ब्राह्मी से कीजिए इन 5 लाइलाज रोगों का उपचार

ब्राह्मी में रक्‍त शुद्ध करने के गुण भी पाये जाते है। यह हृदय के लिये भी पौष्टिक होता है। यह कई लाइलाज रोगों के लिए फायदेमंद है।
  • SHARE
  • FOLLOW
ब्राह्मी से कीजिए इन 5 लाइलाज रोगों का उपचार


ब्राह्मी एक औषधीय पौधा है जो जमीन पर फैलकर बड़ा होता है। इसके तने और पत्तियाँ मुलामय, गूदेदार और फूल सफेद होते है। यह पौधा नम स्‍थानों में पाया जाता है। आमतौर पर इसकी उपज भारत में ही है। इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। हिन्‍दी में सफेद चमनी, संस्‍कृत में सौम्‍यलता, मलयालम में वर्ण, नीरब्राम्‍ही, मराठी में घोल, गुजराती में जल ब्राह्मी आदि है। इसका वैज्ञानिक नाम बाकोपा मोनिएरी है। यह औषधि नाडि़यों के लिये पौष्टिक होती है। कब्‍ज को दूर करती है। इसके पत्‍ते के रस को पेट्रोल के साथ मिलाकर लगाने से गठिया दूर करती है। ब्राह्मी में रक्‍त शुद्ध करने के गुण भी पाये जाते है। यह हृदय के लिये भी पौष्टिक होता है। यह कई लाइलाज रोगों के लिए फायदेमंद है।

इसे भी पढ़ें: डार्क सर्कल से निजात दिलाएंगे ये घरेलू नुस्खे

depression

नींद में चलना

ब्राह्मी, बच और शंखपुष्पी इनको बराबर मात्रा में लेकर ब्राह्मी के रस को 12 घंटे छाया में सुखाकर और 12 घंटे धूप में रखकर पूरी तरह से सुखाकर इसका चूर्ण तैयार कर लें। लगभग 480 मिलीग्राम से 960 मिलीग्राम सुबह और शाम को समान मात्रा में घी और शहद के साथ मिलाकर नींद में चलने वाले रोगी को देने से उसका स्नायु तंत्र मजबूत हो जाता है। इसका सेवन करने से नींद में चलने का रोग दूर हो जाता है।

इसे भी पढ़ें : लंबी उम्र चाहिए तो अपना काम स्वयं करने की आदत डालें

डिप्रेसन

लगभग 10 ग्राम ब्राह्मी (जलनीम) का रस या लगभग 480 से 960 मिलीग्राम चूर्ण को लेने से उदासीनता, अवसाद या सुस्ती दूर हो जाती है।

बुद्धि का विकास

ब्राह्मी, घोरबच (बच), शंखपुष्पी को बराबर मात्रा में लेकर ब्राह्मी रस में तीन भावनायें (उबाल) देकर छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें और रोजाना 1 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम को असमान मात्रा में घी और शहद के साथ मिलाकर काफी दिनों तक चटाने से बुद्धि का विकास हो जाता है।

मूत्ररोग

4 मिलीलीटर ब्राह्मी के रस को शहद के साथ चाटने से मूत्ररोग में लाभ होता है।

इसे भी पढ़ें: आयुर्वेदिक तरीके से करें माइग्रेन का इलाज

दिल की धड़कन

20 मिलीलीटर ताजी ब्राह्मी का रस और 5 ग्राम शहद को मिलाकर रोजाना सेवन करने से दिल की कमजोरी दूर होकर तेज धड़कन भी सामान्य हो जाती है।

मिर्गी

ब्राह्मी का रस शहद के साथ मिलाकर खाने से मिर्गी का रोग ठीक हो जाता है। मिर्गी के रोग में ब्राह्मी (जलनीम) से निकाले गये घी का सेवन करने से लाभ होता है।

 

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप

Read More Articles On Diseases In Hindi

Read Next

डाउन‍ सिन्‍ड्रोम : इलाज के लिए दवा की नहीं, प्‍यार की है जरूरत

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version