स्तन से अधिक दूध पीता है जबकि अन्य स्तन को कम तरजीह देता है, ऐसी स्थिति में भी मैस्टाइटिस हो सकता है।

 

मैस्टाइटिस से कैसे बचा जा सकता है

जिस स्तन में आप मैस्टाइटिस का अनुभव कर रही हैं, उसी स्तन से बच्चे को दूध पिलाएं। हालांकि यह दर्द भरा हो सकता है। लेकिन यदि दर्द और सूजन के डर से स्तन विशेष से आप दूध नहीं पिलाएंगी तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है। यदि नियमित दूध पिलाने के बावजूद सूजन में किसी प्रकार की कमी नहीं देखने को मिल रही है तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करें। इतना ही नहीं मैस्टाइटिस होने के बाद यदि उसमें इंफेक्शन हो जाए तो चिकित्सकों की दी हुई दवा अवश्य लें। इसके अलावा आप कुछ घरेलू उपचार से भी मैस्टाइटिस से लड़ सकती है। मतलब यह कि बच्चे को जितना संभव हो दूध पिलाएं। एक ही दिन में 8 से 12 बार दूध पिलाएं। अलग अलग पोजिशन में दूध पिलाएं। दूध ज्यादा होने पर हाथ से दूध निकालें ताकि स्तन में भार का एहसास कुछ कम हो।

 

मैस्टाइटिस कितने दिनों तक रहता है

यह आसानी से डायग्नोज़ किया जा सकता है। यह ज्यादा दिनों तक नहीं रहता। कई दफा तो यह अपने आप ही ठीक हो जाता है। बस जरूरत है कि बच्चे को सही से दूध पिलाया जाए। लेकिन यदि यह न ठीक हो रहा हो, इसके कारण बुखार आ रहा है तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करें।

 

मैस्टाइटिस की स्थिति में क्या दूध पिलाना बंद कर दे?

कतई नहीं! जैसा कि पहले ही जिक्र किया जा चुका है कि मैस्टाइटिस होने की स्थिति में उसी स्तन विशेष से दूध पिलाएं जिसमें सूजन है। इससे स्तन के जल्द ठीक होने की संभावना जल्दी बढ़ जाती है।

 

क्या मैस्टाइटिस शिशु को प्रभावित करता है?

हालांकि मैस्टाइटिस के कारण आपकी स्थिति काफी भयावह हो रही है। आपको दर्द का एहसास बना है। इतना ही नहीं मैस्टाइटिस के कारण सूजन भी है। लेकिन ऐसा होने से शिशु पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता।  यही नहीं यदि आपके स्तन में इंफेक्शन हो जाए जिससे आपके शिशु के पेट में इंफेक्टेड बैक्टीरिया चले जाए तो भी शिशु को यह नुकसान नहीं पहुंचा सकते। दरअसल ये बैक्टीरिया पेट में जाते हुए पेट के कीटाणु इन बैक्टीरिया को मार देते हैं। अतः मैस्टाइटिस में स्तन पान कराना पूरी तरह सुरक्षित है।

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